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ईरान के कब्ज़े में मालवाहक जहाज़ पर मौजूद भारतीयों के परिजनों की क्या हैं चिंताएं

Biju Abraham बीजू अब्राहम की बेटी एंटेसा जोसेफ़ एमएससी एरीज़ जहाज़ पर सवार 17 भारतीय क्रू सदस्यों में से एक हैं.

ईरान में जब्त किए गए जहाज के चालक दल में शामिल भारतीयों के परिजनों ने केंद्र सरकार से उनकी जल्द से जल्द रिहाई की मांग की है.

भारतीय विदेश मंत्रालय की अपील पर इन लोगों को सोमवार को एक घंटे के लिए अपने परिजनों से मोबाइल पर बात करने की इजाजत दी गई.

ईरान की नौसेना ने 13 अप्रैल को भारत आ रहे मालवाहक जहाज एमएससी एरीज को जब्त कर लिया था. जहाज के चालक दल के 25 सदस्य हैं. इनमें से 17 भारतीय नागरिक हैं.

इसराइल के साथ जारी तनाव के बीच ईरान ने यह कार्रवाई की. इस जहाज का मालिक एक इसराइली व्यवसायी है. जो भारतीय इस जहाज पर हैं, उनके परिजनों ने सरकार से उनको सुरक्षित वापस लाने की मांग की है.

बुधवार को शिपिंग कंपनी (एमएससी) ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो लगातार ईरानी अधिकारियों के संपर्क में है. कंपनी ने कहा है कि सभी 25 क्रू सदस्य सुरक्षित हैं. कंपनी ईरानी अधिकारियों से जहाज़ पर रखे सामान को छुड़ाने की भी कोशिश कर रही है.

क्रू में एंटेसा जोसेफ़ Biju Abraham एंटेसा जोसेफ़ को ईरान के अधिकारी दिन में एक घंटे के लिए फ़ोन इस्तेमाल की अनुमति देते हैं.

मालवाहक जहाज़ पर सवार क्रू में एंटेसा जोसेफ़ भी हैं. भारत में बीजू अब्राहम बड़े गर्व के साथ अपनी बेटी एंटेसा जोसेफ़ के बारे में बात करते हैं.

एंटेसा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के पास ईरान के कब्ज़े में लिए गए एमएससी एरीज़ जहाज़ पर सवार 17 भारतीय क्रू सदस्यों में से एक हैं.

तनाव भरे तीन दिन गुज़रने के बाद बीजू अब्राहम ने अपनी बेटी से सोमवार रात फ़ोन पर बात की है. अब वो कुछ राहत महसूस कर रहे हैं.

अब्राहम खुद भी शिपिंग इंडस्ट्री में रेडियो इंजीनियर के तौर पर काम करते हैं.

अपनी बेटी के बारे में अब्राहम कहते हैं, "वह सिर्फ़ 21 साल की है. हम चिंता में थे. असल में जहाज़ के मुंबई में रुकने के बाद उसे आज ही घर वापस आना था."

ANI ईरान का बंदर-अब्बास बंदरगाह

अब्राहम ने बताया कि आमतौर पर उनकी बेटी रोज़ाना सुबह और शाम बात किया करती है लेकिन बीते शुक्रवार के बाद वे उससे संपर्क नहीं कर पाए थे.

शनिवार दोपहर, एमएससी (मेडिटेरेनेयन शिपिंग कंपनी) के एक कैप्टन ने परिवार को फ़ोन कर के जहाज़ के ईरान द्वारा कब्ज़े में लिए जाने के बारे में बताया.

परिवार चिंतित था क्योंकि एंटेसा से संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं बचा था. अगले दिन परिवार को बताया गया कि वह ईरान में बंदर-अब्बास पोर्ट के पास हैं.

अब्राहम ने बीबीसी हिंदी को बताया, "लेकिन बीती रात उसने हम सबसे करीब एक घंटे बात की. उसे जहाज़ पर मौजूद ईरानी बलों ने बात करने के लिए मोबाइल फ़ोन दिया था."

