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संपादकीय: चीन का अड़ियल रवैया और पीएम की सीमा विवाद सुलझाने की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने की जरूरत बताई है, जो कि बिल्कुल सही रुख है। दोनों देश पड़ोसी होने के साथ ही दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और ग्रोथ इंजन हैं। इसलिए किसी भी तरह के टकराव से दोनों का ही नुकसान है। ऐसे में पीएम मोदी का यह कहना सही है कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए भारत-चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध अहम हैं।
अड़ियल चीनभारत का यह स्टैंड ऐसे समय सामने आया है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक बार फिर से अड़ियल रवैया अपनाया है। वह पहले भी अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा में कई जगहों के नाम बदल चुका है। चीन इस इलाके पर अपना दावा ठोकता रहा है और इस राज्य को जंगनान बुलाता है। परिपक्वता दिखाईभारत में इस समय लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा है। ऐसे में विपक्ष भी चीन के साथ विवाद का मुद्दा उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि चीन ने 2020 में हमारे हिस्से की जमीन पर कब्जा कर लिया, जबकि सरकार इसे बेबुनियाद आरोप बताती रही है। तल्ख इतिहास
भारत की पहल के बाद अब गेंद चीन के पाले में है। उसकी तरफ से कोई सकारात्मक कदम उठता दिखना चाहिए। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में चीन का रुख ऐसा नहीं रहा है, जिससे कोई आस बंधे। दोनों मुल्कों के मौजूदा संबंधों की बात करें, तो 2017 में डोकलाम विवाद के बाद से सीमा पर माहौल कभी सामान्य नहीं हो पाया। बल्कि, 2020 में गलवान में हुई झड़प ने स्थिति और बिगाड़ी ही है। भारत का स्पष्ट कहना है कि चीन पहले अपनी सेनाओं को पीछे करे, उसके बाद ही रिश्ते आगे बढ़ेंगे। बैर का कारणअब सवाल है कि भारत को लेकर चीन इतना आक्रामक क्यों है? बाकी पड़ोसियों के साथ तो उसने सीमा विवाद सुलझा लिया या फिर सुलझाने के करीब है, लेकिन भारत के साथ वह इस विवाद को हाल के वर्षों में और हवा दे रहा है। दरअसल, इसे चीन की विदेश नीति का हिस्सा कह सकते हैं। चीन के बाकी पड़ोसी उसके मुकाबले दुनिया में खड़े होने की हैसियत फिलहाल नहीं रखते, जबकि भारत तेजी से तरक्की कर रहा है। दुनिया भी मान रही है कि चीन का अगर कोई विकल्प हो सकता है, तो भारत ही। ऐसे में चीन सीमा विवाद को जिंदा रखकर हिंदुस्तान पर दबाव बनाए रखना चाहता है। इसी वजह से लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक, वह कुछ न कुछ खुराफात करता रहता है। जिम्मेदारी चीन पर
हालांकि, बेहतर यही होगा कि चीन, भारत में शीर्ष स्तर से की गई इस पहल को स्वीकार कर ले और बातचीत के जरिए आपसी विवाद को सुलझाए। भारत के साथ किसी भी तरह का विवाद दोनों ही देशों के लिए ठीक नहीं होगा। वहीं, अगर दोनों के बीच शांतिपूर्ण संबंध बनते हैं तो उनकी तरक्की का मार्ग प्रशस्त होगा।

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