Nitya Vedantam फरवरी में क्लासिकल डांसर अमरनाथ घोष की मौत हो गई थी.इस साल अमेरिका में अब तक 11 भारतीय या भारतीय मूल के छात्रों की मौत हो चुकी है, अमरनाथ घोष इनमें से एक हैं. ऐसे में यहां रह रहे भारतीय समुदाय में डर पैदा हो गया है.इन लोगों की मौत की वजह अलग-अलग बताई जा रही है. किसी की हाइपोथर्मिया की वजह से तो किसी की गोली लगने से मौत हुई है.जानकारों का कहना है कि इन मौतों के बीच आपस में कोई स्पष्ट संबंध नहीं है.हर एक मौत के बाद कैंपस में हलचल रहती है. छात्र डर के बीच अपनी दैनिक दिनचर्या और पढ़ाई-लिखाई जारी रख रहे हैं.सुशील कहते हैं, "हम अंधेरा होने के बाद बाहर जाने से बचते हैं. हमने उन जगहों की पहचान की है जो शाम के समय असुरक्षित हैं. इससे ज़्यादा हम और क्या कर सकते हैं?''सुशील की ही तरह कई ऐसे और लोग हैं जो शिकायत करते हैं कि मौतों के बारे में जानकारी उन्हें यूनिवर्सिटी से समय से नहीं मिलती बल्कि भारतीय मीडिया और रिश्तेदारों से इसके बारे में पता चलता है. अप्रैल में एक और भारतीय छात्र की हुई है मौत cleveland state university क्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटीक्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 25 साल के मोहम्मद अब्दुल अरफात मार्च से लापता थे.इस महीने उन्हें मृत पाया गया. एक छात्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उन्होंने और अरफात ने एक साथ ही कॉलेज में दाखिला लिया था.अरफात की मौत के बारे में उन्हें अपने माता-पिता के एक वॉट्सअप मैसेज से पता चला. वो कहते हैं, ''मेरे माता-पिता ने याद दिलाया कि मुझे सतर्क रहना होगा.''साल 2022-23 में करीब 267,000 भारतीयों ने अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला लिया. इस आंकड़े के साल 2030 तक दस लाख तक पहुंचने का अनुमान है.न्यूयॉर्क में रहने वाली एजुकेशन एक्सपर्ट राजिका भंडारी कहती हैं, ''भारत में अमेरिकी से ली गई डिग्री की चाहत बहुत ज़्यादा है, भारतीय परिवार इस तरफ़ आकर्षित होते हैं.''न्यू जर्सी स्थित ड्रू यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर सांगय मिश्रा कहते हैं कि इन मौतों में आपसी संबंध वाला कोई "स्पष्ट पैटर्न" नहीं है और इस नैरेटिव में नहीं फंसना चाहिए कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ये भारतीय हैं.''वो कहते हैं, ''मैंने ऐसा कुछ नहीं पाया जिससे लगे कि ये नस्लीय दुश्मनी की वजह से हो रहा है या ये नस्ल के आधार पर हमले के मामले हैं.''अग्निपथ में भर्ती के लिए बेक़रार नेपाल के नौजवान, सियासत पर अटकी बातअपहरण और ख़तरनाक सफर: जान जोखिम में डालकर ये लोग कैसे जा रहे अमेरिकाग़ज़ा की इस तस्वीर ने जीता 'वर्ल्ड प्रेस फ़ोटो ऑफ़ द ईयर' अवॉर्ड, क्या है पूरी कहानी ऐसे छात्रों के माता-पिता क्या सोचते हैं? Getty Images साल 2022-23 में करीब 267,000 भारतीयों ने अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला लिया.अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों से नियमित संपर्क बनाए रखने की कोशिश करते हैं.मीनू अवल का बेटा यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया में पढ़ता है, वो कहती हैं, ''जब हम भारत में बैठकर ऐसी ख़बरें सुनते हैं तो हमें डर लगता है.''अवल कहती हैं कि उन्होंने अपने बेटे से कहा है कि डकैती हो जाए फिर भी जवाबी प्रतिक्रिया नहीं देनी है.वो कहती हैं, ''मैंने उससे कहा है कि ऐसी स्थिति में वो नकदी या जो भी हो वो दे दे और वहां से चला जाए.''जयपुर की रहने वाली नीतू मर्दा की बेटी न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ती हैं. नीतू हर रोज़ अपनी बेटी से बात करती हैं और उसके दोस्तों के नंबर भी अपने पास रखती हैं.