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Good Friday 2024: गुड फ्राइडे क्यों मनाते हैं, जानें गुड फ्राइडे को घंटी क्यों नहीं बजाते हैं

गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लोग शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन प्रभु यीशू को सूली पर लटका दिया गया था। ईसा मसीह ने हंसते-हंसते मौत को लगे लगाकर साहस का परिचय दिया और समस्‍त मानव जाति को यह संदेश दिया कि समाज के कल्‍याण के लिए अपना जीवन भी कुर्बान करना पड़े तो कर दो। यही वजह है कि ईसा मसीह के मृत्‍यु दिवस को गुड फ्राइडे कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया था तो उस दिन शुक्रवार था। इस घटना के तीन दिन बाद संडे को यीशू फिर से जीवित हो गए थे, जिसे ईस्‍टर संडे के रूप में मनाते हैं। गुड फ्राइडे को ईसाई धर्म के लोग कुर्बानी दिवस के रूप में मनाते हैं। गुड फ्राइडे के दिन चर्च में न तो घंटिया बजाई जाती हैं और न ही मोमबत्‍ती जलाई जाती हैं। इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में काले कपड़े पहनकर आते हैं और शोक सभाएं आयोजित करते हैं। कुछ लोग इसे ब्‍लैक फ्राइडे भी कहते हैं। गुड फ्राइडे का इतिहास
गुड फ्राइडे का इतिहास करीब 2005 साल पुराना माना जाता है। तब यीशू यरुशलम में रहकर मानवता के कल्‍याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश देते थे। लोगों ने परमात्‍मा का दूत और उनकी संतान मानना शुरू कर दिया था। आम लोग उनकी बातों से बहुत प्रभावित होते थे। यह बात तत्‍कालीन यहूदी शासकों को नागवार गुजरी। उन्‍होंने यीशू पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर उन्‍हें सूली पर लटकवा दिया। सूली पर चढ़ाने से पहले उन पर बेइंतहा जुर्म किए गए। उन्‍हें कांटों का ताज पहनाया और उन्‍हें सूली को अपने कंधे पर ले जाने के लिए मजबूर किया। सबसे आखिरी में उनके हांथों में कील ठोकते हुए उन्‍हें सूली से लटका दिया गया। क्‍या थे ईसा मसीह के आखिरी शब्‍द
जिस वक्‍त यीशू को सूली पर चढ़ाया जा रहा था उस वक्‍त भी वह मानव कल्‍याण की ही बातें कर रहे थे। उन्‍होंने सबसे आखिर में कहा, हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’। कैसे मनाते हैं गुड फ्राइडे गुड फ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन चर्च में किसी प्रकार की आवाज किए बिना शांति प्रार्थना की जाती है। न ही घंटे घड़ियाल बजाए जाते और ही मोमबत्‍ती जलाई जाती है। इस दिन लोग काले कपड़े पहनकर चर्च जाते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत करते हैं और ईसाइयों के पवित्र ग्रंथ बाइबिल का पाठ करते हैं। लोग इस दिन जाने अनजाने में किए पापों के लिए प्रभु से क्षमा याचना करते हैं। उनको ऐसा विश्‍वास है कि इस दिन प्रभु उनकी सारी गलतियां माफ कर देते हैं।

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