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Parmanu Review: सच से थोड़ा अलग, पर दिलचस्‍प है ये परीक्षण

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कहानी साल 1995 की बात है। आईएएस अध‍िकारी अश्‍वथ रैना (जॉन अब्राहम) सुझाव देते हैं कि भारत को खुद के परमाणु परीक्षण करने चाहिए। ऐसा इसलिए कि वह न्‍यूक्‍ल‍ियर रेस में चीन और पाकिस्‍तान से आगे रहे। देश इस सोच को लेकर आगे बढ़ता है, लेकिन अमेरिकी दबाव के बीच पहला परीक्षण असफल हो जाता है। रैना को दूसरा मौका मिलता है 1998 में। मुल्‍क के नए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व में। समीक्षा ‘परमाणु: द स्‍टोरी ऑफ पोखरण’ बिलकुल वैसी ही फिल्‍म है, जैसा कि इसका टाइटल बता रहा है। फिल्‍म 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण ‘पोखरण-2’ के तथ्‍यों और कुछ हद तक काल्‍पनिक किस्‍सों पर आधारित है। इस परीक्षण के बाद भारत वैश्‍वि‍क स्‍तर पर परमाणु शक्‍त‍ि संपन्‍न देश के रूप में उभरा। फिल्‍म की कहानी निश्‍च‍ित तौर पर असल जिंदगी की घटनाओं से प्रेरित है। लेकिन सिनेमाई स्‍वतंत्रा का लाभ यहां भी लिया गया है। मनोरंजन करने में कोई कसर नहीं image फिल्‍म को रोमांचक बनाने के लिए असल कहानी में कुछ काल्‍पनिक किस्‍सों और घटनाओं को शामिल किया गया है। इसमें राजस्‍थान के मरुस्‍थल पोखरण में भारत का वैज्ञानिक दल और जाबांज सैनिक ना सिर्फ तीन परमाणु बम का सफल परीक्षण करते हैं, बल्‍क‍ि अमेरिकी इंटेलिजेंस और सर्विलांस सिस्‍टम को भी चकमा देते हैं। निश्‍चित तौर पर यह सब इतिहास का तथ्‍यपरक सिनेमाई रूपांतरण नहीं है, लेकिन ‘परमाणु’ मनोरंजन करने में कोई कसर नहीं छोड़ती। इसमें देशभक्‍त‍ि की भावना भी है और राष्‍ट्रीय गर्व की अनुभूति भी। दर्शकों को बांधे रखती है फिल्‍म image फिल्‍म की कहानी में जॉन का किरदार वैज्ञानिकों के दल और सेना की मदद से कुछ ही दिनों में परमाणु परीक्षण को पूरा करता नजर आता है। कहानी थोड़ी ख‍िंची हुई भी जान पड़ती है, लेकिन स्‍क्रीनप्‍ले और एडिटिंग ऐसी है कि वह आपको सीट पर बांधे रखती है। फिल्‍म में जिस तरह अमेरिकी और पाकिस्‍तानी एजेंट्स को भारतीय परमाणु परीक्षण टीम चकमा देती है, वह मजेदार है। ड्रामा और कॉमेडी का पुट भी image फिल्‍म में जॉन अब्राहम की बीवी के किरदार में अनुजा साठे हैं और प्रधानमंत्री के सचिव के रूप में बोमन ईरानी। दोनों ने कहानी में ड्रामा और कॉमेडी का पुट जोड़ा है। समय की सूई के साथ ही बढ़ते सैटेलाइट सर्विलांस, ऑपरेशन को सफल बनाने की जुगत और सबसे छुपाकर रखने की नीति। यह सब ‘परमाणु’ से दर्शकों का ध्‍यान भटकने नहीं देती। परमाणु धमाके और बाहरी अंतरिक्ष के सीक्‍वेंस के दौरान कम्‍प्‍यूटर ग्राफिस का अच्‍छा इस्‍तेमाल किया गया है। फिल्‍म में यहां खलती है कमी image फिल्‍म के पहले भाग में डायरेक्‍टर अभ‍िषेक शर्मा ने प्‍लॉट बनाने में थोड़ा अध‍िक समय ले लिया है। फिल्‍म को कई जगहों पर थोड़ा और विस्‍तार दिया जाता, खासकर अमेरिकी इंटेलिजेंस की ट्रैकिंग पर, तो ‘परमाणु’ और बेहतर बन सकती थी। फिल्‍म में एक विलेन आईएसआई एजेंट भी है। लेकिन अच्‍छी बात यह है कि यह कहानी पाकिस्‍तान विरोधी बनने की बजाय अपने विषय पर ही केंद्र‍ित रहती है। जॉन-डायना, सभी ने की है अच्‍छी एक्‍ट‍िंग image जॉन अब्राहम फिल्‍म को लीड करते हैं और वो वाकई मिशन के कप्‍तान की तरह हैं। डायना पेंट भी अच्‍छी लगी हैं। फिल्‍म में वैज्ञानिक दल और सैनिकों के रूप में सर्पोटिंग कास्‍ट भी बेहतरीन है। ‘परमाणु’ मनोरंजक फिल्‍म है, लेकिन जो कमी खलती है वो है विस्‍तार से सही और तथ्‍यात्‍मक जानकारी की। फिल्‍म भावनाओं और देशभक्‍त‍ि का पुट लिए हुए है। फिल्‍म का नैरेशन बहुत जबरदस्‍त नहीं है, लेकिन यह दर्शकों को बांधे रखता है। हर वह मसाला, जो आप चाहते हैं image ‘परमाणु: स्‍टोरी ऑफ पोखरण’ में थ्रि‍ल, सस्‍पेंस, ड्रामा, ह्यूमर, इमोशन और कुल मिलाकर वह सब मसाले हैं, जो बॉलीवुडिया फिल्‍मों को हिट बनाते हैं। लिहाजा, यह दर्शकों को पसंद तो आएगी ही। लेकिन तथ्‍यों और सच की कमी जरूर खलती है। देख‍िए, ‘परमाणु: द स्‍टोरी ऑफ पोखरण’ का ट्रेलर https://www.youtube.com/watch?v=XQFb12N0Arc
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