उन्होंने कहा, "उसने कहा कि हम चिंता न करें. ईरानी सुरक्षा बलों का क्रू सदस्यों के साथ अच्छा बर्ताव है. कोई समस्या नहीं है. खाना और अन्य ज़रूरी सुविधाएं समय पर दी जा रही हैं. सिर्फ़ एक दिक़्क़त ये है कि वे परिवार से बात करने के लिए एक घंटे ही फ़ोन दे रहे हैं. इसके बाद वे फ़ोन छीन लेते हैं."

शनिवार को ईरान ने कब्ज़े में लिया जहाज़

इसराइल पर तेहरान के हमले से कुछ घंटे पहले एमएससी एरीज़ जहाज़ पर बीते शनिवार को ईरानी बलों ने कब्ज़ा कर लिया था. इस जहाज़ का संबंध इसराइली अरबपति इयाल ओफ़ेर से है.

जहाज़ का संचालन इयाल की कंपनी ज़ॉडिएक मैरिटाइम ने लीज़ एग्रीमेंट के तहत एमएससी को सौंपा हुआ है. इस जहाज़ पर चालक दल के 25 सदस्य हैं, जिनमें से 17 भारतीय हैं.

जहाज़ पर ईरानी बलों के कब्ज़े के कुछ ही देर बाद जहाज़ में व्यापक स्तर पर तलाशी शुरू कर दी गई थी और लोगों से लैपटॉप, मोबाइल फ़ोन छीन लिए गए थे.

अब्राहम ने कहा, "बेटी ने हमें बताया कि शुरू में उन्होंने हर तरह के संवाद पर रोक लगा दी थी. सच कहूं तो मुझे अब उतनी चिंता नहीं है क्योंकि ईरान की सरकार ने अब इस जहाज़ को अपने नियंत्रण में ले लिया है."

एंटेसा को इटली की कंपनी एमएससी ने कोच्चि की इंडियन मैरिटाइम यूनिवर्सिटी से नौ महीने पहले ही भर्ती किया था.

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    अब्राहम मुस्कुराते हुए कहते हैं, "वह एमएससी की पहली महिला कैडेट थीं. वह नौ महीने से ट्रेनिंग ले रही थी. वह किसी जहाज़ की कप्तान बनना चाहती थी, वह इतनी साहसी है."

    अब्राहम के निश्चिंत होने का एक कारण ये भी है कि जब वह अदन की खाड़ी में शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (एससीआई) के जहाज़ पर थे, तो उन्हें भी एक गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा था.

    अब्राहम ने कहा, "वर्ष 2008 में सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने जहाज़ पर हमला बोल दिया. ईश्वर की कृपा से, भारतीय नौसेना और ब्रिटिश नेवी 10 मिनट के अंदर मदद के लिए पहुंच गए थे. यही वजह है कि मैं फ़िक्र नहीं कर रहा क्योंकि अब जहाज़ ईरान की सरकार के नियंत्रण में है."

    तो क्या अब्राहम की पत्नी अपने पति और बेटी की ख़तरनाक नौकरी को लेकर शिकायत नहीं करतीं? इस पर अब्राहम ठहाका लगाते हुए कहते हैं, "हां, ये सही बात है."

    अब्राहम ने कहा, "मुझे लगता है कि सब कुछ जल्द ठीक हो जाएगा. वह इस सप्ताह ही अपने घर लौट आएगी. जहाज़ मुंबई के रास्ते में है. एंटेसा को बीते सप्ताह ही लौटना था. ईश्वर महान है. मुझे भरोसा है, वह सब अच्छा करेंगे."

    अब्राहम की एक और बेटी है जो पेशे से डेटा एनालिस्ट हैं. इसके अलावा उनका एक बेटा भी है जिसने हाल ही में बारहवीं कक्षा पास की है.

    'चिंता की कोई बात नहीं...' MSC शिपिंग कंपनी ने कहा है कि ईरानी अधिकारियों से बातचीत जारी है और सभी लोग सुरक्षित हैं.

    लक्षद्वीप में केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मी विश्वानधन मेनन भी अब्राहम की तरह ही निश्चिंत हैं.

    उन्होंने बीबीसी हिंदी से कहा, "मैं भी बीती उससे (बेटे) बात करके निश्चिंत हूं. मेरा बेटा श्यामनध मेनन (31 वर्ष) जहाज़ पर इंजीनियर है. उसने हम सबसे पूरे एक घंटा फ़ोन पर बात कीक्योंकि उसे ईरानी बलों ने इतनी देर की मंज़ूरी दी थी."

