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महुआ मोइत्रा को चुनौती देने वाली बीजेपी उम्मीदवार अमृता राय कौन हैं?

SANJAY DAS

10 मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में आयोजित रैली में तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, तो मुर्शिदाबाद ज़िले की बहरमपुर सीट पर सबसे ज्यादा चर्चा शुरू हुई थी.

वहाँ पाँच बार के विजेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के मुक़ाबले पार्टी ने क्रिकेटर यूसुफ़ पठान को मैदान में उतारा था.

लेकिन अब बीजेपी उम्मीदवार अमृता राय के मैदान में उतरने के कारण नदिया ज़िले की कृष्णनगर सीट पर भी मुक़ाबला दिलचस्प हो गया है.

आख़िर कौन हैं अमृता राय, जिनको टीएमसी की निष्कासित सांसद और पार्टी उम्मीदवार महुआ मोइत्रा के ख़िलाफ़ मैदान में उतार कर बीजेपी ने इस सीट को सुर्ख़ियों में ला दिया है.

अमृता राय की उम्मीदवारी ने एक बार फिर राजा-रजवाड़ों के दौर और ब्रिटिश शासनकाल की घटनाओं पर आरोप-प्रत्यारोप और बहस तेज़ कर दी है.

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  • टीएमसी का मज़बूत गढ़ SANJAY DAS

    कृष्णनगर साल 2009 से ही टीएमसी का मज़बूत गढ़ रहा है.

    उस साल हुए लोकसभा चुनाव में टीएमसी उम्मीदवार और अभिनेता तापस पाल ने सीपीएम उम्मीदवार ज्योतिर्मयी सिकदर को 77 हज़ार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हरा कर सीट जीती थी.

    उसके बाद 2014 में भी तापस पाल ने इस सीट पर क़ब्ज़ा बरकरार रखा था. उन दोनों चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार सत्यब्रत मुखर्जी तीसरे स्थान पर रहे थे.

    साल 2019 में ममता बनर्जी ने तापस पाल की जगह यहाँ से महुआ मोइत्रा को टिकट दिया.

    उन्होंने भी बीजेपी के कल्याण चौबे को क़रीब 63 हज़ार वोटों के अंतर से हरा कर यहाँ टीएमसी की जीत का सिलसिला क़ायम रखा.

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    महुआ को बीते साल के आख़िर में नकदी के बदले सवाल पूछने के आरोप में संसद की सदस्यता गँवानी पड़ी थी. यह मामला अब भी अदालत में है.

    उसके बाद ममता बनर्जी ने सूची जारी करने से पहले ही कृष्णनगर सीट से महुआ को ही टिकट देने का संकेत दे दिया था.

    नदिया ज़िले का मुख्यालय कृष्णनगर जालंगी नदी के किनारे बसा हुआ है.

    माना जाता है कि राजा कृष्णचंद्र राय (1728-1782) के नाम पर इस शहर का नाम कृष्णनगर पड़ा था.

    एक अन्य मान्यता के मुताबिक़, राजा कृष्णचंद्र राय श्रीकृष्ण के भक्त थे. इसलिए उन्होंने इस शहर का नाम कृष्णनगर रखा था.

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  • बशीरहाट संसदीय सीट SANJAY DAS

    अब बीजेपी ने महुआ मोइत्रा के मुक़ाबले जिन अमृता राय को यहाँ से उम्मीदवार बनाया है, वो राजा कृष्णचंद्र राय के घराने से ही ताल्लुक़ रखती हैं.

    उनको इलाक़े में रानी माँ या राजमाता कहा जाता है.

    बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह सीट किस क़दर नाक का सवाल बन गई है, यह इसी से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद अमृता राय से फोन पर बातचीत की है.

    इससे पहले उन्होंने बशीरहाट संसदीय सीट से उम्मीदवार और संदेशखाली की रेखा पात्रा से भी बात की थी.

    प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद अमृता का कहना था, "मैदान में लड़ाई होगी. प्रधानमंत्री के फ़ोन से मेरा उत्साह काफ़ी बढ़ गया है. वो मेरी प्रेरणा हैं."

    भ्रष्टाचार का आरोप ANI

    बीजेपी के एक नेता बताते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी ने राजमाता अमृता रॉय से कहा कि भ्रष्टाचारियों ने आम जनता का पैसा लूटा है और ईडी ने उन भ्रष्टाचारियों से जो भी संपत्ति और धन जब्त किया है, उसे ग़रीब जनता में बाँट दिया जाएगा. यह रकम क़रीब तीन हजार करोड़ है. यह सुनिश्चित करने के लिए वे क़ानूनी विकल्प तलाश रहे हैं."

    बीजेपी टीएमसी नेताओं पर लगातार भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए निशाना साधती रही है.

    अमृता राय यूँ तो कोलकाता में रहती हैं. लेकिन वो पर्व-त्योहार के मौक़े पर सपरिवार राजबाड़ी आती रहती हैं.

    राजबाड़ी में होने वाली दुर्गापूजा भी काफ़ी मशहूर है. कृष्णनगर सीट से राजमाता की उम्मीदवारी के कयास तो पहले से ही लगाए जा रहे थे.

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  • राजनीति में क़दम SANJAY DAS

    लेकिन इस पर मुहर लगी 20 मार्च को उनके औपचारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद.

    यहाँ इस बात का ज़िक्र भी ज़रूरी है कि अमृता राय इस राजपरिवार से राजनीति में क़दम रखने वाली पहली सदस्य हैं.

