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अमेरिका ने चीन को दी चेतावनी, मगर ईरान के मसले पर जताई ये उम्मीद

Reuters अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चेतावनी दी है कि अगर चीन ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ हमले में रूस की मदद करना बंद नहीं किया तो अमेरिका चीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकता है.

अमेरिका का आरोप है कि चीन जो सामान रूस को देता है, उसका इस्तेमाल रूस यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध में करता है.

बीजिंग में बीबीसी को दिए इंटरव्यू में ब्लिंकन ने कहा कि उन्होंने चीन के अपने समकक्ष को ये स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा करके वो "कोल्ड वॉर के बाद यूरोप की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े ख़तरे" की मदद कर रहा है.

हालांकि बीबीसी से बातचीत में उन्होंने ये नहीं बताया कि अमेरिका चीन के ख़िलाफ़ किस तरह के कदम उठा सकता है.

इसके साथ ब्लिंकन ने इस बात की तरफ़ भी इशारा किया है कि अमेरिका कुछ मामलों में आगे बढ़ा है.

उन्होंने फेन्टानिल नाम के नशीले पदार्थ को अमेरिका पहुंचने से रोकने में चीन की कोशिशों की तारीफ़ की.

अमेरिका के लिए उसकी ज़मीन तक पहुंचने वाले इस नशीले पदार्थ की सप्लाई का चीन सबसे बड़ा स्रोत है.

अमेरिका में ये इतना बड़ा मुद्दा है कि व्हाइट हाउस ने कहा था कि इसके कारण देशभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है.

ब्लिंकन ने "ईरान के साथ चीन के रिश्तों" का ज़िक्र करते हुए कहा कि चीन इसका इस्तेमाल इसराइल के साथ ईरान के तनाव को कम करने के लिए कर सकता है.

उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि मध्यपूर्व में चीन "सकारात्मक भूमिका" निभा सकता है.

ब्लिंकन 24 से 26 अप्रैल तक तीन दिन के दौरे पर चीन पहुंचे थे.

बीते 10 महीनों में ब्लिंकन का ये दूसरा चीन दौरा है.

बीते साल दोनों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था, जिसके बाद दोनों देश अपने आपसी रिश्तों में नरमी लाने की कोशिश कर रहे हैं और दोनों के बीच बातचीत और कूटनीतिक कोशिशें बढ़ी हैं.

Tasos Katopodis/Getty Images अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन चीन और अमेरिका के बीच तनाव

बीते साल ताइवान पर चीन के दावे और दक्षिण चीन सागर में चीन के पैर पसारने की कोशिशों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था.

पहले से जारी कई प्रतिबंधों के बीच अमेरिका ने चीन को निर्यात किए जाने वाले अत्याधुनिक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस चिप्स के निर्यात पर भी पाबंदी लगी दी थी.

इससे पहले बीते साल की शुरूआत में अमेरिका के आसमान में दिखे चीन के कथित 'स्पाई बलून' को लेकर दोनों के बीच विवाद गहरा गया था.

अमेरिका ने इन्हें जासूसी करने वाले गुब्बारे कहते हुए इन्हें लड़ाकू विमानों से मिसाइल छोड़कर उड़ा दिया था.

हालांकि चीन का कहना था कि ये मौसम की जानकारी लेने के लिए छोड़े गए बलून थे, जो हवा के कारण रास्ता भटककर अमेरिका की तरफ़ चले गए थे.

लेकिन इस मामले को लेकर तनाव इतना बढ़ गया कि फरवरी में हुई इस घटना के बाद उसी महीने होने वाले एंटनी ब्लिंकन के चीन दौरे को टालना पड़ा था.

ब्लिंकन का दौरा कैसा रहा था

इस विवाद के तीन महीनों के बाद ब्लिंकन ने चीन का दौरा किया. उनके दौरे की शुरुआत अच्छी नहीं रही.

एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने विदेश मंत्रालय के केवल एक उच्च अधिकारी मौजूद थे. लेकिन दौरे का अंत उत्साहजनक रहा.

चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो दिनों की बातचीत के बाद यात्रा के अंत में वो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले, जो पहले से तय नहीं था.

ये बात अलग है कि जैसे ही ब्लिंकन चीन से लौटे तो राष्ट्रपति बाइडन ने एक समारोह में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तानाशाह कह दिया.

इधर हाल के दिनों में अमेरिका ने एक क़ानून पास किया है, जिसके बाद चीन के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक को अपना वीडियो ऐप या तो बेचना पड़ेगा या फिर उसे अमेरिका में बैन कर दिया जाएगा.

