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आईपीएल: धुआंधार बल्लेबाज़ी से बेसबॉल में तब्दील हो रहा है क्रिकेट

Getty Images इंग्लैंड के जोस बटलर ने राजस्थान रॉयल्स के लिए तीन पारियों ने दो शतक बनाए हैं

दुनिया के सबसे ज़्यादा पैसे वाले क्रिकेट टूर्नामेंट आईपीएल में इस साल रनों की लूट मची हुई है. देश भर के क्रिकेट के मैदानों में बल्लेबाज़ों ने सावधानी और सतर्कता का जामा उतार फेंका है.

वो बड़ी बेरहमी से धुआंधार बल्लेबाज़ी कर रहे हैं और लगभग हर मैच को छक्के मारने के मुक़ाबले में तब्दील कर रहे हैं.

इससे जहां गेंदबाज़ हताश और लाचार नज़र आते हैं.

खेल के जानकार और प्रशंसकों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर टी-20 क्रिकेट किस दिशा में जा रहा है.

इस साल आईपीएल में बल्लेबाज़ों ने जो कोहराम मचाया हुआ है, उसे समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े बताता हूं.

मंगलवार की रात चेन्नई सुपर किंग्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच हुए 39वें मुक़ाबले तक इस बार के आईपीएल में 1191 चौके और 686 छक्के लगाए जा चुके थे. इसकी तुलना में 2023 के आईपीएल में 2174 चौके और 1124 छक्के जड़े गए थे. इस साल तो आईपीएल का लगभग आधा सीज़न अभी बाक़ी है.

ऐसे में ये उम्मीद लगाना बेमानी नहीं होगा कि इस साल के आईपीएल में पिछले बरस का रिकॉर्ड टूटना तय है.

बल्लेबाज़ों के चौकों और छक्कों की बरसात करने से उनकी टीमों के हौसले भी बुलंद हुए हैं.

आईपीएल के शुरुआती दौर में 150 से 160 तक का स्कोर डिफेंड करने लायक़ समझा जाता था. लेकिन, आज ये स्कोर बनाने वाली टीम को 10 में से 8 मैचों में हार का सामना करना पड़ता है.

SAJJAD HUSSAIN/AFP via Getty Images आईपीएल में युवराज सिंह (फ़ाइल फ़ोटो)

स्कोरिंग में आए इस बदलाव को समझने के लिए आपको 2007 के पहले टी-20 मैच की याद दिलाते हैं, जब युवराज सिंह ने स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर की सभी छह गेंदों पर छक्के लगाए थे.

उस मैच में भारत ने 218 का स्कोर खड़ा किया था, जिसे उस वक़्त बहुत बड़ी उपलब्धि क़रार दिया गया था.

हालांकि, आज 16 बरस बाद टी-20 मैचों में किसी भी टीम का 200 या इससे ज़्यादा स्कोर खड़ा करना आम बात हो चुकी है.

मंगलवार तक इस आईपीएल सीज़न के दौरान हुए 39 मैचों में टीमों ने 19 बार 200 से ज़्यादा का आंकड़ा पार किया है. 9 मैच ऐसे हुए हैं, जिनमें दोनों टीमों का स्कोर मिलाकर 400 के पार चला गय था. दो मैचों में तो हैरान करते हुए कुल रन 500 से भी ज़्यादा हो गए थे.

बात इतनी ही नहीं है.

इस आईपीएल सीज़न में प्रति ओवर औसत रन रेट दस का रहा है.

वैसे तो हैदराबाद सनराइज़ की टीम की बहुत ज़्यादा शोहरत नहीं है. मगर, इस सीज़न में हैदराबाद की टीम रिकॉर्ड बनाने वाले एक के बाद एक कई मकाम हासिल कर चुकी है.

