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दुबई बारिश के पानी से क्यों हुआ बेहाल, व्यवस्था पर उठे सवाल

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संयुक्त राज्य अमीरात समेत खाड़ी के कुछ देशों में अचानक आई भारी बारिश के कारण कई लोगों की मौत हो गई है.

भारी बारिश के बाद भरे पानी ने वहां का जन जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है.

दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक दुबई एयरपोर्ट पर उड़ानों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दुबई के पड़ोसी ओमान में बारिश की वजह से मरने वालों की संख्या 19 हो गई है.

बुधवार को दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लगभग 300 उड़ानें रद्द की गईं. दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया के लगभग हर इलाके़ को जोड़ने वाला हब है.

भारी बारिश और बाढ़ को देखते हुए देश से बाहर जाने वालों की भीड़ दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इतनी बढ़ गई कि चेक-इन गुरुवार तक रोक देना पड़ा.

दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पिछले साल आठ करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की थी.

अधिकारियों ने खाड़ी देशों में अभी और आंधी-तूफान, भारी बारिश होने की आशंका जताई है. अभी भी कई निचले इलाकों में पानी भरा हुआ है.

संयुक्त अरब अमीरात में पिछले 75 साल की रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है.

दुबई से मिल रहे फुटेज में दिख रहा है कि शेख ज़ायद रोड में बाढ़ग्रस्त इलाकों में दर्जनों वाहन डूबे हुए हैं. 12 लेन वाले हाईवे पर जाम लगा हुआ है.

एयरपोर्ट पर अफरातफरी का माहौल Reuters दुबई एयरपोर्ट

ब्रिटिश नागरिक केट और एंड्र्यू गोल्डिंग दुबई में आई बाढ़ में फंसे हुए हैं. दोनों यहां के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पिछले 12 घंटों से फंसे हुए हैं.

62 साल के एंड्र्यू ने बीबीसी को बताया कि वो यहां से निकलने के लिए फ्लाइट पकड़ने की कोशिश में हैं. उनकी पत्नी केट दूसरी लाइन में लगी हुई हैं ताकि उन्हें टिकट न मिले तो पत्नी को किसी दूसरी फ्लाइट का टिकट मिल जाए.

ये जोड़ा केट का 60वां जन्मदिन मनाने यहां आया था. एंड्र्यू ने कहा कि वो इस ट्रिप को कभी भूल नहीं पाएंगे.

एंड्र्यू ने कहा, ''हालात हमारे अनुमान से भी ज़्यादा ख़राब थे. एयरपोर्ट का सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो गया. एयर एमिरेट्स जिसे मैं दुनिया की बेहतरीन एयरलाइंस में से एक मानता हूं, वो पूरी तरह ठप हो गई थी. उसका कोई कर्मचारी वहां नहीं था. कोई सूचना नहीं मिल रही थी. न कोई को-ऑर्डिनेशन था और न कोई जानकारी मुहैया करवा रहा था. कोई प्रोफेशनलिज्म नहीं था. बड़ी कंपनियां की ओर से किया जाने वाला आपदा प्रबंधन वहां से गायब दिखा. वहां पूरी तरह अराजकता थी.''

उन्होंने बताया,''लोग लाउंज में ही सो रहे थे. वो ज़मीन पर लेटे हुए थे. हर तरफ फूड पैकेट पड़े हुए थे. वहां काफी गंदा माहौल था.''

क्या ये प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है Kate and Andrew Golding जन्मदिन मनाने के लिए दुबई पहुंचा ये जोड़ा वहां बाढ़ की वजह से फंस गया

साउथ यॉर्कशायर के रॉथेरहेम की रहने वालीं एन विंग अपने पति और तीन बच्चों के साथ लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट की ओर रवाना होने वाली थीं. लेकिन बाढ़ की वजह से दुबई में फँस गईं.

एन विंग ने बताया,''लोग कनेक्शन डेस्क पर चिल्ला रहे थे और हंगामा मचा रहे थे. वहां कोई स्टाफ नहीं था. भयावह माहौल था. लोग जानवरों की तरह छोटी सी जगह पर ठुसे पड़े थे. ये बड़ा अमानवीय और भद्दा लग रहा था.''

उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने दोपहर के बाद खाना नहीं खाया था. काफी देर बाद उन्हें सिर्फ बोतलबंद पानी का एक पैकेट दिया गया.

बीबीसी ने दुबई के दूसरे एयरपोर्ट की ओर से भेजे गए कुछ यात्रियों से भी बात की.

इस एयरपोर्ट को दुबई वर्ल्ड सेंट्रल कहा जाता है. यहां पहुंचे लोगों ने भी दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की अराजकता का ब्योरा दिया.

