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चांद पर बर्फ ही बर्फ! भारतीय वैज्ञानिकों ने किया कमाल, चंद्रमा की सतह के नीचे बर्फ पर नए शोध से सबको चौंकाया

बेंगलुरू: चांद पर पानी की खोज से जुड़े नए तथ्य सामने आए हैं। भारतीय और अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन से इस बात की उम्मीद जगी है कि चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों में पहले के अनुमान से काफी अधिक उपसतह जल बर्फ हो सकती है। इसरो ने बुधवार को कहा है कि आईएसपीआरएस जर्नल ऑफ फोटोग्रामेट्री एंड रिमोट सेंसिंग में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि सतह के कुछ मीटर नीचे बर्फ की मात्रा सतह की तुलना में 5 से 8 गुना अधिक है।
यह दबी हुई बर्फ चंद्रमा पर लंबे समय तक मानव उपस्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसरो स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) के टी चक्रवर्ती ने कहा, 'इस बर्फ के वितरण और गहराई की सटीक जानकारी भविष्य में इन चंद्र वाष्पशील पदार्थों का पता लगाने और नमूना लेने के लिए लैंडिंग स्थलों का चयन करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। नासा के चंद्र टोही ऑर्बिटर (एलआरओ) पर सवार सात उपकरणों से डेटा का विश्लेषण करते हुए टीम ने पाया कि उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुवों की तुलना में लगभग दोगुनी बर्फ है।
माना जाता है कि बर्फ की उत्पत्ति प्राचीन चंद्र ज्वालामुखी के दौरान निकलने वाली गैस से हुई थी। चांद पर पानी मिलनाभारत के चंद्रयान-2 चंद्र ऑर्बिटर के रडार डेटा का उपयोग करते हुए निकाले गए निष्कर्ष संकेत देते हैं कि कुछ ध्रुवीय क्रेटर में बर्फ जमा हो सकती है। इसरो का कहना है कि नया अध्ययन चंद्रमा के वाष्पशील पदार्थों के इन-सीटू जांच के लिए उसकी भविष्य की योजनाओं का समर्थन करता है। पानी मानव जीवन के लिए एक बहुमूल्य संसाधन है। ऐसे में चंद्रमा की सतह के ठीक नीचे से बर्फ का होना एक नई संभावना पैदा करता है।
चांद पर पानी की खोज को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक सालों से खोज में जुटे हैं। इसको लेकर अलग-अलग तरह की जानकारी भी सामने आती रही है।

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