आम हुआ 200 पार का स्कोर AFP ट्रैविस ने टी20 के इतिहास में पावरप्ले के दौरान अपनी टीम के लिए रिकॉर्ड रन बनाए

दिल्ली कैपिटल्स के ख़िलाफ़ अपने पहले मैच में हैदराबाद सनराइज़ के बल्लेबाज़ों ने पावरप्लेन में 125 रन बनाए थे, जो अब से पहले कभी नहीं हुआ था. इसका औसत 20.83 रन प्रति ओवर बैठता है, जिसे देखकर दिमाग़ चकरा जाए.

हैदराबाद सनराइज़ ने इस सीज़न में तीन बार एक पारी में 250 से ज़्यादा रन बनाए हैं. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के ख़िलाफ़ तो उन्होंने 287 रन का स्कोर खड़ा कर दिया था, जो आईपीएल के सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड है.

इससे संकेत मिलता है कि इस सीज़न में ही 300 के स्कोर की सीमा भी पार हो सकती है.

टी20 मैच मिज़ाजन बड़े रोमांचक मुक़ाबलों की गारंटी देता है. बल्लेबाज़ों से उम्मीद की जाती है कि वो लगातार धुआंधार बल्लेबाज़ी करें.

एक भी गेंद का ख़ाली जाना नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त समझा जाता है. बल्लेबाज़ों की ये ज़िम्मेदारी होती है कि वो हर गेंद पर ज़्यादा से ज़्यादा रन बनाएं.

इसके लिए उन्हें खुलकर खेलने की पूरी छूट होती है. इस रणनीति में जोखिम तो होते हैं, लेकिन, इस सीज़न में जिस तरह चौकों और छक्कों की बरसात हो रही है, वो असाधारण है.

ऐसी विस्फोटक बल्लेबाज़ी की वजह क्या है? AFP पंजाब सुपर किंग्स के पल्लेबाज़ आशुतोष शर्मा ने मुंबई के खिलाफ एक मैच में 28 गेंदों में 61 रन बनाए थे

पहली वजह तो समतल पिच है.

सफ़ेद गेंद वाले वनडे और टी20 मैचों के लिए पूरी दुनिया में ये बुनियादी उसूल है कि पिच को बल्लेबाज़ों के लिए मुफ़ीद बनाया जाता है न कि गेंदबाज़ों के लिहाज़ से ‘ख़तरनाक’. चूंकि दर्शक टी20 मैचों में ज़बरदस्त एक्शन देखना चाहते हैं.

ऐसे में इस तरह के मैचों में बड़े बड़े शॉट खेलना एक आम बात बन गई है. फैन्स हों, कमेंट्री करने वाले हों या फिर प्रायोजक, सबको बल्लेबाज़ों से यही अपेक्षा रहती है. और, मैच में इसको बढ़ावा देने के लिए हर मुमकिन क़दम उठाए जाते हैं.

टी20 के दूसरे मुक़ाबलों के उलट, आईपीएल इस बात को बहुत गंभीरता से लेता है और ये सुनिश्चित किया जाता है कि पिचों को बल्लेबाज़ों के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मुफ़ीद बनाया जाए.

हालांकि, गेंदबाज़ों को केवल समतल पिचों की चुनौती भर का सामना नहीं करना पड़ता.

बल्लेबाज़ पहले की तुलना में ज़्यादा चुस्त दुरुस्त, ताक़तवर और सबसे अहम बात जोखिम लेने वाले बन गए हैं. ख़ास तौर से टी20 के शुरुआती दौर में अपना करियर शुरू करने वाले बल्लेबाज़.

वो बल्लेबाज़ी करते वक़्त ज़्यादा जोखिम लेते हैं. वो मैच और इनाम जीतने के लिए और अपने प्रतिद्वंदी को पछाड़ने के लिए बड़े ख़तरनाक ढंग से बल्लेबाज़ी करते हैं.

नियमों में कुछ ऐसे बदलाव भी किए गए हैं, जिनकी वजह से टी20 के मुक़ाबलों में गेंदबाज़ों के लिए गुंजाइश कम बची है.

