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इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से पहले करवा लेना चाहिए ये टेस्ट, वरना पड़ जाएंगे लेने के देने

12 घंटे से 24 घंटे की फास्टिंग का चलन अपने देश में रहा है। कुछ लोग उपवास के दौरान 12 घंटे की फास्टिंग करते हैं तो कई लोग पूरे 24 घंटे की तो कुछ इनसे भी ज़्यादा। दरअसल, इससे शरीर का शुद्धिकरण यानी डिटॉक्सिफिकेशन (शरीर से गंदे पदार्थ को निकालने की प्रक्रिया) होता है। लेकिन जब इसे लगातार कई दिनों तक करना हो तो सही तरीका न अपनाने से नुकसान हो सकता है।
जब आफत बन गई इंटरमिटेंट फास्टिंग विकास (बदला हुआ नाम) 27 साल के हैं और हाइट 5 फुट 8 इंच है। एक आईटी कंपनी में काम करते हैं। दोस्तों के साथ ही रहते हैं। उनका वज़न करीब 105 किलो है। हाइट के हिसाब से उनका वज़न बहुत ज़्यादा है। वह इस बात को समझते हैं, लेकिन इससे परेशानी हो सकती है, इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं। कई दोस्त उन्हें प्यार से क्यूटू कहते हैं। इससे वह खुश हो जाते हैं। वहीं, उनका अपना तर्क है कि मैं काम में फास्ट हूं। परेशानियों की हो गई शुरुआतशादी करने से पहले वज़न कम कर लूंगा। अभी तो खाने-पीने दो। कमाई अच्छी है तो पार्टी, जंक फूड, पैक्ड फूड, अल्कोहल अक्सर लेते रहते हैं। कुछ दिनों से उन्हें कभी-कभी चक्कर आने शुरू हो गए हैं। सिर भी भारी-भारी रहता है। अपनी यह परेशानी उन्होंने एक दोस्त को बताई। दोस्त ने सुझाव दिया कि किसी डॉक्टर को दिखा लो। पहले तो विकास डॉक्टर से मिलने के लिए तैयार नहीं हुए। फिर परेशानी बढ़ने पर वह एक जनरल फिज़िशन से मिले। हाई बीपी का मरीज
डॉक्टर ने उसी समय बीपी की रीडिंग ली। उनकी सामान्य बीपी पूरी तरह से हाई बीपी यानी हाइपरटेंशन में बदल चुका था। रीडिंग 190/110 आई। साथ में पल्स रेट भी 115 था। डॉक्टर ने विकास से पूछा बीपी की कोई दवा ले रहे हैं? विकास ने ना में सिर हिलाया। डॉक्टर ने फौरन ही बीपी की हाई डोज की दवा लिखी। यह 40mg की दवा थी जिसे दिन में 2 बार यानी सुबह-शाम लेना था। साथ ही डॉक्टर ने शुगर की रैंडम रीडिंग भी ली। वजन कम करने की मिली सलाहविकास प्री-डायबीटिक स्टेज में थे। उनकी रैंडम शुगर 145 थी। डॉक्टर ने विकास को वज़न कम करने की सख्त हिदायत दी। खानपान, वॉकिंग और एक्सरसाइज़ करने के लिए कहा। साथ ही डॉक्टर ने यह भी कहा कि अगर वज़न कम न किया तो किडनी, हार्ट आदि पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। विकास ने बात को गंभीरता से लिया। शुरू की 16 घंटे की फास्टिंग
विकास ने अपने एक दोस्त की राय से ही Intermittent Fasting(IF) का मुश्किल वाला तरीका, जिसमें 16 घंटे की फास्टिंग और खाने का वक्त सिर्फ 8 घंटे का होता है, इसे शुरू किया। उनके लिए इसे करना मुश्किल हो रहा था। साथ में एक्सरसाइज़ और ब्रिस्क वॉक भी शुरू की। इस वजह से अचानक कमज़ोरी और थकान होने लगी। इससे ऑफिस का काम भी प्रभावित होने लगा।