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दो-दो आलोक मिश्रा, राजाराम, कानपुर में उतारे गए डमी कैंडिडेट, गठबंधन प्रत्याशियों के नाम वाले निर्दलीय मैदान में

सुमित शर्मा, कानपुर: यूपी के कानपुर में प्रचंड गर्मी के बीच सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है। कानपुर में इंडिया गठबंधन की स्थिति बेहद मजबूत दिख रही है। जिसकी वजह से बीजेपी के खेमे में हलचल बढ़ गई है। इंडिया गठबंधन को घेरने के लिए सियासी दांव-पेच चले जा रहे हैं। कानपुर लोकसभा सीट से गठबंधन प्रत्याशी आलोक मिश्रा हैं। बुधवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आलोक मिश्रा ने नामांकन कराया है।
वहीं, अकबरपुर लोकसभा सीट से गठबंधन प्रत्याशी राजाराम पाल हैं। अकबरपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राजाराम ने नामांकन कराया है। इंडिया गठबंधन ने इसे विपक्षी की साजिश बताया है। हताश विपक्ष इस तरह के हथकंडे अपना रहा है।सियासत में इसे वोट काटने की रणनीति के तौर पर देखा जाता है। कानपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराने वाले आलोक मिश्रा यशोदा नगर के रहने वाले हैं। आलोक मिश्रा खुद को समाजसेवी बता रहे हैं। उनका कहना है कि मैंने कोरोना काल में लोगों की मदद की थी।
समाज को बेहतर बनाने के लिए चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि मेरा बीजेपी से कोई लेना देना नहीं है। दस साल से बीजेपी से जुड़े हैंअकबरपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराने वाले राजाराम कानपुर देहात के सिकंदरा कलेनापुर गांव के रहने वाले हैं। राजाराम ने अपने शपथ पत्र में आय का स्त्रोत मजदूरी बताया है। इसके साथ ही अशिक्षित हैं, कहीं से भी शिक्षा ग्रहण नहीं की है। राजाराम का कहना है कि मैं 10 साल से भाजपा से जुड़ा हूं। इसके साथ ही ग्राम प्रधानी का भी चुनाव लड़े चुके हैं।
उनका कहना है कि अब सांसद बनकर क्षेत्र का विकास और जनता की सेवा करना चाहता हूं। बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोपकानपुर सीट से इंडिया गठबंधन प्रत्याशी आलोक मिश्रा का कहना है कि मेरे नाम से निर्दलीय प्रत्याशी उतारा गया है। प्रतिद्वंद्वी निम्न स्तर के हथकंडे अपना रहे हैं। इससे उनकी हताशा साफ झलक रही है। लेकिन हमारे नाम से मिलते-जुलते प्रत्याशी के चुनाव लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं, अकबरपुर सीट से सपा के गठबंधन प्रत्याशी राजाराम पाल का कहना है कि मतदाता समझदार है। वो चुनाव चिन्ह देखकर ही मतदान करेगा।

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