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ऑटिज्म की समस्या से ग्रस्त बच्चों के लिए टाऊनशिप

ऑटिज्म एक ऐसी समस्या है, जिससे ग्रस्त लोगों में व्यवहार से लेकर कई तरह की दिक्कतें होती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों की स्थिति में सामाजिक स्वीकार्यता से सुधार लाया जा सकता है। ऑटिज्म के शुरुआती लक्षण 1-3 साल के बच्चों में नजर आ जाते हैं। इस समस्या से ग्रस्त बच्चों के लिए भारत में एक टाऊनशिप बन रहा है। यह टाऊनशिप वेस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता के बाहरी इलाके में बन रहा है और 2023 से यह चालू हो जाएगा।



इस टाऊनशिप का निर्माण इंडिया ऑटिज्म सेंटर (आईएसी) नाम की संस्था कर रही है। संस्था के मैनेजिंग न्यासी और अध्यक्ष सुरेश सोमानी के अनुसार, इस केंद्र में 4000 लोगों के रहने की व्यवस्था है। इसमें ऑटिज्म के शिकार बच्चों के परिवार भी ठहर सकते हैं। सोमानी ने बातया कि दक्षिण 24 परगना जिले के सिराकोल में यह केंद्र 53 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा और उसके निर्माण पर 350 करोड़ रूपये की लागत आएगी। सोमानी ने कहा, ‘यह आनुवांशिक विकार है और देश में इसके बारे में जागरूकता और जानकारी अब भी बहुत कम है।’

बता दें कि ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो बातचीत और दूसरे लोगों से व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है। हर एक बच्चे में इसके अलग-अलग लक्षण होते हैं। कुछ बच्चे बहुत जीनियस होते हैं। कुछ को सीखने-समझने में भी परेशानी होती है। ये बच्चे बार-बार एक ही तरह का व्यवहार करते हैं। 40 प्रतिशत ऑटिस्टिक बच्चे बोल नहीं पाते। औसतन 68 में से 1 बच्चा ऑटिज्म का शिकार होता है, क्यों होता है पता नहीं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इंफेंक्शन, प्रेग्नेंसी के दौरान मां की डायट और जेनेटिक्स इसकी वजह हो सकती है।

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