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2 साल में भारतीयों ने ग्रीन कार्ड के लिए 585 ईबी-5 वीजा खरीदे, 300% की वृ्द्धि

लुब्ना कैब्ली, मुंबई
बीते दो साल में निवेश से जुड़े ईबी-5 वीजा लेने वाले भारतीयों की संख्या में लगभग चार गुना इजाफा हुआ है। ईबी-5 वीजा को 'कैश फॉर ग्रीन कार्ड' भी कहा जाता है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2018 को समाप्त हुई 12 महीने की अवधि के दौरान इस तरह के 585 सशर्त ग्रीन कार्ड जारी किए गए, जबकि वित्त वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 174 था।



वित्त वर्ष 2016 में जारी कुल 149 सशर्त ग्रीन कार्ड से तुलना की जाए, तो दो साल की अवधि के दौरान इसमें 293 फीसदी की बड़ी वृद्धि हुई है। वीजा पाने के मामले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका और ताइवान को पछाड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। 2018 में पहले पायदान पर चीन तथा दूसरे पर वियतनाम रहा।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान सैकड़ों भारतीयों ने ईबी-5 वीजा के लिए आवेदन किया, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो पहले से अमेरिका में काम कर रहे हैं। लोगों को इंतजार का फल मिला और इन वीजा की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई।


क्या है ईबी-5 वीजा

ईबी-5 वीजा पाने के लिए अमेरिका में 10 लाख डॉलर (लगभग सात करोड़ रुपये) के निवेश और कम से कम 10 लोगों को नौकरी देना पड़ता है। कुछ लक्षित रोजगार क्षेत्रों में निवेश की रकम की सीमा घटकर पांच लाख डॉलर (लगभग 3.5 करोड़ रुपये) भी हो सकती है। अपना बिजनस शुरू करने के बजाय क्षेत्रीय केंद्रों के जरिये निवेश ज्यादा आम है। क्षेत्रीय केंद्र विभिन्न परियोजनाओं खासकर रियल एस्टेट में निवेश करते हैं। 21 महीने के लिए सशर्त ग्रीन कार्ड मिलने के बाद कोई भी निवेशक स्थायी निवास के लिए आवेदन कर सकता है, जो शर्तों के अधीन है।

एच1-बी वीजा मिलने या उसके विस्तार में कठिनाई के मद्देनजर, हाल के वर्षों में भारतीय ईबी-5 वीजा लेने में अधिक दिलचस्पी जता रहे हैं। ग्लोबल इमिग्रेशन लॉ फर्म फ्रैगोमेन में पार्टनर मिचेल वेक्सलर ने कहा, 'एच-1बी वीजा के विस्तार के लिए भी अब भारी जांच का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण इसके खारिज होने की संख्या भी बढ़ रही है।'

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