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दम है तो सामने आकर दिखा... जब दो बार छोटा शकील के शूटरों से बचा छोटा राजन, कैसे बना दाऊद का दुश्मन नंबर 1

नई दिल्ली: साल 2021 में कोविड महामारी के बीच एक सनसनीखेज खबर आई। जेल में बंद छोटा राजन की कोराना वायरस संक्रमण से मौत हो गई है। वही छोटा राजन, जिसे कुख्यात डॉन दाऊद इब्राहिम अपना दुश्मन नंबर 1 मानता है। खबर बेहद हैरान कर देने वाली थी। चौक-चौराहों पर दाऊद और छोटा राजन की दुश्मनी के किस्से उड़ने लगे। लेकिन, ये किस्से अभी शुरू ही हुए थे कि एक और खबर आई।
छोटा राजन जिंदा है। वो कोरोना वायरस से ठीक होकर वापस जेल लौट गया है। कुछ वक्त बीता और उसका नाम, उसके किस्से... सब लोगों के दिमाग से हट गए। अब 4 साल बाद छोटा राजन फिर से खबरों में है।दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद छोटा राजन की एक तस्वीर सामने आई है। तस्वीर भी ऐसी कि देखकर उसका दुश्मन दाऊद इब्राहिम भी परेशान हो जाए। तस्वीर में छोटा राजन बिल्कुल फिट नजर आ रहा है। पिछले 9 साल से जेल में बंद छोटा राजन कभी दाऊद का खासमखास था। लेकिन, बाद में दाऊद से अलग होकर उसने अपना गैंग बना लिया। यहीं से दाऊद के साथ उसकी दुश्मनी की शुरुआत हुई।
दुश्मनी भी ऐसी कि दाऊद के सबसे बड़े राजदार छोटा शकील ने दो बार छोटा राजन को मारने की कोशिश की। हालांकि, छोटा राजन दोनों बार बचकर निकल गया। आइए जानते हैं उन दोनों हमलों की कहानी। क्यों अलग हुईं दाऊद और छोटा राजन की राहेंबात 1980 के दशक की है। अंडरवर्ल्ड में दाऊद इब्राहिम की तूती बोलती थी। उसी दौरान राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन उसके गैंग में शामिल हुआ। देखते ही देखते दाऊद का उसपर भरोसा बढ़ने लगा। अंडरवर्ल्ड में होने वाली दाऊद गैंग की हर गतिविधि की कमान छोटा राजन के हाथों में ही होती थी।
फिर 1993 में मुंबई में बम धमाके हुए। इन धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के रास्ते अलग-अलग हो गए। छोटा राजन को दाऊद के पूरे सिंडिकेट का जानकारी थी। नया गैंग खड़ा करने में उसे कोई खास मुश्किल नहीं हुई। बैंकॉक में हुई छोटा राजन पर फायरिंगइसके बाद मुंबई में शुरू हुआ दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच गैंगवार का दौर। आए दिन दोनों गैंग के बीच खून-खराबे की खबरें आने लगीं। इस वक्त तक छोटा राजन भी देश छोड़कर भाग चुका था। साल 2000 में दाऊद के गैंग को कहीं से खबर मिली कि छोटा राजन बैंकॉक में छिपा है।
उसे खत्म करने के लिए दाऊद के खासमखास छोटा शकील ने अपने खूंखार गुर्गे मुन्ना झिंगाड़ा को भेजा। मुन्ना ने बैंकॉक में छोटा राजन के लिए फिल्डिंग बिछा दी। जैसे ही छोटा राजन दाऊग गैंग की बंदूकों के निशाने पर आया, फायरिंग शुरू हो गई। छोटा राजन के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, लेकिन वो बच निकला। दाऊद गैंग के लिए ये बड़ा झटका था। छोटा राजन उसकी नाक के नीचे से बचकर भागा था। 2015 में फिर भेजी छोटा शकील ने शूटरों की टीमइस हमले के बाद छोटा राजन अंडरग्राउंड हो गया। इधर छोटा शकील भी बौखलाया हुआ था। उसके गुर्गे छोटा राजन को हर जगह खोज रहे थे।
लेकिन, अगले 15 सालों तक छोटा राजन की लोकेशन डी कंपनी को नहीं मिली। मई 2015 में छोटा शकील को पता चला कि छोटा राजन ऑस्ट्रेलिया के न्यूकैसल में छिपा है। शकील ने अपने छंटे हुए शूटरों की एक टीम बनाई। टीम से कहा गया कि किसी भी हाल में इस बार छोटा राजन बचना नहीं चाहिए। इधर, छोटा शकील की टीम ऑस्ट्रेलिया के लिए निकली, उधर कहीं से छोटा राजन की इस बात की खबर मिल गई। छोटा राजन एक बार फिर डी कंपनी से बचकर निकल गया। इसके बाद छोटा शकील ने छोटा राजन को चेतावनी दी। उसने कहा कि वो और उसके आदमी अभी ऑस्ट्रेलिया में हैं...
दम है तो सामने आकर दिखा। हालांकि कुछ समय बाद ही छोटा राजन को बाली से गिरफ्तार कर लिया गया।

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