क्या नौकरी छोड़ने के बाद भी पीएफ पर मिलता है ब्याज? जानिए क्या है सच

नौकरी पेशा लोगों के मन में अक्सर अपने प्रोविडेंट फंड (PF) को लेकर कई सवाल होते हैं। सबसे बड़ी उलझन तब होती है जब कोई व्यक्ति नौकरी बदलता है या कुछ समय के लिए ब्रेक लेता है। अक्सर यह माना जाता है कि अगर पीएफ खाते में मंथली कॉन्ट्रिब्यूशन (अंशदान) बंद हो गया, तो कुछ समय बाद उस पर ब्याज मिलना भी बंद हो जाएगा। इसी डर की वजह से कई लोग जल्दबाजी में अपना पीएफ निकाल लेते हैं या परेशान रहते हैं।
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अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए जानते हैं कि ईपीएफओ (EPFO) के नियम इस बारे में क्या कहते हैं और आपका पैसा नौकरी छोड़ने के बाद कैसे बढ़ता है।

नौकरी बदलने या छोड़ने पर ब्याज का क्या होता है?

सबसे पहले यह जान लीजिए कि आपका पीएफ खाता आपके यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) से जुड़ा होता है। अगर आपने नौकरी छोड़ दी है या आप किसी नई कंपनी में शामिल नहीं हुए हैं, तो भी आपके पीएफ बैलेंस पर ब्याज मिलना बंद नहीं होता है। ईपीएफओ हर साल आपके जमा पैसे पर ब्याज क्रेडिट करता रहता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक आप 58 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेते या पूरा पैसा निकाल नहीं लेते।


जब आप कोई नौकरी छोड़ते हैं, तो अगले 36 महीनों तक आपके खाते को सक्रिय माना जाता है। इसके बाद इसे "इनऑपरेटिव" या निष्क्रिय श्रेणी में डाल दिया जाता है। लेकिन यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि "निष्क्रिय" होने का मतलब यह कतई नहीं है कि उस पर ब्याज नहीं मिलेगा। नियमों के अनुसार, निष्क्रिय खातों पर भी ईपीएफओ द्वारा घोषित दर से ब्याज मिलता रहता है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ब्याज दर 8.25 प्रतिशत तय की गई है, जो अन्य बचत विकल्पों की तुलना में काफी बेहतर है।

अगर कोई अंशदान न हो, तो क्या होगा?

कई बार लोग करियर से लंबा ब्रेक लेते हैं या अपना खुद का काम शुरू कर देते हैं। ऐसी स्थिति में पीएफ खाते में नया पैसा जमा नहीं होता। लेकिन आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आपका पुराना पैसा बेकार नहीं पड़ा रहता। ईपीएफओ यह सुनिश्चित करता है कि आपके फंड पर सालाना आधार पर ब्याज जुड़ता रहे। यह आपके भविष्य के लिए एक साइलेंट सेविंग की तरह काम करता है, जो आपके काम न करने के दौरान भी धीरे-धीरे बढ़ता रहता है।


टैक्स से जुड़े नियमों को समझना है ज़रूरी

ब्याज मिलना तो अच्छी बात है, लेकिन यहाँ टैक्स के पहलू को समझना भी बहुत जरूरी है। जब आप नौकरी में होते हैं, तो पीएफ का ब्याज आमतौर पर टैक्स फ्री होता है। लेकिन नौकरी छोड़ने के बाद आपके पीएफ बैलेंस पर जो ब्याज मिलता है, उसे "अन्य स्रोतों से आय" माना जाता है।

यदि एक वित्तीय वर्ष में मिलने वाला ब्याज 50,000 रुपये से अधिक हो जाता है, तो उस पर टीडीएस (TDS) लागू हो सकता है। इसलिए, अपनी विड्रॉल प्लानिंग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए ताकि इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय कोई समस्या न आए।

यूएएन (UAN) से लिंकिंग क्यों है अनिवार्य?

ईपीएफओ ने अब "वन मेंबर, वन ईपीएफ अकाउंट" की सुविधा शुरू की है। इसका उद्देश्य पीएफ प्रबंधन को आसान बनाना है। अगर आपकी पिछली नौकरियों के अलग-अलग पीएफ अकाउंट हैं, तो उन्हें एक ही यूएएन से जोड़ना सबसे समझदारी भरा कदम है।

जब आप अपने सभी पुराने खातों को मर्ज कर लेते हैं, तो ब्याज को ट्रैक करना आसान हो जाता है। इससे भविष्य में पैसा निकालने या ट्रांसफर करने में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं आती। आप उमंग (UMANG) ऐप या ईपीएफओ पोर्टल के जरिए अपनी पासबुक और ब्याज की स्थिति कभी भी देख सकते हैं।


संक्षेप में कहें तो नौकरी छोड़ने का मतलब यह नहीं है कि आपके पीएफ की ग्रोथ रुक गई है। जब तक आपका पैसा ईपीएफओ के पास है और खाता यूएएन से लिंक है, तब तक आपको ब्याज मिलता रहेगा। यह सुविधा सुनिश्चित करती है कि आपका कठिन परिश्रम से कमाया गया पैसा सुरक्षित रहे और रिटायरमेंट तक एक बड़ा फंड बन सके।