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जापान का चंद्रयान अमर! चांद पर उतरते ही मान लिया गया था 'खत्म', बार-बार हो रहा जिंदा, वैज्ञानिक हैरान

टोक्यो: जापान के मून मिशन ने नई कामयाबी हासिल की है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अनुसार, उनके मून स्नाइपर लैंडर ने तीसरी बार बाधाओं को पार किया है। ये तब हुआ है जबकि ऐसी कठोर परिस्थितियों को सहने के लिए उसे डिजाइन नहीं किया गया है। इसके बावजूद स्नाइपर लैंडर चांद पर काम कर रहा है। नासा के अनुसार, लूनार नाइट के दौरान तापमान शून्य से 208 डिग्री फारेनहाइट (शून्य से 133 डिग्री सेल्सियस नीचे) तक गिरता है।
ऐसे में मून स्नाइपर से एक चंद्र रात को भी झेलने की उम्मीद नहीं थी, जो चंद्रमा पर करीब दो हफ्ते चलने वाली अंधेरे की अवधि है।जापान का रोबोटिक वाहन एसएलआईएम (SLIM) को चंद्रमा की जांच के लिए भेजे गए स्मार्ट लैंडर के रूप में जाना जाता है। ये पहली बार 19 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने जापान को इस सदी में चंद्रमा पर उतरने वाला तीसरा और अब तक का पांचवां देश बना दिया। अंतरिक्ष यान शियोली क्रेटर के पास पहुंचा, जो चंद्र भूमध्य रेखा के निकट ट्रैंक्विलिटी सागर के 322 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है, जहां अपोलो ने पहली बार मनुष्यों को चांद पर उतारा था।
शुरू में लगा था फेल हो जाएगा मिशनइस मिशन में स्नाइपर के चांद पर उतरने के समय चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुई थीं। चांद पर उतरने के दौरान अंतरिक्ष यान नीचे टकराया और उसके सौर पैनल सीधे होने के बजाय पश्चिम की ओर हो गए। इससे और उन्हें बिजली उत्पन्न करने के लिए सूरज की रोशनी नहीं मिल पाई लेकिन जापान में मिशन की टीम को उम्मीद थी कि एक बार जब सूरज की रोशनी सौर पैनलों तक पहुंचेगी तो अंतरिक्ष यान फिर से काम करना शुरू कर देगा। ऐसा हुआ भी और यान ने काम करना शुरू कर दिया।मून स्नाइपर नई तस्वीरें लेकर उन्हें भेजते हुए टीम को सुखद आश्चर्यचकित करता रहता है।
पिछले सालों में चांद पर उतरने वाले मिशनों में चंद्रमा की चरम स्थितियों का सामना करने में इसका लचीलापन बेहतरीन है। मिशन टीम ने 23 अप्रैल को लैंडर के तीसरी चंद्र रात्रि से बाहर निकलने के बाद मून स्नाइपर के साथ कम्युनिकेट करने में सफलता पाई। टीम ने पाया कि अंतरिक्ष यान अपने लैंडिंग स्थल की ज्यादा तस्वीरें भेजने में सक्षम था। मिशन टीम ने इसके बागद कहा कि चंद्रमा पर तीन रातों के बाद भी SLIM ने मुख्य कार्यक्षमता बनाए रखी है। ये कुछ ऐसा है, जिसकी उम्मीद नहीं थी।नासा के अनुसार, चंद्र रात की अत्यधिक ठंड से बचने के अलावा मून स्नाइपर ने चंद्र दिवस के भीषण तापमान को भी सहन किया है, जो 250 डिग्री फारेनहाइट (121 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच सकता है।
टीम ने साझा किया कि वह एसएलआईएम की स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतरिक्ष यान के कौन से घटक समय के साथ खराब हो सकते हैं क्योंकि यह चंद्र दिन और रात के वातावरण का अधिक अनुभव करता है। JAXA इस बात को लेकर सावधान हैं कि जब SLIM पहली बार जागता है तो वे उसके साथ कैसे संवाद करना है क्योंकि अंतरिक्ष यान इतने उच्च तापमान में काम कर रहा है, जो कैमरों को गर्म कर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।

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