मिसाल के तौर पर इस आईपीएल सीज़न में इम्पैक्ट सब्स्टीट्यूट की व्यवस्था लागू करने की वजह से कोच और कप्तान को किसी खिलाड़ी को अपनी ज़रूरत के सटीक समय पर उतारने का विकल्प मिल गया है.

ये एक दिलचस्प बदलाव है, और असरदार विकल्प के तौर पर किसी गेंदबाज़ को भी बीच मैच में उतारा जा सकता है. लेकिन, अभी तक तो इसका फ़ायदा उन खिलाड़ियों को ही मिलता दिख रहा है, जो बल्लेबाज़ी के उस्ताद हैं.

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  • गेंदबाज़ी बनी मुश्किल AFP via Getty Images

    क्रिकेट में एक पुरानी और घिसी-पिटी कहावत चलती आई है कि ये बल्लेबाज़ों का खेल है. लेकिन, इन दिनों क्रिकेट की परिचर्चाओं में ये बहस बड़े ज़ोर शोर से चल रही है कि गेंद और बल्ले के बीच ये बढ़ता असंतुलन टी20 के लिए सही है या नहीं है.

    दिलचस्प बात ये है कि भारत के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर इस बहस में गेंदबाज़ों के समर्थन में खड़े नज़र आते हैं.

    गावस्कर कहते हैं कि, ‘अगर ये मुक़ाबले इस क़दर इकतरफ़ा हो जाएंगे, तो लोगों की इस खेल में दिलचस्पी और मैच का मज़ा ही ख़त्म हो जाएंगे.’

    गावस्कर का सबसे बड़ा शिकवा तो ये है कि बाउंड्री की दूरी को पहले के 75 गज से घटाकर 65 गज या उससे भी कम कर दिया गया है.

    वो अपनी नाराज़गी जताते हुए कहते हैं कि, ‘कोई गेंदबाज़, अपने सामने खड़े बल्लेबाज़ को ग़लती करने के लिए मजबूर करता है. पर, इसके बदले में उसको चौके या छक्के का जुर्माना भुगतना पड़ता है. बल्लेबाज़ का जो शॉट उसे कैच आउट करा सकता था, वो छक्के में तब्दील हो जाता है.’

    आजकल के बल्लों की बेहतर कुशलता को देखते हुए कोई ग़लत शॉट भी लंबी दूरी तय करके गेंद को बाउंड्री के पार भेज सकता है. इससे गावस्कर की शिकायत वाजिब नज़र आती है.

    बल्लेबाज़ों के हावी होने से जुड़े एक और दिलचस्प पहलू की तरफ़ दक्षिण अफ्रीका के तेज़ गेंदबाज़ रहे डेल स्टेन ध्यान दिलाते हैं.

    उनकी नज़र में ऐसे मुक़ाबले किसी गेंदबाज़ के हुनर और उसके मिज़ाज के लिए चुनौती बन जाते हैं. डेल स्टाइन कहते हैं कि, ‘गेंदबाज़ों के लिए चार ओवरों में हीरो बनने का मौक़ा भी होता है और उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन भी मिलता है.’

    टी20 के मैचों में जिस कौशल और जिस मानसिकता की ज़रूरत होती है, वो क्रिकेट में चलन में रही पुरानी सोच से काफ़ी बदल चुके हैं.

    नए और बदले हुए माहौल में सभी खिलाड़ियों से ये उम्मीद की जाती है कि वो ख़ुद को वक़्त और ज़रूरत के मुताबिक़ ढालें, आक्रामक रुख़ अपनाएं और खेल में प्रासंगिक बने रहने के लिए नए नए तरीक़े भी आज़माएं.

    पर, अगर हम क्रिकेट को गॉल्फ और बेसबाल का घालमेल बनने से बचाना चाहते हैं, तो टी20 मैचों में गेंद और बल्ले के बीच संतुलन को बराबर बनाए रखना होगा.

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