इसी दौरान उन्होंने अमेरिका वाली वह रिपोर्ट पढ़ी जिसमें इंटरमिटेंट फास्टिंग की वजह से होने वाली परेशानी की बात कही गई थी। उन्होंने फौरन ही इंटरमिटेंट फास्टिंग करना छोड़ दिया। जब विकास के दोस्तों ने देखा तो उसे टोका। इसके बाद विकास ने एक सीनियर डाइटिशन से अपने लिए राय मांगी। डाइटिशन ने एक टेस्ट कराया। इसके बाद सही डाइट के साथ, इंटरमिटेंट फास्टिंग का तरीका भी बताया। विकास फिर से इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं, लेकिन सही तरीके से। साथ ही एक्सरसाइज़ भी जारी है। अब उनका वज़न भी धीरे-धीरे कम हो रहा है। क्या-क्या गलती की विकास ने
  • ओवरवेट होना अपने आप में खतरनाक है। फैटी लिवर की शुरुआत अमूमन यहीं से होती है। इसे नज़रअंदाज़ करना सही नहीं है। शुरुआत में विकास ने इसे हल्के में लिया था।
  • उन्होंने अचानक ही 16 घंटे की फास्टिंग शुरू कर दी, जिसे निभाना मुश्किल हो गया था। उन्हें इसकी शुरुआत कैसे करनी चाहिए, इसे सही से नहीं समझा।
  • वह यह बात नहीं समझे कि इंटरमिटेंट फास्टिंग या वज़न घटाने का कोई दूसरा तरीका, सभी लोगों पर एक तरह से लागू नहीं होता। शरीर और सोच पर काफी कुछ निर्भर करता है।
  • ऐसे ही किसी रिपोर्ट को सच नहीं मान लेना चाहिए। उस फील्ड के एक्सपर्ट से ज़रूर बात करनी चाहिए।
रिपोर्ट पर उठे सवालआजकल वज़न कम कर परेशानियों को दूर करने का सबसे मशहूर उपाय इंटरमिटेंट फास्टिंग है। अमेरिकन हार्ट असोसिएशन ने मार्च 2024 में हुए एक लाइफस्टाइल कॉन्फ्रेंस में कहा कि 16 घंटे की लगातार फास्टिंग और सिर्फ 8 घंटे के दौरान के खानपान से हार्ट की समस्या हो सकती है। उन्होंने एक स्टडी के हवाले से यह बात कही कि इंटरमिटेंट फास्टिंग की वजह से लोगों की सेहत खराब हो रही है।पर इस स्टडी में कई तरह की खामियां थीं। उन्होंने जिन लोगों पर स्टडी की उनकी पिछली बीमारियों का कोई जिक्र नहीं था। ऐसी तमाम कमियों के बावज़ूद इस रिपोर्ट ने लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग की अच्छाई और खामियों पर चर्चा करने पर मजबूर कर दिया। क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
अगर शब्दों पर जाएं तो इसका मतलब है कि लगातार न खाना यानी खाने के बीच में फास्ट करना। इसे एक पैटर्न के साथ करना। इसके कई तरीके होते हैं। सबसे मशहूर 16/8 यानी 16 घंटे फास्ट और 8 घंटे खाना है। जहां तक सवाल है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के दौरान क्या खाना चाहिए तो इसके लिए कोई खास नियम या योजना नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि जब कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहा हो तो खानपान में हेल्दी फूड ही लेना चाहिए। ऐसी हो खाने की थालीएक बैलेंस्ड थाली होनी चाहिए, जिसमें कार्बोहाइड्रेट के साथ प्रोटीन, फाइबर, मिनरल, विटामिन आदि सब कुछ हो। इसमें कैलरी ज़्यादा न लें, इसका भी ध्यान रखें। साथ ही, अगर किसी ने एक दिन फास्टिंग और दूसरे दिन खाने वाला तरीका अपनाया है तो इसमें भी खानपान के दौरान कैलरी का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए।ऐसे डाइट से बचना चाहिए, जिनमें कैलरी ज़्यादा हो। मसलन: मिठाई, डीप फ्राई वाली चीज़ें आदि। दूसरे शब्दों में इसे एक खास तरह से खाने की नीति कह सकते हैं जिसमें ज़्यादा और निश्चित समय फास्टिंग और कम समय खाने के लिए होता है। साथ ही, पहले अपने गट हेल्थ (पाचन की स्थिति) को मज़बूत करें। फास्टिंग से पहले कराएं यह टेस्ट
