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भारतीय सेना में अग्निवीर बनने को बेकरार नेपाली युवा, जानें कहां फंसा है पेच, अपनी ही सरकार को कोस रहे

काठमांडू: भारतीय सेना की अग्निपथ भर्ती योजना का मुद्दा एक बार फिर नेपाल के लोगों के बीच चर्चा में है। इसका कनेक्शन भारत के चुनावों से है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सरकार में आने पर वह अग्निपथ योजना को रद्द कर देगी और सैनिकों की भर्ती एक बार फिर पुराने तरीके से बहाल करेगी। कांग्रेस के सहयोगी शरद पवार की एनसीपी ने भी अपने चुनावी घोषणापत्र में अग्निपथ को खत्म करने की बात कही है।
भारत के प्रमुख विपक्षी दल की इस घोषणा के बाद अग्निपथ योजना एक बार फिर से चर्चा में हैं। भारतीय सेना में नेपाली युवाओं को शामिल किया जाता रहा है लेकिन 2022 में अग्निपथ योजना लॉन्च किए जाने के बाद से इनकी भर्ती नहीं हुई है। अब एक बार नेपाली युवाओं की उम्मीद जागी है।भारतीय सेना में एक बड़े बदलाव के तहत 2022 में अग्निपथ योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत स्थायी सैनिक भर्ती की जगह अग्निवीरों की भर्ती करने का प्रावधान लाया गया। इन अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत को ही स्थायी सैन्य सेवा में रखने का नियम है। बाकी 75 प्रतिशत अग्निवीरों की सेवा चार साल के बाद समाप्त कर दी जाएगी। नेपाल सरकार ने इस नीति को अपने युवाओं के लिए उपयुक्त नहीं माना और उसने नेपाली युवाओं के लिए इस योजना के तहत भर्ती पर रोक लगा दी। इसके बाद से भारतीय सेना में गोरखा रेजीमेंट में जवानों की संख्या लगातार घटती जा रही है। नेपाल से भर्ती होने वाले युवाओं को गोरखा रेजीमेंट में रखा जाता रहा है। नेपाली युवाओं ने नहीं छोड़ी उम्मीद
नेपाल सरकार ने भले ही युवाओं की भारतीय सेना में भर्ती पर रोक लगा दी है लेकिन नेपाली युवाओं ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। नेपाल में युवाओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो भर्ती को लेकर नेपाल सरकार की रोक को सही नहीं मानते हैं। एक युवा ने बीबीसी से बताया कि नेपाल सरकार खुद देश में रोजगार पैदा नहीं कर पा रही है, ऐसे में भारत में होने वाली भर्ती पर रोक नहीं लगानी चाहिए। उन्होंने बताया कि नेपाल में हजारों की संख्या में युवा भारतीय सेना में भर्ती होना चाहते हैं, लेकिन सरकार की रोक के बाद उनका भविष्य संकट में है। नेपाल के इन युवाओं को चार साल की सेवा से भी कोई दिक्कत नहीं है। उनका कहना है कि जब अपने देश में कोई रोजगार नहीं है तो चार साल की सेवा में कोई समस्या नहीं है। चार साल की सेवा के बाद हाथ में कुछ पैसे आएंगे, जिनकी मदद से वे भविष्य में कोई रोजगार कर सकेंगे। रूस की सेना में गंवा रहे जाननेपाल में रहने वाले इन युवाओं की सबसे बड़ी मुश्किल है कि भर्ती अगर शुरू नहीं होती है तो उन्हें पलायन के लिए दूसरी जगहों पर जाना होगा। लंबे समय से रोटी बेटी का रिश्ता रखने वाले नेपाली लोगों के लिए भारत अलग जगह नहीं लगती है लेकिन किसी और देश में जाना एक कष्टकारी अनुभव हो सकता है। बावजूद इसके अब कई नेपाली युवाओं में अब निराशा घर करने लगी है और वे खाड़ी देशों की तरफ रुख करने लगे हैं। लेकिन ये चिंता यहीं खत्म नहीं होती है। नेपाल में भारतीय सेना की भर्ती के लिए युवा बड़ी संख्या में तैयारी करते हैं, लेकिन भर्ती खत्म होने के बाद उनके रूसी सेना में शामिल होने और मारे जाने की खबरें भी आई हैं। यूक्रेन की जंग में लड़ने के लिए रूसी सेना विदेशी युवाओं को भी भर्ती कर रही है। इसमें कई नेपाली युवा भी शामिल हुए हैं।

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