वो कहती हैं, ''मैंने उसे अनजान लोगों के साथ अकेले बाहर नहीं जाने की हिदायत दी है.'' बेहद दबाव में होते हैं छात्र Getty Images सांकेतिक तस्वीरअलग-अलग परिसरों में रहने वाले छात्र भी अपने हिसाब से सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं.अनुष्का मदान और इशिका गुप्ता, मैसाचुसेट्स स्थित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में एसोसिएशन ऑफ साउथ एशियंस की को-प्रेसिडेंट हैं.इन दोनों का कहना है कि सुरक्षा से जुड़े कुछ नियम-कानून हैं, जैसे रात में कैंपस में अकेले नहीं घूमना है.इशिका गुप्ता कहती हैं, ''बोस्टन आम तौर पर काफी सुरक्षित है, लेकिन अब हम थोड़ा और सतर्क रहते हैं और आसपास नज़र बनाए रखते हैं.''शारीरिक सुरक्षा के साथ-साथ यूनिवर्सिटीज, छात्रों पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक दबाव के बारे में भी जागरूक हैं.एजुकेशन एक्सपर्ट भंडारी कहती हैं, ''ये तो साफ हो गया है कि अंतरराष्ट्रीय छात्र मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. इसकी वजह अत्यधिक वित्तीय दबाव के साथ शैक्षणिक दबाव है, ताकि उनके वीजा स्टेटस पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.''वो आगे कहती हैं, ''ऐसे में जब ये छात्र अपने घरों से हज़ारों मील दूर रहते हैं, ये बहुत बड़ा मानसिक दबाव है.''सीएसयू में कम्युनिकेशन की एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर रीना अरोड़ा-सांचेज़ कहती हैं, "अंतरराष्ट्रीय छात्र जब अपना सपोर्ट सिस्टम छोड़कर एक नई संस्कृति की तरफ बढ़ते हैं तो वो भारी तनाव से गुजरते हैं.'' भारतीय छात्रों को किस तरह की मदद मिलती है? Getty Images अमेरिकी डिग्रियों के लिए भारत में आकर्षण काफी ज़्यादा हैअमेरिका में भारतीय दूतावास छात्रों के लिए दिशा निर्देश जारी करता रहता है कि कैसे दूतावास से संपर्क किया जा सकता है. इसके अलावा समय-समय पर ऑनलाइन और इन-पर्सन सेशन भी रखे जाते हैं.प्रथम मेहता, जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इंडिया क्लब के प्रेसिडेंट हैं.प्रथम कहते हैं कि वो बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों तक पहुंच गए हैं. कैंपस में कई तरह की थेरेपी सर्विसेज हैं. साथ ही क्लब ऐसे छात्रों को भारतीय दूतावास तक संपर्क करने में मदद करता है जो असुरक्षित महसूस करते हैं.वे कहते हैं, "सीएसयू एक ऐसा ऐप सर्विस देता है जिससे छात्र, पुलिस डिपार्टमेंट से संपर्क कर सकते हैं, इसके जरिए कैंपस और आसपास के इलाकों में जहां छात्र रहते हैं वहां तक मुफ़्त सेफ्टी एस्कॉर्ट सर्विस भी दी जाती है."भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने फरवरी में कहा था, "हम भारतीयों को ये सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अमेरिका पढ़ने और रहने के लिए सुरक्षित और शानदार जगह है.''लेकिन हाल ही में हुई मौतों ने इस मुद्दे की तरफ़ ध्यान खींचा है.एजुकेशन एक्सपर्ट भंडारी कहती हैं, ''अमेरिकी यूनिवर्सिटीज ये जानती हैं कि भारतीय छात्रों में विदेश में पढ़ने को लेकर भारी भूख है जो बढ़ती जा रही है.''वो कहती हैं, ''लेकिन ये भी साफ़ है कि सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं हैं.''अनिश्चितताओं के बावजूद, छात्रों के लिए अमेरिका एक पसंदीदा जगह बना हुआ है.जयपुर के रहने वाले स्वराज जैन इस साल अगस्त में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी जाने वाले हैं. वो बेहद उत्साहित हैं और उन्हें चुनौतियों का अंदाजा भी है.वो कहते हैं, ''हर कोई हिंसा और अपराध के बारे में बात करता है, मुझे सतर्क रहना होगा.''(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और