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चुनाव, ज्योतिष और नेता जी

चुनाव जीत कर कुर्सी पाकर अपनी सरकार बनाने की होड़ में तांत्रिक, ओझा, ज्योतिषियों के पास अधिकांश राजनीतिज्ञ अपनी स्वयं के जन्मांग पर विचार-विमर्श तथा चुनाव में सफलता की आशा ले कई बार कारगर अचूक उपाय जैसे भाग्य रत्न धारण, तंत्र, मंत्र, यंत्र प्रयोग आदि करवाने के लिए आते हैं। यह तो कुछ भी नहीं, जो लोग सुबह ज्योतिष का विरोध कर ‘ज्योतिष विद्या’ को अंधविश्वास, अविज्ञान करार देते हैं, वह भी रात्रि को अपनी जन्मकुण्डली लेकर चुपचाप सभी की आंख बचाकर चुनाव जीतने के लिए उपाय प्राप्त करने, ज्योतिर्विदों के पास पहुंच जाते हैं।
कुछ चुनाव के बाद चुनावी परिणाम आने तक चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगाकर पंडित, तांत्रिकों द्वारा जप-तप यंत्र, मंत्र, तंत्र, जादू-टोना, अनुष्ठान द्वारा ग्रहों के माध्यम से भगवान को खुश करने में लगे रहते हैं। चुनावी प्रत्याशी के लिए मददगार राजयोग - वस्तुतः ज्योतिष की दृष्टि से राज्यपद प्राप्ति के लिए जन्मांग में जिन ज्योतिषीय योगों का सृजन होना चाहिए उनमें से कुछ इस प्रकार हैं। पंचमहापुरूष, गजकेसरी योग, महाभाग्य योग आदि योग चुनावी प्रत्याशी के लिए मददगार साबित होते हैं। चुनाव लड़ने में मंगल से मिलती है शक्ति -
नवग्रहों के ग्रहीय मण्डल में ‘भूमि पुत्र मंगल’ को सेनापति का राज्यपद एवं सम्मान प्राप्त है। मंगल व्यक्ति को ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करता है। मंगल कुण्डली में बलवान होकर व्यक्ति को उच्च राजनैतिक पद प्रदान करता है और साथ ही उच्च पद प्राप्ति के लिए चुनाव लड़ने की असीमित शक्ति, ऊर्जा जातक को प्रदान करता है। जन्मांग में मंगल ‘योगकारक’ होकर बलवान हो, तो व्यक्ति को चुनाव लड़ने की पूर्ण ऊर्जा मंगल से प्राप्त होती है। कर्क एवं सिंह लग्नों के लिए मंगल केन्द्र और त्रिकोण दोनों का स्वामी होकर योगकारक कहलाता है। इस प्रकार बलवान मंगल (अपनी राशि मेष, वृश्चिक अथवा उच्च मकर राशि होकर) अपनी दशा अन्तर्दशा में राज्यपद, प्रशासनिक सेवा, पुलिस, सेना आदि में उच्च पद प्राप्ति का योग विकसित करता है। सूर्य बली तो नेता आत्मबली -
सूर्य नव ग्रहों का राजा होता है। काल पुरुष की आत्मा है। सूर्य बली होने से राज्यनेता आत्मबली साबित होगा। चन्द्रमा को भी सूर्य की तरह राजसी पद प्राप्त है। अतः सूर्य-चन्द्र का बलवान होना चुनाव प्रत्याशी के लिए मददगार सिद्ध होगा। इस प्रकार अनेक योगों का अध्ययन फलित ज्योतिष के प्राचीन ग्रन्थों में किया जा सकता है। चुनावी प्रत्याशी की जन्मकुण्डली का पूर्ण अध्ययन पश्चात् अगर अधिकांश योग चुनावी प्रत्याशी के जन्मांग में उपस्थित हों और केमद्रुम, ज्वालामुखी, राजभंग या अशुभ योगों की संख्या कम हो तो चुनाव में खड़ा प्रत्याशी अपने आप को सफल राजनेता ‘राजनीतिज्ञ’ समझे।

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