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Lok Sabha Election 2024 मेवाड़-वागड़ में क्षेत्रीय दलों ने बढ़ाई कांग्रेस-बीजेपी की टेंशन?

चित्तौरगढ़ न्यूज़ डेस्क, राजस्थान का मेवाड़ वागड़ हर चुनाव में किसी ना किसी मुद्दे या घटनाक्रम को लेकर चर्चा में रहता है. चर्चा भी केंद्रीय स्तर तक होती है. यहां चुनावी मुद्दों में कई बड़े फैक्टर देखने को मिलते हैं. इस क्षेत्र में लगातार क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है.मेवाड़ वागड़ में क्षेत्रीय पार्टियों के बढ़ते वर्चस्व का ताजा उदाहरण हालही में हुए विधानसभा चुनाव नतीजे हैं.

जहां इन पार्टियों को 13 लाख से अधिक वोट हासिल हुआ. जो प्रमुख पार्टियों का सियासी गणित  बिगाड़ने के काफी है और यह हुआ भी है.

2013 और 2018 में बदली मेवाड़-वागड़ की सियासत

साल 2018 और 2013 में मेवाड़ की राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ. इससे पहले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में ही टक्कर होती थी. बीते चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी होते थे, लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में होती थी. साल 2013 में एक नई पार्टी की स्थापना हुई- जनता सेना. यह चुनाव जीती तो इसकी गूंज पूरे राजस्थान में सुनाई पड़ी. इसकी स्थापना बीजेपी के वरिष्ठ नेता रणधीर सिंह भिंडर ने की. हालांकि बाद में रणधीर सिंह भिंडर बाद में वापस बीजेपी में शामिल हो गए. 

भारत आदिवासी पार्टी का बढ़ा जनाधार

साल 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी मैदान में उतरी और उसके वागड़ से दो विधायक जीतकर जयपुर पहुंचे. इस दौरान उनका वोट बैंक भी बढ़ा. साल 2023 के चुनाव इसने पूरी तस्वीर बदल दी. जब भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायकों ने नई पार्टी बनाई और इसका नाम रखा भारत आदिवासी पार्टी. साल 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी. विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी के तीन विधायक ने जीत का परचम लहराया. हालिया दिनों इस पार्टी का कद इतना बढ़ गया कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को बांसवाड़ा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी से गठबंध करना पड़ा.

क्षेत्रीय पार्टियों मजबूत सियासी दस्तक

मेवाड़ वागड़ में उदयपुर, राजसमंद, चितौड़गढ़ और बांसवाड़ा लोकसभा सीटें हैं. इन सीटों पर भारत आदिवासी पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, जनता सेना, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बीएसपी चुनाव लड़ती हैं. बीते चुनाव में इन पार्टियों ने अपी मजूबत उपस्थिति दर्ज कराई. बीते चुनाव में इन क्षेत्रीय पार्टियों ने चित्तौड़गढ़ में 2.87 लाख, उदयपुर में 3.60 लाख, राजसमंद में 1.63 लाख और बांसवाड़ा में 4.81 लाख वोटर हासिल किए. यह वोट बीजेपी कांग्रेस का सियासी गणित बिगाड़ रही हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियां कई सीटों पर मजबूत स्थिति में है.

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