CTC में कुछ और बैंक अकाउंट में अलग आती है सैलरी ,यहां समझें सैलरी का पूरा गणित
बिज़नस न्यूज़ डेस्क, जब भी कोई नई नौकरी शुरू करता है तो कंपनी की तरफ से मिले ऑफर लेटर में बेसिक सैलरी (Basic Salary), एचआरए (HRA) के साथ ही तमाम तरह के भत्तों की भी जानकारी होती है। इसे ही सीटीसी (CTC) यानी कॉस्ट टू कंपनी कहा जाता है। लेकिन होता यह है कि सीटीसी में जितने पैसे लिखे होते हैं, आपके खाते में उससे कम ही रकम आती है।
सैलरी कैलकुलेट करने का फार्मूला
वैसे तो Basic Salary+HRA+ Other Allowance मिलाकर इन-हैंड सैलरी बनती है। अगर इन-हैंड सैलरी की बात करें तो सीटीसी से प्रोविडेंट फंड (PPF)- इनकम टैक्स (Income Tax)- इंश्योरेंस प्रीमियम (Insurance) आदि को घटाकर जो राशि बचती है वो व्यक्ति की इन-हैंड सैलरी होती है। नीचे लिखे प्वाइंट्स से ये समझना ज्यादा आसाना होगा।
उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति की मासिक सीटीसी 1 लाख रुपये है।
सीटीसी का 40 फीसदी हिस्सा बेसिक सैलरी होता है। यानी की 1 लाख रुपये का 40 फीसदी = 40,000 रुपये
अब बेसिक सैलरी में से 50 फीसदी हिस्सा एचआरए होता है यानी कि 40,000 रुपये बेसिक सैलरी का 50% = 20,000 रुपये
कंपनी कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 70 फीसदी हिस्सा अन्य अलाउंस में देती है। यानी बेसिक सैलरी 40,000 रुपये का 70 फीसदी = 28,000 रुपये
बेसिक सैलरी में से प्रोविडेंट फंड के लिए काटा जाता है। कर्मचारी की सैलरी से 4,800 रुपये पीपीएफ के लिए काटा जाएगा।
बेसिक सैलरी+एचआरए+ अन्य भत्ता मिलाकर इन-हैंड सैलरी देखें तो जिस व्यक्ति की मासिक सीटीसी 1 लाख रुपये है उसकी इन-हैंड सैलरी
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