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अरबों डॉलर की संपत्ति के मालिक Zoho सीईओ श्रीधर वेम्बु को लग्जरी कार नहीं, इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा से प्यार

श्रीधर वेम्बु... करीब 15 बिलियन डॉलर की कंपनी के मालिक और उन्हें पसंद है इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा! यह सुनकर आपको हैरानी होगी कि ऐसा कैसे संभव है कि अरबों-खरबों रुपये कमाने वाला शख्स कैसे 4-5 लाख रुपये का इलेक्ट्रिक ऑटो चला सकता है, लेकिन यह सच है। आपको ऊपर में जो तस्वीर दिख रही है, वह श्रीधर वेम्बु की है, जो कि भारत की सबसे प्रॉफिटेबल सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो कॉर्पोरेशन के फाउंडर और सीईओ हैं और उन्होंने हाल ही में एक्स पर यह फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि इन दिनों मैं यह इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा चला रहा हूं।
साइकल के बाद अब ऑटो रिक्शा चलाते दिखेजोहो कॉर्पोरेशन के मालिक श्रीधर वेम्बु सादगी के मिसाल हैं। दुनिया कभी उन्हें तमिलनाडु के किसी गांव में साइकल चलाते और बच्चों को पढ़ाते देखती है तो कभी वह इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा चलाते दिखते हैं। उन्होंने एक्स पर फोटो शेयर करते हुए लिखा कि मुझे अगर 10 किलोमीटर तक किसी काम से जाना होता है तो मैं इलेक्ट्रिक ऑटो से ही जाता हूं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका स्थिति सिलिकॉन वैली में अरबों की कंपनी खड़ी करने के बाद इन दिनों भारत में दिख रहे श्रीधर वेम्बु अक्सर साइकिल से चलते हैं और उनकी पोशाक देखकर कोई यकीन नहीं करेगा कि इतना अमीर आदमी एक साधारण शर्ट और लुंगी में दिखता है।
श्रीधर वेम्बु के पास टाटा नेक्सॉन भीइन सबके बीच आपको बता दें कि श्रीधर वेम्बु मोबिलिटी के ग्रीनर ऑप्शन, यानी इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफदारी करते रहते हैं और उनके पास टाटा नेक्सॉन ईवी भी है। पर्यावरण को बेहतर बनाने वास्ते निजी और सरकारी प्रयासों से ही बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। आईआईटी मद्रास पासआउट हैं श्रीधर वेम्बुअब आपको श्रीधर वेम्बु के बारे में बताएं तो वर्ष 1968 में चेन्नई के एक साधारण परिवार में जन्मे श्रीधर वेम्बु को शुरू से ही पढ़ाई में रुचि थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा तमिल भाषा में ही पूरी की।
बाद में उनका आईआईटी मद्रास में एडमिशन हुआ। इलेक्ट्रॉनिक्स की जगह उन्होंने कंप्यूटर साइंस में अपना करियर बनाने का फैसला किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका गए और 1989 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 1996 में जोहो की स्थापनापढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कैलिफोर्निया की जानी मानी कंपनी क्वॉलकॉम में नौकरी शुरू की। हालांकि, दो साल बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी एडवेंचर नेट की शुरुआत की। 1996 में उन्होंने अपने भाई राधाकृष्णन वेम्बु के साथ मिलकर जोहो की स्थापना की।
आज जोहो एक मल्टीनैशनल सॉफ्टवेयर कंपनी है, जो हजारों कर्मचारियों के साथ दुनियाभर में काम कर रही है। कंपनी कई तरह के सॉफ्टवेयर बनाती है, जिनका इस्तेमाल दुनिया भर में करोड़ों लोग करते हैं।

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