    अमृता राय ने अपनी उम्मीदवारी के एलान के बाद पत्रकारों से कहा था, "नदिया ज़िले के इतिहास में राजा कृष्णचंद्र के योगदान के बारे में सब लोग जानते हैं. देश की आज़ादी में भी राजपरिवार का योगदान रहा है. मैं राजपरिवार की बहू के तौर पर नहीं आम लोगों की आवाज़ बनने के लिए राजनीति के मैदान में उतरी हूँ."

    इस बीच, अमृता राय की उम्मीदवारी पर विवाद भी तेज़ होने लगा है.

    'बंगाल और देश' SANJAY DAS

    तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि राजमाता के परिवार ने ब्रिटिश शासकों का पक्ष लिया था.

    पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोप लगाया है कि ब्रिटिश सेना के ख़िलाफ़ बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की लड़ाई के दौरान राजा कृष्णचंद्र ने ब्रिटिश सैनिकों की सहायता की थी. हालाँकि अमृता राय ने इन आरोपों को निराधार बताया है.

    उनका कहना था, "बंगाल और देश के तमाम लोग जानते हैं कि यह आरोप पूरी तरह झूठ है. आरोप लगाया जा रहा है कि महाराजा कृष्णचंद्र राय ने अंग्रेज़ों का साथ दिया. लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया? दरअसल उन्होंने ऐसा सिराजुद्दौला की प्रताड़ना की वजह से किया. अगर वह ऐसा नहीं करते तो क्या सनातन धर्म बच पाता? नहीं. अगर ऐसा है तो हम यह क्यों नहीं कह सकते कि महाराजा ने हमें सांप्रदायिकता विरोधी हमले से बचाया."

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  • साल 1961 में हुगली ज़िले के चंदन नगर में पैदा होने वाली अमृता की शादी 1981 में राजा कृष्णचंद्र के परिवार के सदस्य सौमीश चंद्र राय के साथ हुई थी.

    उसी वजह से इलाक़े के लोग उनको रानी माँ के तौर पर पहचानते हैं.

    अमृता की पढ़ाई-लिखाई कोलकाता के ला मार्टिनियर स्कूल और रानी बिड़ला कॉलेज से हुई. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कोलकाता के ही लारेटो कॉलेज में दाखिला लिया था. लेकिन किसी वजह से ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी. आगे चल कर उन्होंने शौकिया फ़ैशन डिजाइनिंग का भी काम किया.

    सौमीश और अमृता राय के पुत्र मनीष चंद्र कोलकता हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं. पूरा परिवार कोलकाता में रहने के बावजूद उत्सव के मौक़े पर राजबाड़ी पहुँचता है.

    सीट की अहमियत

    राजबाड़ी की दुर्गापूजा और जगद्धात्री पूजा काफ़ी मशहूर है. उस दौरान दूर-दूर से लोग वहाँ पहुँचते हैं. अमृता राय के दादा और पिता जज थे.

    अमृता बताती हैं, "मेरे पिता किशोर मुखोपाध्याय मशहूर जज थे. मेरे दादा सुधांशु शेखर मुखोपाध्याय को टाइगर ऑफ़ क्रिमिनल लॉ कहा जाता था. संविधान तैयार करते समय भी उनसे सलाह ली गई थी. दादा और पिता के पेशे के कारण ही यह परिवार चंदन नगर से कोलकाता के बालीगंज आ गया था."

    अमृता राय के मैदान में उतरने से इस सीट की अहमियत कितनी बढ़ गई है, इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि सिर पर लगी चोट ठीक होने के बाद पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी कृष्णनगर के धुबुलिया में 31 मार्च को चुनावी रैली से अपना चुनाव अभियान शुरू करेगी. बावजूद इस तथ्य के कि यहाँ मतदान 13 मई को होना है.

    चुनाव प्रचार की शुरुआत

    उम्मीदवारों के नाम से ऐलान से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कृष्णनगर में एक जनसभा को संबोधित कर चुके हैं.

    कृष्णनगर में मतुआ वोटरों की भी ख़ासी तादाद है. इस समुदाय को बीजेपी का समर्थक माना जाता है.

    राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़, ममता का यहाँ से चुनाव प्रचार शुरू करना मतुआ समुदाय को लुभाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

    बीजेपी के एक नेता बताते हैं, "रानी माँ राजनीति में नई हैं. इसलिए फ़िलहाल कृष्णनगर में उनको राजनीति का ककहरा सिखाया जा रहा है."

    क्या बीजेपी ने रानी माँ को मुक़ाबले में उतार कर महुआ मोइत्रा की राह मुश्किल कर दी है.

    राजपरिवार की विरासत

    वरिष्ठ पत्रकार तापस मुखर्जी कहते हैं कि महुआ को रानी माँ और राजपरिवार की विरासत से जूझने में कुछ मुश्किल हो सकती है.

    हालांकि बीजेपी रानी माँ को मैदान में उतार कर इस सीट पर जीत के दावे कर रही है.

    नदिया ज़िला अध्यक्ष अर्जुन विश्वास कहते हैं, "राजपरिवार का उम्मीदवार पार्टी की जीत की गारंटी है. यहाँ राजपरिवार और रानी माँ को भला कौन नहीं पहचानता."

    लेकिन दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष का दावा है कि महुआ की जीत केंद्र सरकार और बीजेपी के लिए करारा जवाब होगा. वे कहते हैं कि लोगों को राजपरिवार के अतीत के बारे भी पता है और महुआ मोइत्रा और टीएमसी के कामकाज के बारे में भी.

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