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आकाश आनंद पर केस दर्ज होने के बाद क्या रद्द की गईं उनकी रैलियां? - प्रेस रिव्यू

@ANANDAKASH_BSP/X एक रैली के दौरान बीएसपी नेता आकाश आनंद.

लोकसभा चुनाव में बीएसपी का प्रमुख चेहरा और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने इस हफ़्ते पहले से निर्धारित अपनी दो रैलियों को रद्द कर दिया है.

अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया है कि बीएसपी के युवा नेता ने ये कदम अपने ख़िलाफ़ दर्ज हुए एक मामले के बाद उठाया है.

आकाश आनंद पर बीती 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक सार्वजनिक रैली के दौरान कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में केस दर्ज हुआ है. आनंद ने अपने भाषण में बीजेपी को निशाना बनाया था.

हालांकि पार्टी के दूसरे नेताओं का दावा है कि इन कार्यक्रमों को रद्द करने के पीछे की वजह निजी थी.

ये दो रैलियां 1 मई को औरेया और हमीरपुर में होनी थीं. पार्टी के सूत्रों ने अख़बार से कहा कि बिना किसी पूर्व सूचना के कार्यक्रम को अचानक रद्द किया गया. जिसके बाद इस निर्णय के बारे में संबंधित ज़िला अध्यक्षों को सूचित किया गया.

@ANANDAKASH_BSP/X बीएसपी की एक सभा के दौरान ली गई तस्वीर.

अख़बार ने बीएसपी के हमीरपुर ज़िलाध्यक्ष राघवेंद्र अहीरवार से बात की है. अहीरवार ने दावा किया कि ''परिवार के एक सदस्य की स्वास्थ्य स्थिति'' का हवाला देते हुए कार्यक्रम को रद्द किया गया.

वहीं पार्टी के औरैया ज़िला अध्यक्ष कमल कुमार ने भी कहा कि पार्टी नेतृत्व के निर्देशों के बाद ही तय सभा को रद्द किया गया था.

हालांकि बीएसपी के ही एक स्थानीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर अख़बार को बताया है कि इसके पीछे दूसरी वजह भी हो सकती है.

बीएसपी नेता के मुताबिक़, ''आकाश आनंद जिस लहजे में बात करते हैं और बहन जी जिस तरह पार्टी चलाती हैं, वो उससे मेल नहीं खाता. अपने प्रतिद्वंदी की आलोचना करना एक बात है, लेकिन इतना आक्रमक होना बीएसपी प्रमुख को पसंद नहीं आया होगा.''

अख़बार लिखता है कि आकाश आनंद ने 28 अप्रैल के बाद से एक भी जनसभा को संबोधित नहीं किया है.

28 अप्रैल को पुलिस ने एक रैली के दौरान कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए आनंद पर मामला दर्ज किया था. पुलिस ने कहा कि उन पर हिंसा भड़काने के लिए "असंसदीय भाषा" का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था. एक वीडियो में, आकाश आनंद को बीजेपी सरकार को "गद्दारों की सरकार" कहते हुए सुना जा सकता है.

संदेशखाली मामले की फिर क्यों हो रही है चर्चा ANI ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि बीजेपी ने जानबूझकर संदेशखाली मामले को उछाला ताकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को फ़ायदा मिल सके.

टीएमसी ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो जारी किया था. इस वीडिया में दावा किया गया है कि 'बीजेपी नेता शुभंदे अधिकारी ने संदेशखाली की साज़िश रची थी. इस मामले में स्थानीय टीएमसी नेताओं को फंसाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को पैसे दिए गए, ताकि बीजेपी को लोकसभा चुनाव से पहले इसका फ़ायदा मिल सके.'

अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स से लेकर द इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स ऑफ इंडिया और अमूमन सभी बड़े अख़बारों ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है.

हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने पहले पन्ने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के हवाले से इस ख़बर को प्रकाशित किया है.

