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प्रेगनेंट होने में आ रही है दिक्कत? एक्सपर्ट ने बताए इसके पीछे के 6 बड़े कारण

कपल की ज़िंदगी में शिशु का आना सबसे बड़ी खुशियों में से एक है पर आज कल बहुत से कपल को कंसीव करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इनफर्टिलिटी को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है और इसके पीछे कुछ कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की माने तो आज बांझपन यानी इनफर्टिलिटी की समस्या विश्व में लाखों लोग झेल रहे हैं, न केवल वे खुद बल्कि उनका परिवार और समाज भी इससे प्रभावित होता है।

अनुमान के मुताबिक प्रजनन की उम्र के 6 में से 1 व्यक्ति को अपने जीवन में कभी न कभी इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है। 

इसे देखते हुए Paras Health, Gurugram (Obstetrics, Gynaecology & ART) में चेयरपर्सन और पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. अल्का कृपलानी आज के लेख में गर्भावस्था में देरी के कारणों के बारे में विस्तार से बता रही हैं। 

गर्भावस्था में देरी के कारण (Causes of Delayed Pregnancy)

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ओव्यूलेशन डिसऑर्डर (Ovulation Disorders)

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) जैसी स्थिति के चलते गर्भधारण में दिक्कतें आती हैं क्योंकि इससे अंडों के नियमित रिलीज़ में बाधा पैदा होती है। इसके साथ ही, अगर वजन भी ज्यादा हो तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जिससे प्रेगनेंट होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा जरूरत से ज्यादा कसरत, तनाव, शरीर के वजन का बहुत कम होना भी ओव्युलेशन में अड़चन पैदा करते हैं। 

फैलोपियन ट्यूब का बाधित होना (Fallopian Tube Blockage)

जब फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होती है तो स्पर्म को अंडों के साथ मिलने में समस्या होती है। ट्यूब में रुकावट के पीछे पेल्विक इंफेक्शन, एंडोमेट्रियोसिस या यौन संचारित रोग एक बड़ा कारण हैं। 

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गर्भाशय का अनियमित आकार (Irregular Uterus Shape)

गर्भाशय का आकार अनियमित होना महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी देता है। यह समस्या पहले किसी सर्जरी की वजह से हो सकती है जिससे प्रेगनेंसी में एक फिजिकल बैरियर बनता है। गर्भाशय को फर्टिलाइज्ड एग को रखने और उसके विकास के लिए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है पर जब गर्भाशय का आकार अनियमित होता है तो अंडों को अपने विकास के लिए सही से जगह नहीं मिल पाती। इसके कारण ही महिला को गर्भवती होने में चुनौती झेलनी पड़ती है। इसके लिए एक आवश्यक उपचार चाहिए जिसमें देरी न की जाए तो ही बेहतर है।  

फाइब्रॉयड्स का होना (Presence of fibroids)

गर्भाशय में फाइब्रॉयड्स का बनना एग को ठहरने और विकसित होने में बाधा डालता है। कंसीव करने के लिए इसका इलाज कराया जाना जरूरी है। बता दें कि जिन महिलाओं के गर्भाशय में फाइब्रॉयड होते हैं उन्हें इंटरकोर्स के दौरान असहजता, पेल्विक में दर्द और पीरियड्स हेवी होते हैं। इसके इलाज में दवाइयां, सर्जरी या फिर दोनों को शामिल किया जा सकता है। 

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उम्र (Age)

जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, उसके शरीर में अंडों की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में कमी होने से फर्टिलिटी कम होती जाती है। यही वजह है कि 21 से 30 साल की शुरुआती उम्र के बाद यानी 30 के मध्य की उम्र में गर्भधारण की संभावना काफी कम होती है क्योंकि 37 के बाद महिला के शरीर में अधिक दर से अंडे कम होने लगते हैं। इसके साथ, पुरुषों में भी 40 की उम्र के बाद फर्टिलिटी कम हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि जो कपल कंसीव करने की प्लानिंग कर रहे हैं उन्हें उम्र के इन कारकों का पता हो। 

हार्मोन (Hormones)

गर्भधारण करने में फीमेल सेक्स हार्मोन भी अहम भूमिका निभाते हैं। कॉर्टिसोल और प्रोलैक्टिन के बढ़े हुए स्तर से पीरियड्स और एस्ट्राडियोल का स्राव प्रभावित होता है, नतीजतन प्रेगनेंट होने की संभावना कम हो जाती है। इसके इलाज के लिए दवाइयां या हार्मोन थेरेपी की डॉक्टर सलाह दे सकते हैं। इससे हार्मोन लेवल ठीक होने लगता है और कंसीव करने की संभावना भी बढ़ जाती है। 

जीवनशैली के कारक जैसे धूम्रपान, ज्यादा शराब का सेवन, वजन का बहुत अधिक या कम होना भी फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। जो भी कपल कंसीव करना चाहते हैं उनको लिए ये सभी कारक जानने बेहद जरूरी हैं ताकि सही समय पर इलाज से इनफर्टिलिटी में सुधार किया जा सके।

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