ब्लिंकन ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई उनकी बातचीत में इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई.

अमेरिका का कहना है कि टिकटॉक ऐप के ज़रिए अहम जानकारी चुराई जा सकती है, जो ये ऐप चीन तक पहुंच सकता है.

इसी सप्ताह राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक आदेश पर दस्तखत किए हैं जिसमें टिकटॉक की पेरेंट कंपनी बाइटडांस को ऐप बेचने या बैन का सामना करने के लिए 270 दिनों का वक्त दिया गया है.

इसके बाद कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि टिकटॉक और बाइटडांस के जनरल काउंसेल एरिक एंडरसन जून में अपना पद छोड़ देंगे और कंपनी के स्पेशल काउंसिल की भूमिका में चले जाएंगे.

ब्लिंकन और शी जिनपिंग की मुलाक़ात

शुक्रवार दोपहर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ़ द पीपल में एंटनी ब्लिंकन से मुलाक़ात की.

मुलाक़ात के बाद में उन्होंने कहा कि बीते साल नवंबर में राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाक़ात के बाद दोनों पक्षों ने "कुछ मामलों में सकारात्मक प्रगति की है."

उन्होंने कहा कि दोनों मुल्कों को "सहयोगी होना चाहिए, न कि विरोधी."

उन्होंने कहा, ''अगर चीन के विकास को लेकर अमेरिका सकारात्मक रुख़ रखता है तो दोनों के बीच के संबंध सही मायनों में स्थिर होंगे, बेहतर होंगे और दोनों मिलकर आगे बढ़ सकेंगे."

ब्लिंकन ने बीबीसी से कहा, ''चीन के लिए उसके, अमेरिका और यूरोप से "रिश्ते बेहतर करने" का एक मुख्य तरीका ये हो सकता है कि वो या उसकी कंपनियां रूस को "ऐसे उपकरणों" की सप्लाई बंद करे जिनका इस्तेमाल रूस हथियार बनाने में कर सकता है.

अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चीनी कंपनियां यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस को नॉन-लीथल सपोर्ट उपलब्ध करा रही हैं. नॉन-लीथल सपोर्ट से आशय हानि ना पहुंचाने वाले सामान से है.

इन सामानों में "मशीनों के लिए औज़ार, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक सामान और ऑप्टिक्स" शामिल हैं.

ब्लिंकन ने बीबीसी से कहा, "ऐसा करके चीन यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के आक्रामक तेवर बढ़ाने में तो मदद कर ही रहा है, बल्कि इससे वो यूरोप के लिए ख़तरे की आशंका को बढ़ा रहा है."

उन्होंने कहा, "कोल्ड वॉर के ख़त्म होने के बाद से यूरोप की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे को और बढ़ाने में चीन मदद कर रहा है."

वो बोले, "हमने इस काम में शामिल चीनी कंपनियों के ख़िलाफ़ पहले ही कार्रवाई की है. हम आज एक बार फिर स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगर चीन कदम नहीं उठाएगा तो हम कदम उठाएंगे."

ब्लिंकन ने अपनी बातचीत में प्रतिबंधों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये एक संभावित रास्ता हो सकता है.

हालांकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चीन सीधे तौर पर रूस को हथियारों की सप्लाई नहीं कर रहा.

बीबीसी से बातचीत में ब्लिंकन ने ये भी कहा कि ये देखना अहम है कि दोनों देश इंटेलिजेंस और सैन्य कम्युनिकेशन जैसे आपसी हितों के मामलों में बेहतर सहयोग कर सकते हैं.

Reuters चीन की प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से कहा है कि चीन के मामले में अमेरिका को सीमा नहीं लांघनी चाहिए.

शुक्रवार को बीजिंग में दोनों नेताओं की मुलाक़ात हुई थी.

इसके बाद वांग यी ने कहा कि अमेरिका को चीन की बनाई 'रेखा' पार नहीं करनी चाहिए.

उन्होंने ये माना कि दोनों मुल्कों के रिश्ते अब स्थिर होने की तरफ बढ़ रहे हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अभी भी "नकारात्मक कारक" मौजूद हैं, जो इस रिश्ते की परीक्षा ले रहे हैं.

बैठक के बाद वांग यी ने कहा, "ये ज़रूरी है कि दोनों मुल्क अपने बीच के मतभदों पर साफ़-साफ़ बात करें. इससे ग़लत समझने और ग़लत आंकने का ख़तरा कम होगा."

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