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क्या चीन और रूस के कारोबारी रिश्ते बिगड़ने लगे हैं

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रूसी अधिकारी और मीडिया अक्सर चीन के साथ अपने देश के आर्थिक रिश्तों की बेहतरीन तस्वीर पेश करता है.

दोनों रूस और चीन के बीच कारोबार और संयुक्त परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की पैरवी करते रहते हैं.

हालांकि अब रूसी कंपनियां ही चीन के साथ कारोबार करने में आ रही दिक्कतों की शिकायत कर रही हैं.

रूसी कंपनियां चीन के बैंकों की ओर से रोक दिए गए ट्रांजेक्शन और ताकतवर चीनी कंपनियों से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्द्धा की शिकायत कर रही हैं.

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रूसी अधिकारी बताते रहे हैं कि उनका देश दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है.

ऐसा करके वो ये भी जाहिर करते हैं भले ही पश्चिमी देश रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध क्यों न लगाए लेकिन चीन का साथ है तो उस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि चीन के साथ उनके देश का ‘अभूतपूर्व’ सहयोग है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से पश्चिमी देशों की कई कंपनियां बाहर चली गई हैं.

चीन पर लगा रूस का दांव Getty Images

पुतिन चाहते हैं कि उनकी जगह चीनी कंपनियां रूस में निवेश करें. इसके लिए वो चीनी कंपनियों को प्रोत्साहन देने की नीति पर भी चल रहे हैं.

साल 2023 के आख़िर में एक इन्वेस्टमेंट फोरम में पुतिन ने चीनी कंपनियों से वादा किया था कि रूस में उनकी गतिविधियों के विस्तार में आने वाली अड़चनों को खत्म कर दिया जाएगा.

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि रूस और चीन के बीच साझेदारी बढ़ रही है. दोनों के बीच 2023 में कारोबार बढ़ कर रिकॉर्ड 240 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. लेकिन अब इसमें दिक्कतें आ रही हैं.

रूस चीन को तेल और कोयले का निर्यात करता है. ये निर्यात 12.7 फीसदी बढ़ कर 129.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.

रूस को चीन का निर्यात भी 46.9 फीसदी बढ़ कर 111 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इनमें कारें और स्मार्टफोन शामिल हैं.

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    हालांकि रूस और चीन के कारोबारी रिश्तों में हाल में कुछ अड़चनें देखने को मिल रही हैं.

    रूसी कंपनियों ने चीनी बैंक के जरिये भुगतान के लिए जाने वाले चेक बाउंस होने की शिकायतें की हैं.

    रूस समर्थक दैनिक अख़बार इज़वेस्तिया ने अपने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि चीन के सबसे बड़े बैंक आईसीबीसी, सिटिक बैंक, इंडस्ट्रियल बैंक और बैंक ऑफ ताइज़ू के जरिये रूस से जुड़े भुगतानों में दिक्कतें आ रही हैं.

    बिजनेस अख़बार कोमरसेंट ने बाज़ार सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ये दिक्कत उन रूसी कंपनियों को ज्यादा हो रही है जो जटिल इलेक्ट्रॉनिक सामानों जैसे सर्वर, डेटा स्टोर सिस्टम और लैपटॉप जैसी चीजों की असेंबलिंग के लिए चीनी पुर्जों का इस्तेमाल करती हैं.

    भुगतान से जुड़ी ये दिक्कतें दिसंबर, 2023 के बाद शुरू हुई हैं. इसी महीने अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए थे. लेकिन 2024 के मार्च आते-आते स्थिति और ख़राब हो गई.

    इधर, हाल में चीन ने अपने नियम-कानूनों को और कड़ा कर दिया है.

    वो ये जानकारी मांग रहा है कि क्या कोई बिजनेस रूस की ओर से कब्जा किए गए यूक्रेन के किसी क्षेत्र से हो रहा है. या फिर कोई ट्रांजैक्शन रूसी सेना से तो जुड़ा हुआ नहीं है.

    पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद रूस और चीन के बीच कारोबार बढ़ा था. लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2024 के मार्च में 2023 के मार्च की तुलना में रूस को किया गया चीन का निर्यात 16 फीसदी घट गया है.

    रूसी बिजनेस अख़बार आरबीसी के मुताबिक़ चीनी इलेक्ट्रिकल मशीनरी, उपकरणों और पुर्जों की डायरेक्ट डिलीवरी 15 फीसदी घट गई है.

