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अर्थ डे 2024: धरती के बारे में 10 वो बातें जो बेहद रोचक हैं

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हर साल 22 अप्रैल को अंतराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ने चुना है.

दरअसल 22 अप्रैल 1970 को दो करोड़ लोग अमेरिका के बड़े शहरों की सड़कों पर उतर गए थे और इंसानी गतिविधियों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था.

इस बार पृश्वी दिवस पर एक नज़र उन बातों पर जो इस ग्रह को ख़ास बनाता है, वो ग्रह जिसे इंसान अपना घर कहते हैं.

1. धरती पूरी तरह गोल नहीं है

आमतौर पर हम कहते और सुनते आए हैं- पृथ्वी गोल है.

लेकिन ये इसका सटीक आकार नहीं है. पोल यानी उत्तर और दक्षिण ध्रुव पर पृथ्वी चपटी है. इसलिए अगर इसके आकार को ठीक से बयां करना हो तो हमें कहना चाहिए- 'ऑबलेट स्फ़ेरॉयड'

जैसा कि अन्य ग्रहों में होता है, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव और अपनी धुरी पर घूमने के कारण पैदा होने वाला सेंट्रीफ़्यूगल फ़ोर्स इक्वेटर को चपटा करता है. इसलिए इक्वेटर पर पृथ्वी का व्यास एक पोल से दूसरे पोल तक के व्यास से 43 किलोमीटर अधिक है.

2. धरती का 70 फ़ीसदी हिस्सा पानी है
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पृथ्वी पर पानी ठोस, तरल और गैस अवस्था में मौजूद है.

इसके अलावा, यह ग्लेशियर, दलदल, झील, नदी, समुद्र और महासागर के रूप में पृथ्वी के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को कवर करता है.

धरती पर पाए जाने वाले कुल पानी का 97 फ़ीसदी हिस्सा समुद्री खारा पानी है.

3. पृश्वी के 10 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष है

वायुमंडल और अंतरिक्ष के बीच की सीमा को कारमन रेखा कहा जाता है, जो समुद्र तल से 100 किलोमीटर ऊपर है. लगभग 75 फ़ीसदी वायुमंडलीय भार समुद्र की सतह से पहले 11 किलोमीटर की ऊँचाई में ही पाया जाता है. यानी कहा जा सकता है कि कारमन रेखा बताती है कि पृथ्वी की हद क्या है और कहाँ से अंतरिक्ष की शुरुआत हो रही है.

4. पृथ्वी के केंद्र में लोहा है Getty Images

पृथ्वी सौर मंडल का सबसे ठोस और पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है. पृथ्वी के सबसे भीतर का लगभग 1,200 किमी के दायरे वाली एक ठोस गेंद की तरह है.

ये गेंद मुख्य रूप से लोहे से बनी है, जिसके वज़न का 85 फ़ीसदी हिस्सा लोहे का होता है. इसके अलावा निकल का वज़न भी 10 फ़ीसदी होता है.

5. पृथ्वी अकेला ऐसा ग्रह है जहां जीवन है

पृथ्वी ब्रह्मांड में एकमात्र खगोलीय पिंड है जिसमें हम जीवन जी सकते हैं. अन्य ग्रहों पर इसकी संभावना तलाशी जा रही है. वर्तमान में धरती पर लगभग 12 लाख सूचीबद्ध पशु प्रजातियां हैं, हालांकि यह माना जाता है कि यह कुल प्रजातियों का केवल एक छोटा हिस्सा है.

2011 में, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि दुनिया में समग्र रूप से लगभग 80 लाख प्रजातियां शामिल हैं.

पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था और पृथ्वी के भौतिक गुणों, इसके भूवैज्ञानिक इतिहास और इसकी कक्षा ने लाखों सालों तक जीवन को अस्तित्व में बनाए रखा है. यानी इतने सालों बाद भी यहां जीवन है.

6. पृथ्वी पर हर जगह गुरुत्वाकर्षण एक जैसा नहीं Getty Images

चूंकि हमारा ग्रह वास्तव में एक आदर्श क्षेत्र नहीं है और इसके अलावा, द्रव्यमान हर जगह एक नहीं है इसलिए गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र कितना ताकतलर हो ये जगह के हिसाब से बदलता रहता है.

उदाहरण के लिए, जैसे ही हम इक्वेटर से पोल की ओर बढ़ते हैं, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ती है, हालांकि यह अंतर लोगों को सीधे पता नहीं चलता.

7. पृथ्वी जहां कई विरोधाभास हैं

हमारा ग्रह घोर विरोधाभासों से भरा है. इसके भौगोलिक क्षेत्रों और इसकी जलवायु की विविधता का मतलब ये है कि लगभग हर क्षेत्र की अपनी ख़ासियत हैं.

पृथ्वी पर सबसे गर्म माने जाने वाली कई जगहें हैं लेकिन अब तक दर्ज किया गया सबसे अधिक तापमान है अमेरिका में डेथ वैली का तापमान, जहां 10 जुलाई 1913 को 56.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

वहीं दूसरी ओर अंटार्कटिका में सबसे ठंडा तापमान दर्ज किया गया जहां 31 जुलाई 1983 को -89 डिग्री तापमान रहा.

8. पृथ्वी पर सबसे बड़ी जिंदा संरचना Getty Images

ग्रेट बैरियर रीफ, ऑस्ट्रेलिया के तट पर स्थित है, वह ग्रह पर रहने वाले जीवों से बनी सबसे बड़ी संरचना है. यह एकमात्र ऐसी संरचना है जिसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता है.

यह 2,000 किलोमीटर से अधिक तक फैला हुआ है और हजारों समुद्री प्रजातियों का घर है.

1981 में, इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित किया था.

9. सोलर सिस्टम का अकेला ग्रह जहां सक्रिय टैक्टोनिक प्लेट हैं

इन प्लेटों की गति का मतलब है कि हमारे ग्रह की सतह लगातार बदल रही है. ये प्लेट्स पहाड़ों को बनाने, भूकंप और ज्वालामुखियों के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार होती है.

इन प्लेटों का साइकल पृथ्वी के तापमान को रेगुलेट करने में भी एक आवश्यक भूमिका निभाता है, ये समुद्र के तल के रिन्यू करके कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों के रिसाइकल करने का काम करता है

10. धरती के पास रक्षात्मक कवच है Getty Images

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सूरज से आने वाली ऊर्जा के कणों की लगातार बमबारी के खिलाफ़ ढाल के रूप में काम करता है. चुंबकीय क्षेत्र से रास्ते भी खोजे जाते हैं. कंपास इस चुंबकीय क्षेत्र के ज़रिए काम करता है और दिशा का पता लगाता है.

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