इस टेस्ट का नाम Fasting Cortisol है। अगर किसी को इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू़ करनी हो तो पहले यह टेस्ट करा लेने से फायदा होगा। इस टेस्ट से शरीर में कॉर्टिसोल हॉर्मोन के स्तर का पता चलता है। यह हॉर्मोन हमारे खून में मिलता है। यह एड्रिनल ग्लैंड में बनता है। इस हॉर्मोन का सामान्य होना ज़रूरी है। यह हॉर्मोन खाने वाली चीज़ों से प्राप्त होने वाले विटामिन, मिनरल आदि को सही तरीके ज़ज्ब करने की क्षमता को बढ़ाता या घटाता है।अगर कोई शुगर या बीपी का मरीज़ है तो यह जांच उसके लिए फायदेमंद हो सकती है। उसे पता चल जाएगा कि शरीर इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए तैयार है या नहीं। जिन लोगों में इस हॉर्मोन का स्तर सामान्य रहता है, उन पर इंटरमिटेंट फास्टिंग का सही असर होता है। वज़न जल्दी कम होता है। लेकिन अगर हॉर्मोन का स्तर सही न हो तो शरीर में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। सामान्य-सा ब्लड टेस्ट है Fasting Cortisol
  • कब कराएं: सुबह 7 से 8 बजे खाली पेट। पिछला खाना कम से कम 12 घंटे पहले खाया हो। दरअसल, इसका उत्पादन सूरज के दिन चढ़ने के साथ बढ़ता जाता है और रात के समय कम हो जाता है। ऐसे में सुबह खाली पेट ही शरीर में इसके सही स्तर का पता चलता है।
  • कैसे होती है जांच: खून से, रिपोर्ट: उसी दिन, खर्च: करीब 500 रुपये, सामान्य रिजल्ट: 13 से 14
  • रिपोर्ट का निष्कर्ष: अगर किसी शख्स के Fasting Cortisol का रिजल्ट सामान्य है यानी 13 से 14 के बीच है तो वह ज़रूर इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू कर सकता है। रिज़ल्ट इससे कम आए या ज़्यादा आए तो उसे पहले सामान्य करने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
  • ऐसे लाएं सामान्य स्तर तक यह हॉर्मोन: अपना खानपान दुरुस्त करना चाहिए। अनहेल्दी फूड (जंक फूड: नूडल्स, बर्गर आदि) को कम करना होगा और फिजिकल ऐक्टिविटीज़ को बढ़ाना होगा। इसके बाद जब रिपोर्ट नॉर्मल आ जाए तो इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करे।
  • कई तरह से इंटरमिटेंट फास्टिंग1. 16/8 फास्टिंगइस तरीके में हर दिन 16 घंटे की फास्टिंग और 8 घंटा ही खाने के लिए होते हैं। इससे शरीर में मौजूद फैट टूटने लगता है। क्या हैं चुनौतियां: किसी ऐसे शख्स के लिए जिसने कभी फास्टिंग न की हो, उसके लिए अचानक 16 घंटे की फास्टिंग बहुत बड़ी चुनौती होती है। शुरुआत में शरीर को इसे स्वीकार करने में काफी मुश्किल होती है। कमज़ोरी लगने लगती है। कई बार फास्टिंग को तोड़कर ज़्यादा मात्रा में खाने का मन करता है। 2. 8/16 या 10/14 या 12/12 या 13/11 या 14/10 या 15/9 फास्टिंग
