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यात्रा मंगलमय हो! बच्चों की सीट वाला DGCA के नए सर्कुलर के क्या हैं मायने समझ लीजिए

एविएशन रेग्युलेटर DGCA की ओर से मंगलवार को जारी किया गया वह सर्कुलर यात्रियों की सुविधा के लिहाज से खासा अहम है, जिसके मुताबिक अब एयरलाइन कंपनियों के लिए 12 साल से कम उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावक के पास ही सीट अलॉट करना अनिवार्य हो गया है। यह कदम हवाई यात्रा को आसान, सुविधाजनक और तनावरहित बनाने की दिशा में बेहद उपयोगी होगा।
अघोषित नीति : असल में कई एयरलाइन कंपनियों की अघोषित नीति के चलते यह मसला सामान्य हवाई यात्रियों की असुविधा की एक बड़ी वजह बना हुआ था। DGCA को इस मामले में यात्रियों की काफी शिकायतें मिल रही थीं। मामला उन यात्रियों से जुड़ा है, जो अतिरिक्त शुल्क के भार से बचने के लिए पहले ही सीट लोकेशन निर्धारित करने का विकल्प नहीं चुनते। अनियोजित आवंटन : आम तौर पर एयरलाइन कंपनियां आखिरी पलों में ऐसी तमाम सीटें अनियोजित ढंग से आवंटित कर देती हैं। इस क्रम में अक्सर छोटी उम्र के बच्चों की सीटें परिवार के अन्य सदस्यों की सीटों से दूर पड़ जाती हैं। लिहाजा यात्रा के दौरान उन बच्चों की सुरक्षा और उनकी जरूरतों का ख्याल रखना परिवार के लिए मुश्किल हो जाता है। वैश्विक चलन :
ध्यान रहे, यह सिर्फ भारत की बात नहीं, बल्कि एविएशन इंडस्ट्री में दिखने वाला एक वैश्विक ट्रेंड है। अमेरिका में पिछले साल खुद राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस समस्या की ओर ध्यान खींचते हुए सोशल मीडिया साइट एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा था कि कुछ एयरलाइंस उन पैरंट्स से अतिरिक्त शुल्क लेती हैं जो उड़ान के दौरान अपने बच्चों के साथ बैठना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कहीं भी ऐसा नहीं होना चाहिए। अनप्रफेशनल नजरिया : जाहिर है, इस ट्रेंड के पीछे ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को सीट लोकेशन चार्ज देने के लिए तैयार करने की इच्छा छुपी हुई है। हालांकि एविएशन इंडस्ट्री में एयरलाइन कंपनियों की लागत एक बड़ा मसला है। लेकिन इसका हल इस तरह के चलन में तलाशना कहीं से भी प्रफेशनल नजरिया नहीं कहा जाएगा, जिससे जाने अनजाने यात्रियों के फ्लाइट एक्सपीरिएंस की क्वॉलिटी प्रभावित होती हो। फलता-फूलता सेक्टर :
खासकर भारत जैसे देश में यह चलन अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है, जहां सिविल एविएशन सबसे तेजी से फलती-फूलती इंडस्ट्री के रूप में उभर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि यह सेक्टर कोविड 19 महामारी के झटके को काफी पीछे छोड़ चुका है। यहां एयर ट्रैफिक मूवमेंट के जो आंकड़े 2022 में 18 करोड़ से कुछ ज्यादा थे, 2023 में वे 32 करोड़ से ऊपर पहुंच गए हैं। माना जा रहा है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो भारत साल के आखिर तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट बन जाएगा। बुनियादी शर्त : हालांकि देश में सिविल एविएशन की सक्सेस स्टोरी को आकर्षक बनाने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। लेकिन यात्रियों और एयरलाइंस कंपनियों के बीच स्वस्थ और सद्भावपूर्ण रिश्ता इसकी बुनियादी शर्त है।

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