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हामिद करजई को आगे कर भारत को साध रहा तालिबान, इस्लामिक अमीरात की मंशा क्या है?

काबुल: अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही तालिबान लगातार भारत के साथ संबंधों को तवज्जो दे रहा है। इसके लिए वह खुद के कमांडरों के अलावा पूर्व नागरिक सरकार के वरिष्ठ नेताओं के इस्तेमाल कर रहा है। इसमें अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का नाम भी जोड़ा जा रहा है। करजई ने हाल में ही काबुल में भारतीय दूतावास के प्रभारी श्री राम बाबू से मुलाकात की।
इस दौरान दोनों पक्षों में ऐतिहासिक संबंधों से लेकर वर्तमान में व्यवसायिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की गई। हामिद करजई को न तो तालिबान के विरोधी नेता और ना ही समर्थक के तौर पर नहीं देखा जाता है। यही कारण है कि तालिबान करजई का इस्तेमाल उन देशों को साधने के लिए कर रहा है, जहां उसकी पकड़ कमजोर है। करजई ने मुलाकात के बाद क्या कहाहामिद करजई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने काबुल में भारतीय दूतावास के प्रभारी श्री राम बाबू से मुलाकात की। इस बैठक में भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की गई और उनकी सहायता के लिए धन्यवाद दिया गया। पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान के छात्रों की समस्याओं के समाधान में दोनों देशों के बीच बेहतर व्यावसायिक संबंधों की उम्मीद जताई।
भारत से व्यापार करना चाहता है तालिबानतालिबान सूखे फल, मेवे, अनार जैसी वस्तुएं और दूसरे कई उत्पादों के व्यापार के लिए भारत की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। वर्तमान में तालिबान अपना सबसे ज्यादा व्यापार पाकिस्तान के साथ करता है, लेकिन इससे ज्यादा मुनाफा नहीं मिलता है। साथ ही, पाकिस्तान जब चाहे तब बॉर्डर को बंद कर देता है, जिससे अफगानी व्यापारियों को बहुत नुकसान होता है। तालिबान की चाहत भारत के साथ व्यापार को शुरू करके पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता को खत्म करना और देश के लिए विदेशी मुद्रा को कमाना है। पाकिस्तान को बाइपास करना चाहता है तालिबानतालिबान की कोशिश भारत जैसे शक्तिशाली देश के साथ मिलकर अफगानिस्तान का विकास करना है। पाकिस्तान इस काम में शुरू से ही अड़ंगा लगाता है। पाकिस्तान की चाल तालिबान का शोषण कर खुद के फायदे के लिए इस्तेमाल करने की है। यही कारण है कि तालिबान भी भारत के साथ दोस्ती के लिए पाकिस्तान को बाइपास करके ईरान की मदद से व्यापार करना चाहता है। इसके लिए तालिबान ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल की इजाजत भी मांगी है। तालिबान मध्य एशिया के अपने दूसरे पड़ोसियों के साथ भी व्यापार को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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