    अगर किसी को 16 घंटे की फास्टिंग से कुछ परेशानी हो तो वह फास्टिंग की शुरुआत 16 घंटे से न करके 8 घंटे से करे। मतलब यह कि खाने का पीरियड शुरुआत में 16 घंटे का और फास्टिंग 8 घंटे की। इसके बाद फास्टिंग के पीरियड को बढ़ाते चलें। यानी 8/16 या 10/14 या 12/12 या 13/11 या 14/10 या 15/9 करे। इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने का यह सबसे बेहतरीन तरीका है।पहले शरीर को फास्टिंग के लिए तैयार करें। इसे शुरुआत में 15 दिनों से 30 दिनों के लिए करें। जब इसकी आदत हो जाए तो फिर फास्टिंग के घंटों को बढ़ाकर 10 घंटे कर दें। इसे 7 दिनों के लिए करें। फिर इसमें 1 से 2 घंटे जोड़ते चले जाएं। 3. डाइट 5:2
    यह भी इंटरमिटेंट फास्टिंग का ही एक तरीका है। इसमें हफ्ते में 5 दिन खाना होता है और फिर लगातार 2 दिनों तक उपवास रखना होता है। 4. ADFइसे अल्टरनेट डे फास्टिंग कहते हैं। जैसा कि नाम से ही साफ है। हफ्ते में एक दिन छोड़कर फास्टिंग रखना। यह कैलरी भी सलाद, फल आदि से ले तो बढ़िया। यह तरीका भी चलन में है। 5. सबसे आसान तरीकाइसमें हफ्ते में एक दिन की फास्टिंग और 6 दिनों तक खाना होता है। इससे वज़न कम होने की गुंजाइश ज़्यादा नहीं होती, लेकिन शरीर के शुद्धिकरण में मददगार है। इससे हमारे पाचन तंत्र को भी कुछ आराम मिलता है। ऐसे लोग पहले लें डॉक्टर की सलाह
    • शुगर के मरीजः खासकर अगर लो शुगर की परेशानी हो तो।
    • बीपी के मरीजः खासकर लो बीपी हो। फास्टिंग के दौरान बीपी लो होने का खतरा हो सकता है।
    • हार्ट, किडनी, लिवर आदि की परेशानी हो।
    • अगर कोई प्रेग्नेंट हो।
    • वज़न सामान्य से 40 से 60 फीसदी ज़्यादा हो।
    तब टूटता है शरीर का यह डिपॉज़िटज़्यादा कैलरी वाला और ज़्यादा फैट वाला यानी अनहेल्दी खाना खाकर और फिजिकल ऐक्टिविटी से दूर रहकर खुद को मोटा बना लेते हैं। लेकिन जब मोटे शरीर को कम करने की ज़रूरत आन पड़ती है तो शरीर से चर्बी को निकालना बहुत मुश्किल लगने लगता है। दरअसल, वज़न बढ़ने का सीधा मतलब है कि शरीर में फालतू चर्बी जमा हो गई है। इस अतिरिक्त चर्बी की तुलना हम बैंक में जमा उस फिक्स्ड डिपॉजिट से कर सकते हैं, जिसे हम अक्सर ज़रूरी वक्त के लिए बचाकर रखते हैं। डाइट कम नहीं करेंगे तो नहीं बनेगी बात
    जब तक बहुत ज़रूरी न हो तो हम बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट को टर्म पूरा होने से पहले नहीं तोड़ते। सेविंग्स अकाउंट से काम चलाते रहते हैं। पैसों की यह बचत तो सही है, लेकिन वज़न में यह बचत नुकसानदायक है। शरीर भी तब तक जमा हुई चर्बी को नहीं तोड़ता, जब तक हम डाइट कम नहीं करते। चर्बी, तेल, मिठाई आदि कम नहीं खाते और कभी फास्ट नहीं रखते। दरअसल, शरीर को अपना काम सुचारू रूप से करने (दिमाग, दिल, फेफड़ों, खून का बहाव, चलना, ऑफिस का काम करना, पढ़ाई करना आदि) के लिए ऊर्जा की ज़रूरत हर क्षण होती है।अगर हमारे पेट में हर वक्त भोजन मौजूद होगा तो वह इसी से अपना काम चलाता रहेगा, शरीर में जमा चर्बी को नहीं तोड़ेगा। अगर हमारा पेट खाली होगा, कई घंटों तक हम अलग से कैलरी या ऊर्जा नहीं लेंगे तो स्वाभाविक है कि शरीर अपने पास जमा FD यानी चर्बी को तोड़कर ही अपने लिए ऊर्जा की पूर्ति करेगा। ऐसे में जब कोई साथ में एक्सरसाइज़ भी करता है और फाइबर यानी सलाद आदि की मात्रा ज़्यादा लेता है तो वज़न कम होने की गति तेज़ हो जाती है। रुटीन के हिसाब से कर लें एडजस्ट
    यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 8 घंटे के खाने के पीरियड को हम कब से कब तक इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए अपने रुटीन को भी देख सकते हैं। वैसे तो जल्दी सोना और जल्दी जागना सही है, लेकिन कई लोग जो देर रात सोते हैं और देर से उठते हैं। ऐसे लोगों के पास 2 तरह के विकल्प होते हैं: जो जल्दी सोते हैं और जल्दी उठते हैं: इनके लिए खाने का पीरियड सुबह 8 बजे से दिन के 4 बजे तक हो सकता है। इस 8 घंटे के स्लॉट में हेल्दी खाने का विकल्प चुनना चाहिए। बाकी शाम 4 बजे के बाद से लेकर सुबह के 8 बजे तक फास्टिंग पीरियड होता है। जो लोग देर से सोते हैं और देर से उठते हैं:
    ऐसे लोगों के लिए खाने का स्लॉट दिन के 12 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक रहता है यानी रात 8 बजे के बाद से दूसरे दिन के लगभग 12 बजे तक वे फास्टिंग पर होते हैं। पता लगाएं कि आपके लिए है या नहीं?अगर किसी शख्स को 16/8 तरीके वाली इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाना है तो इसके लिए सबसे पहले यह देखे कि वह इसमें फिट हो पाएगा या नहीं? इंटरमिटेंट फास्टिंग के दूसरे तरीकों में भी अपने रुटीन के हिसाब से क्या फिट हो सकता है, इसे देखना चाहिए।अगर कोई हर दिन फास्टिंग नहीं कर सकता तो उसे हफ्ते में 2 दिन फास्टिंग वाला तरीका अपनाना चाहिए। कोई चाहे तो अल्टरनेट डे फास्टिंग का तरीका भी ट्राई कर सकता है।अगर किसी ने पहले कभी फास्टिंग नहीं की हो और वह अचानक से इस तरह की फास्टिंग शुरू कर दे तो परेशानी हो सकती है। अगर किसी ने नवरात्र या रोज़े में लगातार दिनभर की फास्टिंग की हो तो उसके लिए यह आसान हो सकता है। तैयारी के लिए ज़रूरी डाइट
    यह ज़रूरी नहीं कि आज सोचा और फौरन ही इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू कर दी। हम 10 से 20 दिन पहले इसकी तैयारी कर सकते हैं। खासकर तब यह ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है जब कोई शख्स गैस, कब्ज़ आदि से पीड़ित हो। इसके लिए पहले कुछ दिन फिज़िकल ऐक्टिविटी करें। साथ में ऐसी डाइट लें जिनसे पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया (ये पेट में मौजूद होते हैं और पाचन में मदद करते हैं) की संख्या में इज़ाफा हो। ये नेचरल प्रो-बायोटिक हो सकते हैं जैसे दही, लस्सी, छाछ आदि। क्या लें डाइट के दौरानडाइट में सबकुछ हो यानी कार्बोहाइड्रेट (चावल, मिलेट्स की रोटी आदि), प्रोटीन (पनीर, अंडा आदि), मौसमी साग-सब्ज़ियां (भिंडी, सहजन, परवल, लौकी आदि), सलाद (खीरा, चुकंदर, टमाटर आदि)। इनके अलावा 2 पीस या 2 प्लेट मौसमी फल (संतरा, सेब, पपीता, केला, तरबूज़ आदि)। वहीं ड्रिंक में: जलजीरा, छाछ, सत्तू आम पना, नमकीन लस्सी आदि। क्या ले सकते हैं फास्टिंग के दौरान
    • दिनभर में फास्टिंग के दौरान 50 कैलरी से ज़्यादा न लें।
    • शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिनभर में 8 से 10 गिलास यानी 2 से 3 लीटर पानी लें।
