ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए पेरिस में कैसी है तैयारी

दुनिया का सबसे बड़ा खेल आयोजन इस बार फ्रांस की राजधानी पेरिस में हो रहा है.
पेरिस में 26 जुलाई से 11 अगस्त के बीच दुनिया भर के लगभग 10,500 खिलाड़ी, 329 स्पर्धाओं में ओलंपिक पदक के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे. इसमें भारत के 120 एथलीट्स भी शामिल होंगे.
पेरिस में ही 28 अगस्त से 8 सितंबर तक पैरालंपिक खेल होंगे, जिसमें 549 स्पर्धाओं में 4,400 एथलीट्स पदक के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहेंगे.
पैरालंपिक्स में जहां 184 देश अपने खिलाड़ी भेज रहे हैं, वहीं ओलंपिक खेलों में इस बार 206 देशों के खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं.
खेलों के दौरान डेढ़ करोड़ से अधिक पर्यटकों के पेरिस पहुंचने की उम्मीद है.
पहले आशंका जताई जा रही थी कि फ्रांस में संसदीय चुनावों की वजह से ओलंपिक खेलों के आयोजन पर असर पड़ सकता है. लेकिन अब वहां संसदीय चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं.
एथलेटिक्स की अधिकतर स्पर्धाएं पेरिस के बाहरी इलाक़े में बने ओलंपिक स्टेडियम- स्टेड द फ्रांस में होंगी.
इसके अलावा, सेंट्रल पेरिस में ही ओलंपिक खेलों के लिए 15 और पैरालंपिक खेलों के लिए 11 स्थान तय किए गए हैं.
पेरिस ओलंपिक आयोजन के दौरान सुरक्षा के मद्देनज़र व्यापक तैयारियां की गई हैं.
ड्रोन हमले जैसे ख़तरों के बीच, फ्रांस की सरकार ने ओलंपिक ओपनिंग सेरेमनी के लिए दर्शकों की संख्या में कटौती की है.
इस दौरान सेंट्रल पेरिस से सीन नदी के छह किलोमीटर लंबे रास्ते पर, अलग-अलग देशों के खिलाड़ियों के दल, बोट्स में परेड की शक्ल में देखे जा सकते हैं.
सीन नदी के किनारे इस आयोजन को देखने के लिए पहले छह लाख लोगों को अनुमति देने की योजना थी. लेकिन अब सरकार का कहना है कि केवल तीन लाख आमंत्रित अतिथियों को ही वहां आने की इजाज़त होगी.
हालांकि सुरक्षा के मद्देनज़र ओपनिंग सेरेमनी का स्थान बदलकर किसी स्टेडियम में भी किया जा सकता है.
फ्रांस की सरकार सुरक्षा के लिए लगभग बीस हज़ार सैनिकों और 40 हज़ार से अधिक पुलिस अधिकारियों को तैनात कर रही है.
सुरक्षा इंतज़ामों के लिए फ्रांस को अन्य देशों से लगभग दो हज़ार सैनिकों और पुलिस अधिकारियों की मदद मिलेगी.
ओलंपिक खेलों से पहले फ्रांस के सैनिकों को संभावित ख़तरों से निपटने के लिए स्पेशल सिक्योरिटी ट्रेनिंग दी गई है.
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दो देश ऐसे हैं, जिन्हें पेरिस ओलंपिक में अपनी टीमों को भेजने की इजाज़त नहीं दी गई है.
रूस और बेलारूस दोनों ही देशों की टीमें पेरिस ओलंपिक में नज़र नहीं आएंगी.
रूस को यूक्रेन पर हमले की वजह से और बेलारूस को रूस का समर्थन करने की वजह से पेरिस ओलंपिक से दूर रखा गया है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि इन दोनों ही देशों के खिलाड़ी ‘न्यूट्रल एथलीट्स’ के तौर पर पेरिस ओलंपिक में अपनी दावेदारी का अवसर पा सकते हैं.
लेकिन ‘न्यूट्रल एथलीट्स’ ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में शामिल नहीं हो सकते. यहां तक कि मेडल जीतने पर उनका राष्ट्रीय गान नहीं बजाया जाएगा, ना ही उनके राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाएंगे.
सोवियत यूनियन ने वर्ष 1984 के ओलंपिक खेलों की तर्ज़ पर ‘फ्रेंडशिप गेम्स’ का आयोजन किया था. रूस वर्ष 2024 में भी ऐसा ही करने जा रहा है.
रूस का कहना है कि वो अपने एथलीट्स के साथ किए जा रहे बर्ताव से ‘बेहद नाराज़’ है. रूस ने एलान किया है कि वो इसी साल सितंबर में मॉस्को और येकातेरिनबर्ग में ‘वर्ल्ड फ्रेंडशिप गेम्स’ का आयोजन करेगा.
इससे पहले वर्ष 1984 में सोवियत यूनियन ने लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों का बहिष्कार करते हुए इसी तरह का आयोजन किया था.
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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी (आईओसी) की इस बात के लिए आलोचना की है कि ग़ज़ा में सैन्य ऑपरेशन की वजह से इसराइल को पेरिस ओलंपिक में प्रतिबंधित नहीं किया गया.
हालांकि आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाख ने रूस की इस मांग को ख़ारिज करते हुए पेरिस ओलंपिक में इसराइल के शामिल होने की पुष्टि की है.
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एक सर्वेक्षण से ये संकेत मिलता है कि पेरिस के 44 प्रतिशत लोग ओलंपिक की मेज़बानी से ख़ुश नहीं हैं और उनमें से कई लोग आयोजन के दौरान शहर से बाहर जाने की योजना बना रहे हैं.
ओलंपिक खेलों के दौरान पेरिस में बस और मेट्रो का किराया दोगुना होगा.
ओलंपिक और पैरालंपिक गांव के साथ ही एक नया एक्वाटिक्स सेंटर, पेरिस के जिस बाहरी ‘सीन-सेंट-डेनिस’ इलाके में बनाए गए हैं, वो फ्रांस के सबसे ग़रीब हिस्सों में से एक है.
नए आयोजन स्थलों के पास बनी इमारतों में अवैध तरीके से रहने वाले सैकड़ों लोगों को वहां से हटाया गया है.
पेरिस में ओलंपिक आयोजन के मद्देनज़र सुरक्षा संबधी कई पाबंदियां होंगी, जिससे शहर के कई लोग चिढ़े हुए हैं.
पेरिस में रहने वाले एक ऐसे ही व्यक्ति ने बीबीसी से कहा, “पेरिस बर्दाश्त से बाहर होगा, गाड़ी पार्क करना मुमकिन नहीं होगा, आसपास जाना संभव नहीं होगा, हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे.”
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