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युद्ध फैलने का खतरा

ईरान की ओर से शनिवार देर रात इजरायल पर किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों ने छह महीने से गाजा में जारी इजरायल-हमास युद्ध के और फैलने का गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। पहले ही दो युद्धों के प्रभावों से बेहाल दुनिया के लिए अब यह सबसे बड़ा सवाल है कि इजरायल इस हमले के जवाब में क्या और कैसा कदम उठाता है। ईरान का बदला: हालांकि ईरान ने अपने कदम को आत्मरक्षा की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि यह दमिश्क में उसके दूतावास पर हुए हमले का जवाब है।
ईरान के स्थायी प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि इस कार्रवाई के बाद उसकी तरफ से मामले को खत्म माना जा सकता है, लेकिन अगर इजरायल ने फिर कोई गलती की तो नतीजे इससे भी गंभीर होंगे। इजरायली रुख: हमले से ठीक पहले इजरायली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने अपना यह सिद्धांत घोषित किया था कि ‘जो हमें नुकसान पहुंचाएगा उसे हम नुकसान पहुंचाएंगे।’ वैसे भी ईरान की प्रतिक्रिया को अपेक्षा से ज्यादा सख्त माना जा रहा है। ऐसे में इजरायल अपनी जमीन पर सीधे हमले की ईरानी कार्रवाई को चुपचाप स्वीकार कर लेगा, इसके आसार नहीं दिखते। अमेरिका की प्रतिक्रिया :
लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए जरा सी असावधानी दुनिया को बहुत बड़े संकट में धकेल सकती है। लिहाजा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल की आत्मरक्षा के सवाल पर हर तरह के सहयोग का वादा करते हुए भी यह साफ कर दिया है कि उसकी ओर से की जाने वाली किसी आक्रामक कार्रवाई में वह साथ नहीं देंगे। भारत की दुविधा: भारत के लिए यह स्थिति खास तौर पर असमंजस पैदा करने वाली है। इजरायल और ईरान दोनों से ही उसके बहुत अच्छे और करीबी रिश्ते रहे हैं। मिसाइल हमले से एक दिन पहले ईरान ने होरमुज जलडमरूमध्य में इजरायल से जुड़े जिस कार्गो शिप पर कब्जा किया, उसमें 17 भारतीय नागरिक भी हैं। इसलिए भारत की पहली चुनौती इन भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें छुड़ाने की बन गई है। साइड इफेक्ट:
मगर जिस तरह के तनावपूर्ण हालात इजरायल और ईरान के बीच बन गए हैं, उसके साइड इफेक्ट भी कम गंभीर नहीं होने वाले। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पहले ही 90 डॉलर पार कर चुकी है। यह 100 डॉलर से ऊपर पहुंच सकती है। इसका सीधा प्रभाव महंगाई पर दिखेगा। ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित होगी। लाल सागर रूट पहले ही हूती विद्रोहियों की कार्रवाई के चलते बाधित है। अब होरमुज जलडमरूमध्य में भी हालात प्रतिकूल होते दिख रहे हैं। यही नहीं यूरोप आने जाने का हवाई किराया भी बढ़ने के आसार हैं क्योंकि फ्लाइट आवर्स बढ़ जाएंगे। साफ है कि भारत समेत तमाम देशों के हक में जरूरी है कि हालात को बेकाबू न होने दिया जाए।

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