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देश की सड़कों पर हैं लाखों इलेक्ट्रिक वाहन, 4 साल में 78700 से बढ़कर 4 लाख हुए ई-रिक्शा

भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक रिक्शा की विजिबिलिटी में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वहीं, देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या लाखों में हैं। सरकारी आंकड़ों की मानें तो ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कि 2020-21 की 78,700 यूनिट से बढ़कर पिछले वित्तीय वर्ष में 4 लाख से ज्यादा हो गई है। दरअसल, इलेक्ट्रिक रिक्शा शहरी और ग्रामीण परिवहन जरूरतों को पूरा करते हुए लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के प्रमुख साधन के रूप में उभरे हैं।
पहले जहां आप-पास जाने या करीबी शहर जाने के लिए लोगों को ऑटो या बस का लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था, वो अब इलेक्ट्रिक रिक्शा ने सुगम कर दिया है।वैसे इलेक्ट्रिक रिक्शा को लेकर सुरक्षा से संबंधित चिंताएं भी है, लेकिन हालिया समय में कई प्रयासों की वजह से इलेक्ट्रिक रिक्शा के डिजाइन में सुधार पर विचार करने के साथ ही इसमें स्टैबिलिटी बढ़ाने की कोशिश हो रही है। दरअसल, निर्धारित गति सीमा से ज्यादा होने के कारण ई-रिक्शा के पलटने की घटनाएं घटती हैं और फिर इसमें सुधार से जुड़ी बहस शुरू होती है।
मोटर वाहन नियमों के अनुसार इन वाहनों को स्पीडोमीटर की अनिवार्य स्थापना के साथ अधिकतम 25 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक सीमित रखा गया है। इसके अतिरिक्त, ओवरलोडिंग को रोकने के लिए उन्हें 4 से ज्यादा यात्रियों को ले जाने की अनुमति नहीं है।हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ई-रिक्शा की बढ़ती प्रमुखता को संबोधित करने के लिए एक बैठक बुलाई। इसमें सड़क परिवहन मंत्रालय को सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर ध्यान देने के साथ इन वाहनों की व्यापक समीक्षा करने का काम सौंपा गया है। सुरक्षा बढ़ाने के प्रस्तावित उपायों में बेहतर स्थिरता के लिए वाहनों को चौड़ा करना , फिटनेस टेस्ट और उत्पादन अनुरूपता प्रोटोकॉल को परिष्कृत करना शामिल है, जिसमें परीक्षण अंतराल 3 और 2 साल निर्धारित किए गए हैं।भारत के प्रमुख ई-रिक्शा निर्माताओं में से एक लोहिया ऑटो के सीईओ आयुष लोहिया ने बताया कि यह कदम रोजगार सृजन में ई-रिक्शा की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
उन्होंने एक प्रैक्टिकल सॉल्यूशन के रूप में बैटरियों को अलग करने की वकालत करते हुए वाहन की लागत को कम करने की तत्काल जरूरत पर जोर दिया। आयुष लोहिया ने कहा कि बैटरी को अलग करने से मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में काफी कमी आ सकती है, जिससे इस इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण विकास का रास्ता बनेगा। लोहिया ऑटो ने ईवी पोर्टफोलियो में तेजी लाई1200 करोड़ रुपये के लोहिया ग्लोबल एंटरप्राइजेज के हिस्से के रूप में लोहिया वर्तमान में उत्तराखंड के काशीपुर में अपनी एकीकृत सुविधा में यात्री और माल परिवहन दोनों के लिए इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर बनाती है, साथ ही कम गति वाले इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर भी बनाती है।
100,000 से ज्यादा वाहन बनाने की वार्षिक क्षमता के साथ कंपनी महत्वपूर्ण विस्तार के लिए तैयार है।यहां बता दें कि पिछले दशक में भारत में लगभग 17 लाख तीन पहिया ईवी बेची गई हैं। पिछले महीने ही लगभग 500 निर्माताओं ने 44,000 से ज्यादा ई-रिक्शा बेचे, जिनमें से ज्यादातर घरेलू कंपनियों के थे। इस दौरान 6,800 से भी कम इलेक्ट्रिक कारें बेची गईं है। ई-रिक्शा सेगमेंट में लोहिया, वाईसी इलेक्ट्रिक, दिल्ली इलेक्ट्रिक ऑटो और सायरा जैसी कंपनियों के प्रोडक्ट की अच्छी डिमांड है।

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