    मूल रूप से कोझिकोड निवासी विश्वानधन मेनन ने शनिवार सुबह अपने बेटे से आख़िरी बार बात की थी. इसके कुछ ही देर बाद ईरानी सुरक्षा बलों ने दुबई से करीब 92 नॉटिकल माइल्स दूर हेलीकॉप्टर के ज़रिए जहाज़ को घेरा और फिर उस पर कब्ज़ा कर लिया.

    एमएससी ने इसकी सूचना शनिवार दोपहर करीब एक बजे दी थी.

    मेनन ने कहा, "मेरे बेटे ने बताया चिंता की कोई बात नहीं है. ईरानी सुरक्षाबल पूरे चालक दल का अच्छे से ख़्याल रख रहे हैं. वह अपनी शादी के बाद पिछले साल सितंबर में जहाज़ पर गया था."

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  • इस जहाज पर तैनात तमिलों का क्या हाल है? MSC

    जहाज पर तैनात एक तमिल इंजीनियर के भाई माइकल ने बीबीसी तमिल से बात की.

    उन्होंने कहा, "कल हमारे भाई को मोबाइल फोन पर परिजनों से बात करने के लिए एक घंटे का समय दिया गया था. मेरे परिवार ने मेरे भाई से बातचीत की. ईरानी सुरक्षा बल तंग नहीं कर रहे हैं. वे उसी तरह से अपना नियमित कामकाज कर रहे हैं, जैसा कि जहाज के लंगर डालने पर करते हैं."

    जहाज पर चालक दल के सभी सदस्यों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध है. लेकिन पूरा जहाज ईरान के नियंत्रण में है और किसी को भी मोबाइल फोन या लैपटॉप रखने की इजाजत नहीं दी गई है.

    यह जहाज इराक़ से भारत के जवाहरलाल नेहरू बदंरगाह के रास्ते पर था. आबू धाबी से आगे बढ़ने के बाद इसे ईरान ने जब्त कर लिया.

    उन्होंने कहा, "अगर यह ऐसा शांति के समय होता तो उनकी सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं होती. लेकिन हालात अब ऐसे नहीं हैं. सरकार को इन सभी 17 लोगों की रिहाई का आश्वासन देना चाहिए. उसे यह साफ करना चाहिए कि वे उन्हें कैसे वापस लाएगी."

    माइकल के 28 साल के भाई जहाज पर इंजीनियर के रूप में काम करते हैं. वह जहाज पर पिछले पांच साल से काम कर रहे हैं. वो जनवरी के अंत में तमिलनाडु आए थे और फरवरी में वापस चले गए थे.

    जो 17 भारतीय नागरिक जहाज के चालक दल में हैं, उनमें से चार तमिलनाडु के हैं. इन चार लोगों में से दो थुथूकुडी जिले और एक-एक कुड्डालोर और तंजावुर जिले के निवासी हैं.

    सोमवार को थुथूकुडी के सीमैन एसोसिएशन ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा था. उनसे इन लोगों को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की गई थी. वहीं, इन नाविकों के परिवारों ने तमिलनाडु सरकार से संपर्क कर मदद की अपील की है.

    तमिलनाडु सरकार का अनिवासी तमिल विभाग दूसरे देशों में रह रहे तमिलों के कल्याण के लिए काम करता है.

    इस विभाग के एक अधिकारी ने बीबीसी से कहा, "जहाज पर तैनात तमिलों से दो तूतीकोरिन के रहने वाले हैं. वहीं एक कुड्डालोर और एक मन्नारगुडी का रहने वाला है. कुड्डालोर के रहने वाले व्यक्ति के परिवार से अब तक संपर्क नहीं हो पाया है. हमने इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय के भारतीय मिशन को लिखा है. कल उन्हें अपने परिजनों से मोबाइल फोन पर बात करने के लिए एक घंटे का समय दिया गया था."

    (बीबीसी तमिल सेवा की वी शारदा की अतिरिक्त रिपोर्टिंग के साथ)

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