    • 1 खीरा या 1 गिलास छाछ
    • 1 कप ग्रीन टी
    • 1 कप ब्लैक कॉफी, वह भी शाम से पहले। अगर सोने से पहले लेंगे तो नींद भाग सकती है।
    फास्टिंग से इस तरह की परेशानी मुमकिन
  • सिर दर्द: कुछ लोगों को अगर 16 घंटे की लगातार फास्टिंग से परेशानी हो तो वे कम घंटे वाली फास्टिंग को ट्राई कर सकते हैं। अगर ज़्यादा दर्द हो तो सिर दर्द की दवा ले और किसी डाइटिशन की राय भी ज़रूर लें।
  • कमज़ोरी: यह परेशानी तो कॉमन है। लेकिन ज़्यादा कमज़ोरी महसूस होने पर पर छाछ, खीरा आदि कुछ मात्रा में ले सकते हैं। ये ऐसे चीज़ें हैं जिनमें कैलरी की मात्रा काफी कम होती है। वैसे ज्यादातर मामलों में कमजोरी शुगर मरीज को ज्यादा होती है। इसलिए ऐसे लोगों को खास ध्यान रखना चाहिए।
  • चक्कर आना: अगर किसी को फास्टिंग की वजह से चक्कर आए तो उसे फौरन ही फास्टिंग तोड़कर पहले डॉक्टर या डाइटिशन से मिलना चाहिए।
  • गैस की परेशानी: अगर किसी को फास्टिंग के दौरान पेट में गैस की समस्या हो तो छाछ आदि लेते रहना चाहिए और डॉक्टर या डाइटिशन से मिल लें।
  • क्या हार्ट पर भी पड़ सकता है इस फास्टिंग का असर?सीधे तौर पर इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर दिल पर हो, ऐसा तो मुमकिन नहीं लगता। अगर किसी शख्स को पहले से ही दिल की बीमारी हो तो उसे पहले अपने डॉक्टर से मिल लेना चाहिए। वहीं, अगर कोई शख्स इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान सही तरीके से पोषक तत्व नहीं लेता है, सही डाइट पर ध्यान नहीं देता तो उसके शरीर में कुछ ज़रूरी विटामिन व मिनरल की कमी हो जाती है। इसलिए इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हों या नहीं, इन ज़रूरी विटामिन और मिनरल को लेते रहें: ज़रूरी विटामिन
    • ओमेगा-3 फैटी एसिड: अलसी (फ्लेक्स सीड), मछली हरी सब्ज़ियां आदि।
    • विटामिन-D: सूरज की रोशनी, ड्राई फ्रूट्स, मशरूम आदि।
    • विटामिन-C, B6, B12: मौसमी फल, सलाद, हरी सब्ज़ियां आदि।
    ज़रूरी मिनरल
    • मैग्निशियम: पालक, हरी सब्ज़ियां, नट्स (बादाम, अखरोट आदि)।
    • कैल्सियम: दूध, पनीर, दही, अंडा आदि।
    • पोटैशियम: नारियल पानी, केला आदि।
    • ज़िंक: ज़्यादातर सीड्स (लौकी, कद्दू, तिल आदि), हरी सब्ज़ियां, फल आदि।
    6 कॉमन गलतियां1. सिर्फ फास्टिंग के भरोसे रहना, ऊटपटांग कुछ भी, कितना भी खाते रहना2. ईटिंग पीरियड में ब्रेड-बटर, पैक्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीज़ें लेते रहना3. कैलरी का बिलकुल भी ध्यान न रखना4. खाने में फाइबर (सलाद, सब्ज़ी, फल) आदि की मात्रा न बढ़ाना5. लंबी फास्टिंग के दौरान चाय, कॉफी पीते रहना6. फिजिकल ऐक्टिविटीज़ (ब्रिस्क वॉक और एक्सरसाइज़) को भूल जाना एक्सपर्ट पैनल
    -डॉ. एस. सी. मनचंदा, Ex Head, कॉर्डियॉलजी, डिपार्टमेंट AIIMS-डॉ. परमीत कौर, चीफ डाइटिशन, AIIMS-नीलांजना सिंह, सीनियर डाइटिशन-ईशी खोसला, सीनियर डाइटिशनडिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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