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प्रशांत किशोर ने '50 हजार करोड़ के दावे' को लेकर तेजस्वी की समझ पर उठाया सवाल, MOU का समझाया गणित

मुजफ्फरपुर: भागलपुर लोकसभा से महागठबंधन प्रत्याशी अजीत शर्मा के लिए बीते दिन तेजस्वी यादव ने एक जनसभा को सम्बोधित किया। इसमें तेजस्वी यादव ने दावा करते हुए कहा कि महागठबंधन की 17 महीने की सरकार के दौरान हम बिहार में निवेश लाए। पटना में इन्वेस्टर समिट किया। 50 हजार करोड़ का निवेशकों से MOU करवाया। अब तेजस्वी यादव के इन दावों पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने तंज करते हुए निशाना साधा है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि पहले तो ये बताइए कि तेजस्वी यादव 50 करोड़ कहे हैं, या 50 हजार करोड़ कहे हैं। तेजस्वी यादव के जीवन में पहली बार शायद कोई इस तरह का सम्मेलन हुआ है। तेजस्वी बताएं, बिहार में कौन सा बड़ा उद्योगपति आया था: प्रशांत किशोरप्रशांत किशोर ने कहा कि आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि देश के ज्यादातर राज्यों में इस तरह के सम्मेलन होते हैं। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक में जब इस तरह का सम्मेलन होता है तो 50 हजार करोड़ रुपये का नहीं होता है। ये एमओयू कोई निवेश नहीं होता है, इसको इंटेंट कहते हैं। इसमें लोग घोषणा करते हैं कि 30 लाख करोड़, 40 लाख करोड़ और 50 लाख करोड़ के निवेश की, उसके बदले इन्वेस्टमेंट 2 हजार करोड़ का होता है। पीके ने बिहार समिट को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि तेजस्वी यादव बताएं कि इसमें देश का कौन सा बड़ा उद्योगपति आया था। बिहार में कहां पर, कौन सी फैक्ट्री चालू करने की बात हुई या प्रपोजल घोषित हुआ है, ये बता दीजिए। MOU जिस कागज पर लिखा होता है, उसकी कीमत ज्यादा: पीकेतेजस्वी यादव के बौद्धिक स्तर पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव की जितनी समझ है, उतना ही तो बोलेंगे। बिजनेस समिट के एमओयू की कोई वैल्यू नहीं है। ये नॉन बाइंडिंग एग्रीमेंट है। आप इस तरह के समिट में बिजनेसमैन बनकर जाइए और कहिएगा कि हम 20 हजार करोड़ रुपये का बिहार में इन्वेस्टमेंट करेंगे। सरकार उसको लिख लेगी कि ये व्यक्ति बिहार में 20 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करेंगे। लेकिन ये कोई बाइंडिंग एग्रीमेंट नहीं है। इससे पैसा नहीं आया है।प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि मीटिंग में आप आएं और आपने कह दिया कि हां! हम पैसा यहां इन्वेस्ट करेंगे। अगर जितने पैसे का एमओयू होता है, उतना पैसा इन्वेस्ट होने लगे तो गुजरात में 90 लाख करोड़ रुपये का एमओयू पिछले 10 सालों में हुआ है। इसकी कोई वैल्यू नहीं है, एक पैसे की भी नहीं है। जिस कागज पर ये लिखा होता है उस कागज की कीमत उससे बहुत ज्यादा है। (रिपोर्ट -के. रघुनाथ)

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