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अख़बार लिखता है कि बीजेपी ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है. पार्टी का कहना है कि टीएमसी की तरफ़ से जारी ये वीडियो फ़ेक है और इसमें छेड़छाड़ की गई है, संदेशखाली की महिलाओं को अपमानित करने के लिए ऐसा किया गया है.

वीडियो में क्या है? SHIB SHANKAR CHATTERJEE / BBC प्रदर्शन करतीं संदेशखाली की महिलाएं

32 मिनट लंबे इस वीडियो में गंगाधर कोयल नाम के एक व्यक्ति को एक स्पाई कैमरे पर कथित तौर पर यह बताते हुए रिकॉर्ड किया गया है कि कैसे शुभेंदु अधिकारी ने बीजेपी पदाधिकारियों को टीएमसी के मज़बूत लोगों को फंसाने और उन्हें गिरफ़्तार करवाने का निर्देश दिया था, ताकि पार्टी टीएमसी के गढ़ में मज़बूती से लड़ाई लड़ सके.

वीडियो में कोयल की पहचान संदेशखाली- II में बीजेपी के मंडल अध्यक्ष के रूप में की गई है.

वीडियो में दो अज्ञात व्यक्तियों से बात करते हुए ये शख़्स कहते हैं, ''मुझसे महिला को रेप की शिकायत दर्ज कराने के लिए राज़ी करने को कहा गया और मैंने ऐसा किया. महिलाओं ने इसके लिए कभी मना नहीं किया. उन्होंने वही किया, जो उनसे करने को कहा गया.''

अख़बार लिखता है कि वो इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है. और न ही बीबीसी स्वतंत्र रूप से इसकी जांच कर पाया है.

एल्विश यादव के ख़िलाफ़ ईडी ने दर्ज किया केस ANI एल्विश यादव के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूट्यूबर एल्विश यादव के ख़िलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है.

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है, ''एल्विश यादव और कुछ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ सांप के ज़हर के संदिग्ध इस्तेमाल के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है.''

केंद्रीय एजेंसी ने पिछले महीने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर ज़िला पुलिस ने एल्विश और उनसे जुड़े अन्य लोगों के ख़िलाफ दायर एक एफ़आईआर और आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप लगाए हैं.

अब इस मामले में एल्विश और बाकियों से पूछताछ की जाएगी.

एल्विश और उनके साथ पांच अन्य लोगों को पिछले साल नवंबर में गिरफ़्तार किया गया था. उन पर रेव पार्टी में सांप का ज़हर मुहैया करवाने का आरोप है.

फिलहाल एल्विश और इस मामले में बाकी अभियुक्त ज़मानत पर बाहर हैं.

सोने की तस्करी में नाम आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान की महिला राजनयिक का इस्तीफ़ा X/ZakiaWardak ज़ाकिया वारदक

मुंबई में अफ़ग़ानिस्तान की कौंसल जनरल के पद पर तैनात ज़ाकिया वारदक ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपना इस्तीफ़ा शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा था और उनकी मानहानि का प्रयास किया गया.

अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस ख़बर को प्रकाशित करते हुए लिखा है, ''पिछले हफ़्ते दुबई से क़रीब 18 करोड़ के सोने की कथित तस्करी के आरोप में ज़ाकिया वारदक को मुंबई के छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डे पर राजस्व ख़ुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पकड़ा था. हालांकि विदेशी राजनयिक होने के नाते उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया.''

अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि "58 वर्षीय वारदक अपने बेटे के साथ यात्रा कर रही थीं. कस्टम के अधिकारियों से बचने के लिए उन्होंने ग्रीन चैनल का विकल्प चुना, जिससे यह संकेत मिलता है कि आपके पास ऐसी कोई वस्तु नहीं है, जिसे कस्टम अधिकारियों के सामने दिखाना ज़रूरी है. लेकिन डीआरआई को मिले इनपुट के आधार पर उन्हें रोका गया और उनसे तक़रीबन दो दर्जन सोने की ईंटें बरामद की गईं.''

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