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संपादकीय: अब और बदला नहीं

ईरानी मिसाइल और ड्रोन हमलों के छह दिन बाद शुक्रवार सुबह इजरायल की ओर से ईरान पर जवाबी हमले की खबरों ने पूरी दुनिया को एकबारगी सकते में डाल दिया। लगा कि इस पूरे क्षेत्र में युद्ध फैलने की जो आशंका पिछले कुछ दिनों से बनी हुई थी, वह सच हो रही है। लेकिन हमले को लेकर इजरायल और ईरान के शुरुआती रुख पर गौर करें तो पिछले दिनों चले अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयासों के पॉजिटिव असर भी दिख रहे हैं।
चिंता की वजहेंपिछले 13 अप्रैल को ईरान की ओर से इजरायल पर हुए हमले के बाद जहां इजरायल जवाबी कार्रवाई पर अड़ा हुआ था, वहीं ईरान बार-बार दोहरा रहा था कि अगर इजरायल ने आगे कुछ भी किया तो उसका जवाब पहले से ज्यादा तगड़ा होगा। ऐसे में सभी प्रमुख देशों की कोशिश मामले को ठंडा करने की थी। लेकिन शुक्रवार सुबह आई ताजा इजरायली हमले की खबरों से एकबारगी हालात बेकाबू होते से लगे। परमाणु केंद्र थे निशाने परमामला ज्यादा गंभीर इसलिए भी था कि इजरायली ड्रोन और मिसाइल हमलों का मुख्य निशाना ईरान का इस्फहान शहर बताया गया, जो न केवल मिसाइल उत्पादन का एक बड़ा केंद्र है बल्कि कई परमाणु केंद्रों का भी ठिकाना है। अच्छी बात यह रही कि इस हमले से जान-माल की क्षति की कोई खबर नहीं है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इस बात की पुष्टि की है कि हमले में किसी परमाणु केंद्र को नुकसान नहीं हुआ है। तूल नहीं दे रहे
खास बात यह कि इजरायल और ईरान दोनों ही इस हमले को तूल देने के मूड में नहीं दिखते। इजरायल की ओर से अमेरिकी अधिकारियों को कार्रवाई की पूर्व सूचना दे दी गई थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर ईरान ने इसकी घोषणा भी नहीं की। अमेरिकी अधिकारियों ने ही मीडिया को इस बारे में बताया। दूसरी ओर ईरान ने कुछ ड्रोन को मार गिराने की बात जरूर कही, लेकिन इसके लिए इजरायल या किसी अन्य देश को जिम्मेदार नहीं ठहराया। इसे घुसपैठ की कोशिश कहा गया। स्वाभाविक ही ईरान की ओर से बदले की कार्रवाई का भी कोई संकेत नहीं है। क्रू मेंबर्स पर प्रगति
इस बीच भारत के लिए अतिरिक्त राहत की एक खबर यह है कि ईरान द्वारा जब्त मालवाहक जहाज MSC Aries पर फंसे 17 भारतीय क्रू मेंबर्स में शामिल एकमात्र महिला सदस्य ऐन टेस्सा जोसफ स्वदेश लौट आई हैं। अन्य सदस्यों की रिहाई पर भी ईरानी अधिकारियों से पॉजिटिव बातचीत चल रही है। कूटनीति की जीतअगर शुरुआती संकेत सही साबित होते हैं और यह प्रकरण शांति से निपट जाता है तो यह हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की एक ऐसी जीत होगी, जो युद्ध के बजाय बातचीत से मसले हल करने की प्रेरणा को मजबूती देगी।

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