    इसी महीने चीन को रूस की ओर से किया जाने वाले कोयले का निर्यात 21 फ़ीसदी घट गया.

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    हालांकि रूस के कारोबारी हलकों में ये कहा जा रहा है कि चीन के साथ रूस ने जो कारोबारी संबंध बढ़ाए हैं, उससे दिक्कतें पैदा हो रही हैं.

    जैसे रूस की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी एवतोवाज़ के प्रमुख मैक्सिम सोकोलोव ने सरकार से विदेशी कारों पर टैक्स बढ़ाने को कहा है ताकि घरेलू बाज़ार में चीनी कंपनियों के विस्तार को काबू किया जा सके.

    सोकोलोव रूस में चीन की कार कंपनियों का असर काफी बढ़ गया है. मौजूदा दौर में रूस की पैसेंजर कार बाजार में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ कर 50 फीसदी से अधिक हो गया है.

    सोकोलोव कहते हैं कि सिर्फ रूसी वाहनों के बाज़ार के विकास को रोक रहा है बल्कि घरेलू वाहन और गाड़ियों के पुर्जे के मार्केट को भी स्थिर कर दिया है.

    इस बीच रूसी सरकार चाह रही है कि चीनी कंपनियां रूस आकर यहां के बाजार के लिए उत्पादन करें. इनमें पैसेंजर कारें, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और ड्रोन जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं.

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    लेकिन इसके उलट चीनी मीडिया में रूस के साथ कारोबार करने के मामले में शिकायतें काफी कम दिखाई दे रही हैं.

    रूस में चीन के राजदूत झांग हानहुई ने रूसी पेमेंट को लेकर चीन के तीन बैंकों की मनाही को किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप करार दिया था.

    उनका इशारा अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों की ओर था. चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक़, उन्होंने कहा था कि जल्दी ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा.

    चीन के एक सरकारी मीडिया आउटलेट गुआंचा ने इस समस्या के दो हल सुझाए हैं.

    पहला ये कि पेमेंट किसी तीसरे देश जैसे कज़ाकिस्तान या ताजिकिस्तान के जरिये ट्रांसफर किए जाएं.

    दूसरा हल ये है कि रूस के सभी पेमेंट को प्रोसेस करने के लिए एक विशेष बैंक ही बनाया जाए जो यूरो और डॉलर का इस्तेमाल किए बगैर काम करे. जैसे ईरान को तेल के लिए पेमेंट की प्रोसेसिंग में इराक़ का इस्तेमाल किया गया था.

    गुआंचा के लेख में चीनी बैंकों के कदमों का बचाव किया गया है. इसमें कहा गया है कि चीन आज भी अमेरिका के साथ 660 डॉलर और यूरोपियन यूनियन के साथ 480 अरब डॉलर का बिजनेस करता है.

    जबकि रूस के साथ तो चीन का कारोबार अभी तक तो 240 अरब डॉलर तक ही पहुंचा है.

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    गुआंचा ने लिखा है कि इस मामले में आपसी कारोबारी हितों पर ज्यादा बात होनी चाहिए. इस मामले में भावनाओं को हावी नहीं होने देना चाहिए.

    चीनी मीडिया में रूस के बाज़ार में चीन की कार कंपनियों का भी जश्न मनाया जा रहा है.

    मिसाल के तौर पर गुआंचा ने 17 फरवरी एक आलेख प्रकाशित किया था जिसमें कहा गया था कि रूसी उपभोक्ताओं की चीन के प्रति धारणा बदल गई है क्योंकि चीनी कंपनियां उन्हें हाई-क्वॉलिटी डिजाइन और उपकरण मुहैया करा रही हैं.

    दोंगचेदी.कॉम नाम की एक ऑटोमोबाइल वेबसाइट ने अपने एक लेख में कहा गया है कि रूस के मीडिया की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं. वे चाहते हैं कि रूस को निर्यात की जाने वाली हर कार रूस में ही बने.

    सीना टेक्नोलॉजी कंपनी के ऑफिशियल अकाउंट ने नए रूसी टैरिफ का ब्योरा दिया है, जिससे चीनी कारें कम से एक तिहाई महंगी हो रही हैं.

    इससे कुछ चीनी कार डीलरों ने रूसी मार्केट में अपना काम बंद कर दिया है.

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