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Anang Trayodashi Vrat Katha : अनंग त्रयोदशी पर करें इस कथा का पाठ, भगवान शिव की बरसेगी खूब कृपा

अनंग त्रयोदशी की पौराणिक कथा इस प्रकार है। एक तारकासुर नाम का राक्षस था जिसे यह वरदान दिया गया था कि उसकी मृत्यु भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही होगी। तारकासुर ने खूब आतंक फैलाया हुआ था। सभी देवी देवता उसके आतंक से परेशान आ गए थे। उसके आतंक से बचने के लिए सभी कामदेव के पास पहुंचे और उनसे आग्रह कर कहा कि वह तपस्या में लीन भगवान शिव की तपस्या भंग कर दें।
भगवान शिव उस समयकामदेव ने सभी का आग्रह स्वीकार किया और उन्होंने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी लेकिन, उन्हें महादेव के क्रोध का सामना करना पड़ा। महादेव ने कामदेव को भस्म कर दिया। यह सब देखकर कामदेव की पत्नी से भगवान शिव से आग्रह किया की वह कामदेव को पुन: जीवित कर दें। भगवान शिव ने रति का आग्रह स्वीकार किया और कामदेव को पुनर्जीवित तो किया लेकिन उन्हें शरीर नहीं लौटा पाए। इसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को दो वरदान दिए। भगवान शिव के वरदान के अनुसार, उन्होंने कामदेव से कहा की तुम द्वापरयुग में भगवान कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे इसके बाद उनके विवाह देवी रति से ही होगा।
भगवान शिव ने कामदेव को दूसरे वरदान में कहा कि श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेने तक कामदेव को बिना अंगों के रहना होगा। जिस वजह से उनका एक नाम अनंग भी कहलाया जाएगा। जिस दिन यह पूरी घटना घटी उस दिन त्रयोदशी तिथि थी। इसलिए उसी दिन से ऐसे अनंग त्रयोदशी के रुप में मनाया जाने लगा। साथ ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति भी अनंग त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति की पूजा करेगा, उसका प्रेम संबंध मजबूत होगा। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।

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