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CM केजरीवाल के लिए 'असाधारण अंतरिम जमानत' की मांग, 22 अप्रैल को PIL पर दिल्ली HC में सुनवाई

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका(पीआईएल) के जरिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके खिलाफ ईडी, सीबीआई और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज सभी आपराधिक मामलों में असाधारण अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया गया है। याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक अंतरिम राहत के तौर पर केजरीवाल को हाउस अरेस्ट के तहत जेल से उनके सरकारी आवास में ट्रांसफर किए जाने की मांग भी इसमें उठाई गई है।
आम आदमी पार्टी(आप) के राष्ट्रीय संयोजक 2021-22 की शराब नीति में कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद हैं। हाई कोर्ट 22 अप्रैल को इस पीआईएल पर सुनवाई कर सकता है। 'हम भारत के लोग' शीर्षक से याचिकायाचिका दायर करने वाला व्यक्ति खुद को लॉ स्टूडेंट बताता है। याचिकाकर्ता का दावा है कि उसने मौजूदा पीआईएल 'We, The People of India (हम, भारत के लोग) शीर्षक से इसीलिए दायर की, क्योंकि वह इसके जरिए किसी तरह का प्रचार पाने की कोशिश नहीं कर रहा है। एडवोकेट करण पाल सिंह के माध्यम से दाखिल याचिका में हाई कोर्ट से अनुरोध किया गया है।
इसमें कहा गया है कि केजरीवाल को तब तक के लिए असाधारण अंतरिम जमानत पर जेल से छोड़ दिया जाए, जब तक ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों की जांच पूरी नहीं हो जाती। साथ ही मुकदमा लंबित रहता है। यह राहत मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा होने तक के लिए मांगी गई है। साथ ही याचिकाकर्ता ने इसके लिए खुद से निजी मुचलका देने की पेशकश की है। इसके साथ उसने अंतरिम राहत के लिए एक आवेदन भी दिया है। इसमें जनहित याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक केजरीवाल को हाउस अरेस्ट के तहत तत्काल जेल से उनके सरकारी सीएम आवास में भेजे जाने का निर्देश देने को अनुरोध है।
22 अप्रैल को याचिका पर होगी सुनवाईयाचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पीआईएल 22 अप्रैल को एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अगुवाई वाली डिविजन बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगी है। इसमें केंद्र, प्रवर्तन निदेशालय(ईडी), सीबीआई, दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल को प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया गया है। बता दें कि इससे पहले हाई कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर हुई थीं, जिनमें केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने से रोके जाने और सीएम के पद से इस्तीफा देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया। तीनों याचिकाएं खारिज कर दी गईं।
कोर्ट ने कहा कि मामला कार्यपालिका के अधिकारक्षेत्र में आता है। बार - बार एक ही तरह की याचिकाएं दाखिल होने से नाराज हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस तरह से न्यायिक प्रक्रिया का मखौल नहीं बनाया जाना चाहिए। तीसरी याचिका पर 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए कोर्ट ने कहा था कि ये जेम्स बॉण्ड की फिल्म नहीं है जिसके ‘सीक्वल’ होंगे। CM की जिम्मेदारी के लिए बाहर रहना जरूरीउसके बाद से पहली बार ऐसी कोई याचिका सामने आई है जिसमें सीएम के लिए राहत की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि मौजूदा मामला केवल एक सिटिंग चीफ मिनिस्टर से जुड़ा है।
इन्हें याचिकाकर्ता और उनके जैसे तमाम दूसरे दिल्लीवासियों ने अपने मतों के आधार पर पूरे बहुमत से जिताया है। ईडी की तरह सीबीआई और दिल्ली पुलिस की तरफ से भी सीएम को इससे जुड़े या दूसरे नए आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किए जाने की आशंका जताई गई है। कुछ लोगों की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने के मकसद से झूठी खबरें फैलाने का आरोप भी लगाया। एक सीएम की तमाम तरह की भूमिकाओं का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए केजरीवाल का अपने ऑफिस और घर में हर वक्त उपलब्ध रहना जरूरी है ताकि सारे मुद्दों पर तत्काल फैसला लिया जा सके और जरूरी आदेश जारी हो सकें।
दुनियाभर में छवि को नुकसानदिल्ली का मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल के जेल में बंद होने से दुनियाभर में दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय राजधानी की छवि को नुकसान पहुंचने का दावा किया। तर्क दिया कि कानून का स्थापित सिद्धांत है कि दंडनीय अपराध के अभियुक्त को तब तक बेकसूर माने जाने का हक है, जब तक मुकदमे के जरिए वह कानून की नजर में दोषी साबित नहीं हो जाता। जेल में घोर अपराधियां के बीच सीएम की सुरक्षा खतरे में होने को लेकर आशंका जताई। जेल प्रशासन और दिल्ली पुलिस को ऐसे वीआईपी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अक्षम बताया और उदाहरण के तौर पर सांसद अतीक अहमद की प्रयागराज में पुलिस हिरासत में हत्या का जिक्र किया।
सीएम की मेडिकल कंडीशन का मुद्दा उठाते हुए जेल में सर्वोत्तम स्वास्थ्य लाभ पाने के हक से उन्हें वंचित किए जाने जैसे तमाम और भी दावे इस याचिका में हैं। सीएम के लिए निजी मुचलका देने की पेशकश करते हुए याचिकाकर्ता कोर्ट को यह भरोसा भी दिला रहा है कि केजरीवाल इस दौरान न्यायिक प्रक्रिया से बचकर भागने की कोई कोशिश नहीं करेंगे।

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