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71 साल में एक बार दिखने वाले 'शैतान' धूमकेतु को नंगी आंखों से देखिए, सूरज छिपने के बाद एक घंटे तक आएगा नजर

वॉशिंगटन: अमेरिका में बीते हफ्ते लोगों ने पूर्ण सूर्य ग्रहण देखा लेकिन ये एकमात्र खगोलीय घटना नहीं है। मदर ऑफ ड्रेगन नाम का एक विस्फोटक धूमकेतु अगले कुछ हफ्ते उत्तरी गोलार्ध में शाम के बाद दिखाई देगा, जिससे सितारों को एक झलक पाने के लिए काफी समय मिलेगा। धूमकेतु 12पी/पोंस-ब्रूक्स को 'मदर ऑफ ड्रेगन' या शैतानी धूमकेतु कहा जाता है।
ये धूमकेतु धरती के नजदीक से गुजर रहा है। ये उत्तरी गोलार्ध के आसमान में दिखाई देता है। स्टारगेजर्स धरती के पास से गुजरते हुए इसकी एक झलक देख सकते हैं। इसे हर शाम सूर्यास्त के करीब एक घंटे बाद नग्न आंखों से देखा जा सकता है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर नियर-अर्थ के प्रबंधक पॉल चोडास का कहना है कि धूमकेतु जैसे-जैसे सूर्य के करीब आएगा, ज्यादा चमकता जाएगा। धूमकेतु 12पी/पोंस-ब्रूक्स नाम से जाना जाने वाला यह ब्रह्मांडीय हेलस्टोन हर 71 वर्षों में केवल एक बार सूर्य की परिक्रमा करता है।
आखिरी बार ये सौर परिक्रमा 1954 में हुई थी। यह विशेष पिंड एक क्रायोवोल्केनो है, जो फूटता है तो बड़ी मात्रा में गैस और बर्फ जमा हो जाती है और जमे हुए कोक कैन की तरह जल जाती है। अप्रैल और जून में धरती के सबसे नजदीकये धूमकेतु माउंट एवरेस्ट से तीन गुना बड़ा है। 21 अप्रैल को इसे सबसे अच्छे से देखा जा सकेगा, जब यह सूर्य के अपने निकटतम बिंदु पर पहुंच जाएगा। मदर ऑफ ड्रेगन जून में पृथ्वी के सबसे निकट होगा लेकिन केवल दक्षिणी गोलार्ध में दिखाई देगी। ऐसे में इसे अप्रैल में उत्तरी लोगों के लिए इसकी झलक पाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
यह धूमकेतू करीब 30 किलोमीटर व्यास में फैला होता है और इसे सौर मंडल की यात्रा करते समय देखा जा सकता है। इसे बिना किसी उपकरण की मदद के खुली आंखों से देखा जा सकता है। पृथ्वी के और अधिक करीब आने पर यह धूमकेतु रात में ज्यादा समय तक और अधिक चमकीला दिखाई देगा। इसे शैतान धूमकेतु भी कहा जाता है, खगोलविदों ने इसका नाम पॉप संस्कृति शो "गेम ऑफ थ्रोन्स" से लिया है। धूमकेतु "कप्पा-ड्रेकोनिड्स" का मूल निकाय भी बनाता है, जो एक छोटा वार्षिक उल्का पिंड है जो 29 नवंबर से 13 दिसंबर में सक्रिय होता है। बर्फ, धूल और चट्टानी सामग्री से बना 12पी/पोंस-ब्रूक्स जैसे ही सूर्य के करीब पहुंचता है, गर्मी के कारण धूमकेतु के अंदर की बर्फ ठोस से गैस में बदल जाती है।
गैस धूमकेतु की सतह से धूल को अपने साथ खींचकर बाहर निकल जाती है। वे एक बड़े बादल और एक पूंछ का निर्माण करते हैं जिसे सौर हवा द्वारा सूर्य से दूर धकेल दिया जाता है।सूरज छिपने के बाद पश्चिम में आसमान पर 15 डिग्री पर इसे देखा सकता है। इस धूमकेतु को 1812 में खोजा गया था। हर 71 साल में यह एक बार सूर्य की परिक्रमा करता है। इसे आखिरी बार 1954 में पृथ्वी से देखा गया था। इस धेमकेतु में लगातार आण्विक विस्फोट होते रहते हैं।

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