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अमेरिका के बाल्टीमोर का पुल टूटने से भारत को होगा इतना नुकसान,आखिर क्या है कनेक्शन

बिज़नस न्यूज़ डेस्क, अमेरिका के बाल्टीमोर में बड़ा हादसा हो गया. बाल्टीमोर के की ब्रिज से एक कंटेनर जहाज टकरा गया, जिसके बाद ब्रिज ताश के पत्तों की तरह ढह गया. पुल ढहने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में एक बड़ा कंटेनर जहाज पुल के खंभे से टकरा गया, जिसके बाद पुल पटाप्सको नदी में डूब गया. लेकिन इस पुल के ढहने का असर अगले कई महीनों तक अमेरिका समेत दुनिया के देशों पर पड़ सकता है.

दरअसल, इससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधित होने की आशंका है. पनामा नहर में सूखे और लाल सागर में हौथी विद्रोहियों के मिसाइल हमलों के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पहले से ही अव्यवस्थित है, अब बाल्टीमोर में पुल के ढहने से इसकी समस्याएं बढ़ गई हैं। पुल टूटने की वजह से उस रास्ते से जाने वाले सभी जहाजों को रोक दिया गया है.इससे फोर्ड मोटर और जनरल मोटर्स द्वारा निर्मित 25 लाख टन कोयला और सैकड़ों कारें फंसने का खतरा है। इससे अमेरिका से भारत को कोयले की आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं दोनों देशों के बीच पुल का क्या कनेक्शन है.

कोयला बाल्टीमोर बंदरगाह से ही आता है

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बाल्टीमोर हादसे के कारण न्यू जर्सी और वर्जीनिया के बंदरगाहों पर दबाव बढ़ सकता है. बाल्टीमोर अमेरिका के पूर्वी तट पर सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है। यह कार और हल्के ट्रक बनाने वाली यूरोपीय कंपनियों के लिए भी एक बहुत महत्वपूर्ण बंदरगाह है। इस बंदरगाह के आसपास मर्सिडीज, वोक्सवैगन और बीएमडब्ल्यू की सुविधाएं हैं।

भारत को करोड़ों का नुकसान होने का अनुमान है

इसके अलावा बाल्टीमोर अमेरिका से कोयला निर्यात का दूसरा प्रमुख टर्मिनल है। इससे खासतौर पर भारत को होने वाले कोयले के निर्यात पर असर पड़ सकता है। भारत के कुल कोयला आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी छह फीसदी है. भारत को सारा कोयला निर्यात बाल्टीमोर बंदरगाह से ही होता है। भारत में कोयले की वार्षिक खपत 1000 मिलियन टन है, जिसमें से 240 मिलियन टन आयात किया जाता है। इसके मुताबिक, बाल्टीमोर हादसे से भारत को करोड़ों का नुकसान हो सकता है।

पुनर्निर्माण पर 600 मिलियन डॉलर की लागत आएगी

इस हादसे के बाद बाल्टीमोर हार्बर में करीब एक दर्जन जहाज फंसे हुए हैं. इनमें मालवाहक जहाज, ऑटोमोबाइल कैरियर और एक टैंकर भी शामिल है। इसके अलावा बहुत सारी टगबोट भी वहां फंसी हुई हैं। ये हाल सिर्फ बाल्टीमोर बंदरगाह का है. प्रतिदिन 35,000 लोग इस पुल का उपयोग करते थे। यहां से सालाना करीब 28 अरब डॉलर का माल गुजरता था। इस पुल को बनाने में पांच साल लगे और यह 1977 में बनकर तैयार हुआ. इसकी लागत करीब 141 मिलियन डॉलर थी. माना जा रहा है कि बाल्टीमोर बंदरगाह पर परिचालन बहाल करने में कई महीने लग सकते हैं. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुल के पुनर्निर्माण पर नजर डालें तो इसमें 600 मिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है।

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