उन्होंने भी कहा कि दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट में पर्याप्त पानी और भोजन की व्यवस्था नहीं थी.

दुबई में बारिश से एक बुजुर्ग की मौत हो गई. उनकी गाड़ी बाढ़ के पानी में बह गई थी.

ओमान में 1400 लोगों को बारिश के पानी से घिरे इलाकों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. इन लोगों को स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में सुरक्षित पहुंचाया गया है.

तीन बच्चों और ड्राइवर को भी बाढ़ के पानी में फंसने से बचाया गया. रविवार को बाढ़ के पानी में स्कूल बस के बह जाने से 10 से 15 साल की उम्र के दस बच्चों की मौत हो गई थी.

सोशल मीडिया पर यूजर्स संयुक्त अरब अमीरात में अचानक आई भारी बारिश और बाढ़ को जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का संकेत बता रहे हैं.

वहीं कई यूजर्स यह भी पूछ रहे हैं कि क्या इसके पीछे प्रकृति से छेड़छाड़ और कृत्रिम तरीके से बारिश कराने की कोशिश तो नहीं है. कुछ लोग इसे क्लाउड सिडिंग का नतीजा बता रहे हैं.

क्लाउड सीडिंग क्या है? दुबई के हालात के लिए ये कितना जिम्मेदार Getty Images

क्लाउड सीडिंग के जरिए बादलों में एक तरह का बीज डालकर बारिश करवाई जाती है.

आसान शब्दों में कहें तो बादलों में बारिश के बीज बोने की प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहते हैं.

बीज के रूप में सिल्वर आयोडाइड, पोटैसियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है.

इन पदार्थों को एयरक्राफ्ट आदि की मदद से बादलों में छिड़का जाता है. इस पदार्थ के महीन कण आइस न्यूक्लियेटिंग पार्टिकल की तरह काम करते हैं.

इससे बर्फ़ के क्रिस्टल बादल में बदलने लगते हैं. इसके बाद बादलों में मौजूद नमी बर्फ के क्रिस्टल को घेर लेती है और इन्हें संघनित कर बारिश में बदल देती है.

ये तकनीकी सालों से उपलब्ध है और संयुक्त अरब अमीरात में पानी की कमी पूरी करने के लिए इसके जरिए बारिश करवाई गई है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, रविवार और सोमवार को क्लाउड सीडिंग की योजना बनाई गई थी. लेकिन मंगलवार को इसकी योजना नहीं बनाई गई थी. उसी दिन बाढ़ आई थी.

बीबीसी इस बात की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया है कि क्लाउड सीडिंग हुई है या नहीं.

क्लाउड सीडिंग आम तौर पर तब कराई जाती है जब हवा, नमी और धूल मिल कर बारिश नहीं करा पाती है.

पिछले सप्ताह पूरे खाड़ी क्षेत्र में बाढ़ के जोखिम को लेकर चेतावनी दी गई थी.

भारत में इसका पहली बार परीक्षण 1952 में किया गया था.

भारत ने साल 1984 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया. तमिलनाडु तब भयंकर सूखे का सामना कर रहा था. जिसके बाद तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने 1984-87,1993-94 के बीच क्लाउड सीडिंग तकनीक की मदद ली.

1960 के दशक के दौरान, अमेरिकी सेना ने वियतनाम के क्षेत्रों में सैन्य आपूर्ति की डिलीवरी को रोकने के लिए विवादास्पद रूप से इस तकनीक का इस्तेमाल किया था.

चीन, संयुक्त अरब अमीरात और कुछ भारतीय राज्य भी सूखे जैसी स्थितियों में क्लाउड सीडिंग का प्रयोग करते रहे हैं.

2008 में, बीजिंग में आयोजित की गई ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों से पहले चीन ने पहली बार क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था.

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    दुबई में शहरीकरण बहुत ज्यादा है.

    ऐसे इलाकों में भारी बारिश को ख़तरनाक बाढ़ में तब्दील होने से रोकने के लिए काफी मजबूत तैयारी की ज़रूरत है.

    विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालात से बचने के लिए सड़कों के इन्फ्रास्ट्रक्चर और बनावट को नए सिरे से आकार देने की ज़रूरत है. इसके अलावा झरनों के पानी का संरक्षण होना चाहिए जिसे पूरे साल काम में लाया जा सके

    इस साल जनवरी में संयुक्त राष्ट्र के सड़क और यातायात प्राधिकरण ने दुबई में बाढ़ प्रबंधन के लिए एक नया विभाग बनाया था.

    डेविड ग्रिटिन, फ्रेंसेस्क जिलेट और रूथ कोमरफोर्ड की रिपोर्टिंग के साथ

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