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चीन के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर का पहला सी-ट्रायल पूरा, जानिए भारत के लिए क्या हैं इसके मायने

नई दिल्ली : चीन ने अपने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर का पहला सी-ट्रायल पूरा कर लिया है। यह ट्रायल 8 दिन का था और चीनी मीडिया के मुताबिक यह सफल रहा। चीन ने कुछ महीने पहले ही अपना चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का ऐलान किया है। चीन का चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर न्यूक्लियर पावर सुपर कैरियर होगा। चीन कर रहा है अपनी नेवी का विस्तारचीन ने पहला एयरक्राफ्ट कैरियर Liaoning 2012 में कमिशन किया था।
2017 में दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर shading लॉन्च किया। तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर Fujian का पहला ट्रायल हो गया है और करीब दो साल तक इसके ट्रायल होंगे। चीन का ये अबतक का सबसे बड़ा और अडवांस्ड एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसका वजन 79000 टन है। इसका फाइटर जेट लॉन्च सिस्टम – इलैक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) है। अभी यूएस के पास जो दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है, जैराल्ड फोर्ड उसमें यह लॉन्च सिस्टम है। चीन के पास जो दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं उनमें स्की जंप सिस्टम है। EMALS सबसे अडवांस्ड सिस्टम है और इससे एयरक्राफ्ट आराम से टेकऑफ कर सकते हैं और भारी फाइटर जेट को भी टेकऑफ किया जा सकता है। जिससे पे लोड कैपिसिटी बढ़ जाती है। चीन ने पहले ही ऐलान किया है कि उसका टारगेट 2030 तक अपनी नेवी में 5 से 6 एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल करने का है। भारत के लिए क्या हैं मायनेचीन अपनी नेवी का लगातार विस्तार कर रहा है। 1990 के बाद से चीन ने अपनी आर्मी की जगह पर नेवी के विस्तार पर ज्यादा फोकस किया है। इंडियन ओशन रीजन में भी चीन अपनी गतिविधियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। एयरक्राफ्ट कैरियर किसी भी देश की नेवी को वह क्षमता देता है कि वह एयरक्राफ्ट लगातार बिना किसी रुकावट के ऑपरेट कर सके। एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरकर जब एयरक्राफ्ट दूसरे शिप को एक प्रोटेक्टिव अंब्रैला देता है तो दूसरे वॉर शिप जैसे फ्रिगेट और डिस्ट्रॉयर अपना ऑफेंसिव टास्क पूरा कर सकते हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर एक तरह से पानी में तैरता एयरबेस है और समंदर में बादशाहत के लिए अहम है। भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर का कैसा है सिस्टमचीन की तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर में इलैक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) है जो ज्यादा अडवांस्ड है। इंडियन नेवी के पास अभी दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी आईएनएस विक्रांत। दोनों में ही स्टोबार सिस्टम है। जमीन पर जो रनवे होते हैं उनके मुकाबले कैरियर डेक का रनवे बहुत छोटा होता है। इसलिए एयरक्राफ्ट का इंजन जो फोर्स पैदा करता है वह एयरक्राफ्ट को टेकऑफ करने के लिए काफी नहीं होता है। इसलिए उसे बाहर से भी मदद की जरूरत पड़ती है। ऐसे में स्टोबार या कैटोबार सिस्टम मदद करता है। स्टोबार मतबल शॉर्ट टेकऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी। इसमें डेक का आगे का हिस्सा उठा हुआ होता है। इसे स्की जंप कहते हैं। दूसरा सिस्टम है कैटोबार। इसका मतलब है कैटापुल्ट असिस्टेड टेक ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी। इसमें कैरियर का डेक पूरा फ्लैट होता है। इसलिए इसे फ्लैट टॉप्ड एयरक्राफ्ट कैरियर भी कहते हैं। कैटोबार सिस्टम एयरक्राफ्ट की कैपिसिटी बढ़ा देता है साथ ही इससे एयरक्राफ्ट की पेलोड कैपिसिटी भी बढ़ जाती है यानी एयरक्राफ्ट कैरियर से टेकऑफ करने वाला एयरक्राफ्ट ज्यादा विस्फोटक या सामग्री साथ ले जा सकता है। अमेरिका की नेवी के पास ज्यादातर एयरक्राफ्ट कैरियर कैटोबार सिस्टम वाले हैं। इंडियन नेवी को क्या मिलेगा तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर
इंडियन नेवी के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं जिसमें एक स्वदेशी है। दूसरे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए नेवी ने केस आगे बढ़ाया है। पिछले साल सितंबर में डिफेंस प्रॉक्योरमेंट बोर्ड ने इसकी जरूरत को मंजूरी दी है। इसे अभी रक्षा अधिग्रहण समिति यानी डीएसी की मंजूरी का इंतजार है। लोकसभा चुनाव चल रहे हैं इसलिए अब इस पर बात नई सरकार बनने के बाद ही आगे बढ़ेगी। लेकिन क्या सही में नेवी के पास तीन एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे? नए एयरक्राफ्ट कैरियर की मंजूरी मिलने के बाद भी इसे बनाने में करीब 8-10 लग जाएंगे और तब आईएनएस विक्रमादित्य रिटायरमेंट की कगार पर होगा। इस तरह जो नया एयरक्राफ्ट कैरियर मिलेगा वह दरअसल विक्रमादित्य की जगह लेगा और कुल मिलाकर नेवी के पास फिर भी दो ही एयरक्राफ्ट कैरियर रहेंगे। गैप ना रहे इसलिए तेजी जरूरी
इंडियन नेवी को अगर वक्त रहते दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं मिला तो फिर नेवी की जरूरतें पूरी करने में एक बार फिर से गैप आने का अंदेशा है। नेवी को पहला एयरक्राफ्ट कैरियर 1961 में मिला था जिसने 1971 युद्ध में अहम रोल निभाया था। दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट 1987 में कमिशन हुआ और 2016 में रिटायर हुआ। इससे पहले 2013 में आईएनएस विक्रमादित्य नेवी में कमिशन हो गया था। 2016 में आईएनएस विराट के रिटायर होने के बाद 2022 तक नेवी के पास सिर्फ एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर बचा था। ऐसे में इसके मेंटेनेंस में जाने पर नेवी बिना किसी एयरक्राफ्ट कैरियर के अपनी ड्यूटी निभा रही थी। अगर दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर जल्द नहीं आया और आईएनएस विक्रमादित्य के रिटायर होने का वक्त हो गया तो ऐसा गैप फिर से पैदा होने का खतरा बना हुआ है। एयरक्राफ्ट कैरियर समंदर में पूरे ऑपरेशन के कमांड, कंट्रोल और कॉर्डिनेशन की रीढ़ है और इसलिए बेहद अहम है।

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