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बार-बार डकार आने की समस्या है तो ये है इस घातक बिमारी का संकेत

खाना खाने के बाद डकार आने को अकसर खाना ठीक से पच जाने की निशानी माना जाता है, लेकिन बार-बार डकार किसी स्वास्थ्य समस्या का भी इशारा होने कि सम्भावना है. जब बार-बार डकार आए, तो क्या करें व क्या नहीं, बता रही हैं निधि गोयल

बार-बार डकार आना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता, क्योंकि कई बार इस तरह की डकार आना किसी बीमारी की संभावना भी हो सकती है. इससे एसिड रिफ्लेक्स, एसिडिडी व कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए डकार को भी आप सामान्य नहीं समझें व ध्यान दें कि डकार क्या इशारा दे रही है.

क्यों आती है डकार
जब इकट्ठी वायु पेट से भोजन नली में आती है, तो एक तरह का कंपन करने लगती है, जो गले व मुंह से बाहर निकलने पर आवाज करती है. अगर पेट की वायु बाहर निकलने पर कंपन न करे, तो आवाज नहीं होती.

कारण हैं अनेक
’   कुछ लोगों को पेट में अल्सर होने के कारण भी बार-बार डकार आती है. ऐसी स्थिति में आपको सीने में जलन महसूस हो सकती है.
’      छोटी आंत में बैक्टीरिया के बढ़ने से भी लगातार डकार आने की समस्या प्रारम्भ हो जाती है. बैक्टीरिया होने से ड्यूडेनम (छोटी आंत का हिस्सा) भी प्रभावित होता है, जिससे लगातार डकार आने की समस्या प्रारम्भ हो सकती है. ऐसे में चिकित्सक से अपने पेट की जाँच समय-समय पर करवाते रहें.

’      कुछ लोग खाना जल्दी-जल्दी खाते हैं या फिर बड़े-बड़े निवाले खाते हैं. इसका सीधा प्रभाव पाचन पर पड़ता है.
’      खाते समय या जम्हाई लेते समय जब आप मुंह खोलते हैं, तो हवा पेट में चली जाती है. कई बार इस कारण भी डकार आती है.
’      खराब पेट की समस्या होने पर पेट में गैस बनती है. ऐसा पाचन क्रिया में योगदान करने वाली पेट में उपस्थित बैक्टीरिया के संतुलन बिगड़ने के कारण होता है.
’      पेट खाली होने के कारण पेट की खाली स्थान में हवा भर जाती है. यह हवा डकार के जरिए बाहर निकलने की प्रयास करती है.
’      कार्बोनेटेर्ड ंड्रक्स, जंक फूड, गोभी, मटर, दालें जैसे कई फूड पेट में गैस बनाते हैं. इन्हें खाने-पीने के बाद भी ज्यादा डकार आती है.
’      स्र्मोंकग करने वाले सिगरेट के धुएं के साथ ढेर सारी हवा अंदर खींचते हैं. यह हवा डकार के जरिए बाहर निकलती है.
’      कई बार तनाव के कारण कुछ लोग ओवरर्ईंटग कर लेते हैं, जिसकी वजह से बार-बार डकार आती है.

इन बातों का रखें ख्याल

मुंह बंद कर भोजन चबाएं व खाते समय बातें न करें.

पानी, चाय या अन्य अनकार्बोनेटेड
पेय पिएं. कार्बोनेटेड पेयों में कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है. यदि

आपको कार्बोनेटेड पेय पीने ही हैं, तो इन्हें छोटी-छोटी चुसकियां लेते हुए
ही पिएं.

अपने आहार में गैस बनाने वाले भोजन कम-से-कम शामिल करें. जैसे बीन्स, दालें, ब्रोकली, बंद गोभी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, सलाद, प्याज, चॉकलेट, सेब, आड़ू, नाशपाती आदि. इनसे पाचन के दौरान गैस बनती है, जिस कारण डकारें आती हैं.

सब्जियों को उबालने के जगह पर भाप में पकाएं. इससे पाचन में योगदान करने वाले सब्जी के प्राकृतिक एंजाइम्स सुरक्षित रहेंगे.

खाना खाने से पहले अदरक का पाउडर या मिलावट या अदरक का एक छोटा टुकड़ा चबाकर डकार को रोका जा सकता है. आप इसके लिए अदरक व शहद की चाय भी पी

सकते हैं.
’एक गिलास में नीबू पानी तथा र्बेंकग सोडा मिलाकर पिएं. इससे आपको डकार से तुरंत राहत मिलेगी. इससे पाचन में भी सहायता मिलती है.
’पपीते का प्रयोग करके भी डकार की समस्या को रोका जा सकता है. पपीते को अपने दैनिक आहार का भाग बनाएं.
’भोजन में एक कटोरा दही खाना एक सामान्य व प्राचीन भारतीय परंपरा है. इसका कारण यह है कि दही भोजन के पाचन में सहायक होता है. इसमें उपस्थित बैक्टीरिया पेट तथा आंतों से जुड़ी सभी समस्याओं को दूर कर देते हैं. इसकी स्थान आप विकल्प के रूप में छाछ या लस्सी का भी उपयोग कर

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