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Akshay Tritiya Puja Muhurat: अक्षय तृतीया पर कई शुभ योग का संयोग, इस मुहूर्त में पूजा और खरीदारी करना सर्वोत्तम

Akshaya Tritiya 2024 Shubh Muhurat : अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। अक्षय तृतीया पर सोना चांदी खरीदने की परंपरा है। अक्षय तृतीया तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस बार अक्षय तृतीया 10 मई शुक्रवार को है। इस दिन एक साथ कई महायोग भी रहने वाले हैं। ऐसे में आइए जानते हैं अक्षय तृतीया पर खरीदारी और पूजा करना का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।
अक्षय तृतीया खरीदारी और पूजा का शुभ मुहूर्त लाभ चौघड़िया सुबह 7 बजकर 14 मिनट पर।अमृत चौघड़िया सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर ।शुभ चौघड़िया दोपहर में 12 बजकर 17 मिनट पर।चल चौघड़िया शाम में 5 बजकर 20 मिनट पर।वैसे आपको बता दें कि अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य को संपन्न करने के लिए वैसे तो मुहूर्त की जरूरत नहीं होती हैं क्योंकि, इस पूरे दिन सर्वोत्तम मुहूर्त रहता है लेकिन, ऊपर बताए गए मुहूर्त में पूजा करने या खरीदारी करने से आपको दोगुना फल मिलेगा। इस बार अक्षय तृतीया पर रवि योग, धन योग, शुक्रादित्य योग, गजकेसरी योग, शश योग का शुभ संयोग भी रहने वाला है। अक्षय तृतीया पूजा विधि
  • अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। संभव हो तो लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
  • इसके बाद पूजा करने के लिए एक स्थान को गंगाजल डालकर अच्छे से साफ कर लें और एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसपर मां लक्ष्मी की मूर्ति और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  • सबसे पहले भगवान विष्णु को गोपी चंदन से तिलक करें और माता लक्ष्मी को कुमकुम से तिलाक करें
  • फिर माता लक्ष्मी को कमल का फूल और भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित करें। और फिर विधि विधान से पूजा पाठ करें।
  • अंत में मखाने की खीर और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • अक्षय तृतीया का महत्वअक्षय तृतीया पर शुभ और मंगल कार्य करना उत्तम फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन जो भी दान पुण्य या शुभ कार्य किए जाते हैं उनका दोगुना शुभ फल व्यक्ति को मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि अक्षय तृतीया पर कई पौराणिक घटनाएं हुई थी। अक्षय तृतीया के दिन महाभारत युद्ध की समाप्ति हुई थी और परशुराम, नारायण, हयग्रीव का प्राकट्य हुआ था। साथ ही इस दिन आप जो भी दान पुण्य के कार्य करते हैं उसका फल आपको अगले जन्म में भी मिलता है।

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