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हांगकांग और सिंगापुर में एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों में कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ मिलने का क्या है मामला?

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हांगकांग के फूड सेफ़्टी विभाग ने भारतीय कंपनी एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ पैकेटबंद मसालों में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाए जाने का दावा किया है और लोगों को इनका इस्तेमाल न करने की सलाह दी है.

इसके साथ ही इसकी ख़रीद-बिक्री को भी रोकने को कहा गया है. सिंगापुर में भी एवरेस्ट के फिश करी मसाले को बाज़ार से वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं.

हांगकांग के फूड सेफ़्टी विभाग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने एमडीएच के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड पाउडर और करी पाउडर मिक्स्ड मसाला में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया है और लोगों को इसका इस्तेमाल न करने को कहा है.

फूड सेफ्टी विभाग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने इनकी बिक्री रोकने की वजह बताते हुए कहा है कि कैंसर पर रिसर्च करने वाली एजेंसी ने एथिलीन ऑक्साइड को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन में रखा है.

कार्सिनोजेन ऐसे पदार्थ होते हैं जिनसे कैंसर होने का ख़तरा होता है.

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  • सिंगापुर में एवरेस्ट के फिश करी मसाले पर रोक Getty Images लेबोरेट्री में मसालों की क्वालिटी चेकिंग

    फूड सेफ्टी विभाग ने खाद्य पदार्थों में कीटनाशक अवशेष नियमों (कैप. 132सीएम) का हवाला देते हुए कहा है इसकी मौजूदगी वाला भोजन तभी बेचा जा सकता है कि जब इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह और ख़तरनाक न हो.

    हांगकांग के सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने तीन रिटेल दुकानों से मसालों के सैंपल उठाए थे.

    सेंटर फॉर फूड सेफ्टी के प्रवक्ता के मुताबिक़, हांगकांग में खाद्य पदार्थों में एथिलीन ऑक्साइड जैसे कीटनाशक का इस्तेमाल करने वालों पर अधिकतम 50 हज़ार डॉलर का जुर्माना हो सकता है.

    अपराध साबित होने पर जुर्माने के साथ छह महीने जेल की भी सज़ा हो सकती है.

    इस बीच सिंगापुर ने देश की फूड एजेंसी की ओर से एथिलीन ऑक्साइड पाए जाने पर एवरेस्ट के फिश करी मसाले को बाज़ार से वापस लेने का निर्देश दिया है.

    देश में इस मसाले के आयातक मुथैया एंड संस प्राइवेट लिमिटेड को कहा गया है कि वो इस प्रोडक्ट को बाज़ार से वापस ले ले.

    सिंगापुर की फूड एजेंसी ने कहा है कि उपभोक्ता एवरेस्ट के फिश करी मसाले का इस्तेमाल न करें.

    सिंगापुर की फूड एजेंसी ने अपने इस फैसले के समर्थन में हांगकांग के फूड सेफ्टी विभाग की ओर से जारी उसी निर्देश का हवाला दिया है, जिसमें एमडीएच के तीन मसालों और एवरेस्ट के फिश करी मसाले में कैंसर का खतरा पैदा करने वाले तत्व होने की बात कही गई थी.

    एवरेस्ट ने क्या कहा? Getty Images

    सिंगापुर की फूड एजेंसी ने कहा है कि एथिलीन ऑक्साइड की कम मात्रा से किसी फौरी जोखिम का ख़तरा नहीं है. लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल से इस तरह के केमिकल से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है.

    न्यूज़ वेबसाइट विऑन को दिए जवाब में एवरेस्ट ने कहा है कि वो पचास साल पुराना और प्रतिष्ठित ब्रांड है.

    एवरेस्ट ने कहा है ,‘’हमारे सभी प्रोडक्ट कड़ी जांच के बाद ही तैयार और एक्सपोर्ट किए जाते हैं. हम साफ-सफाई और फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड का कड़ाई से पालन करते हैं. हमारे प्रोडक्ट्स पर इंडियन स्पाइस बोर्ड और एफएसएसएआई समेत सभी एजेंसियों की मुहर है.’’

    एवरेस्ट ने कहा है, ‘’हर एक्सपोर्ट से पहले हमारे प्रोडक्ट स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया की जांच से गुज़रते हैं. फिलहाल हम आधिकारिक सूचना का इंतज़ार कर रहे हैं. हमारी क्वालिटी कंट्रोल टीम इस मामले की पूरी जांच करेगी.’’

    एथिलीन ऑक्साइड क्या है? Getty Images

    एथिलीन ऑक्साइड एक रंगहीन और ज्वलनशील गैस है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर कृषि, हेल्थकेयर और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में कीटनाशक, स्टरलेंट का फ्यूमिगेंट बनाने में होता है.

    मसालों और अन्य सूखे खाद्य पदार्थों में माइक्रोबियल प्रदूषण खत्म करने और कीड़ों को काबू करने के लिए एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है.

    बैक्टीरिया, फफूंद और कीड़ों से खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है.

    हालांकि इसे कई स्वास्थ्य संगठनों ने कार्सिनोजेन के वर्ग में रखा है. कार्सिनोजेन कैंसर का ख़तरा पैदा कर सकते हैं.

    एथिलीन ऑक्साइ़ड के ख़तरे को देखते हुए कई देशों के खाद्य नियामकों ने खाद्य पदार्थों में इनके इस्तेमाल को लेकर कड़े नियम बनाए हैं. इन देशों में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा निर्धारित करने के लिए कड़े कानून हैं.

    मसालों पर अमेरिका में भी सवाल

    भारतीय मसालों के विदेशी नियमन में फंसने के पहले भी कुछ मामले हुए हैं. 2023 में अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स अथॉरिटी ने एवरेस्ट के सांभर मसाला और गर्म मसाला को बाज़ार से वापस लेने का निर्देश दिया था.

    ये मसाले साल्मोनेला पॉजीटिव पाए गए थे. इस बैक्टीरिया से डायरिया, पेट में दर्द, बुखार, चक्कर या उल्टी हो सकती है.

    हाल ही में बेबी फूड बेचने वाली कंपनी नेस्ले के एशिया,अफ्रीका और लातिन अमेरिका में मौजूद उत्पादों में अतिरिक्त चीनी पाई गई.

    इन उत्पादों में दुनिया का सबसे बड़ा बेबी सिरिल ब्रांड सेरेलेक भी शामिल है. शिशुओं को चीनी देने की सलाह नहीं दी जाती है.

    ये रिपोर्ट स्विस संगठन पब्लिक आई की थी. ये रिपोर्ट इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क के साथ मिल कर लाई गई है.

    बेल्जियम की एक लैब में इन उत्पादों की जांच के बाद ये रिपोर्ट जारी की गई थी.

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