Vivo स्टडी का खुलासा: डिनर का समय है परिवार के साथ जुड़ने का सबसे मज़बूत पल
आज के डिजिटल युग में, फ़ोन ने हमें पूरी दुनिया से जोड़ दिया है, पर क्या यह हमें अपने ही परिवार से दूर तो नहीं कर रहा? यह सिर्फ एक शंका नहीं है, बल्कि एक ज़रूरी सवाल है जिसका जवाब Vivo India Report में मिला है.
डिनर का समय: रिश्ते को मजबूत बनाने का सबसे पक्का पल
हाल ही में हुए एक विस्तृत अध्ययन, Vivo India Report (स्विच ऑफ स्टडी 2025) के अनुसार, भारतीय परिवारों के लिए डिनर का समय (Dinner Time) ही वो सबसे भरोसेमंद पल है जब परिवार के सदस्य एक दूसरे के साथ सच्चा जुड़ाव महसूस करते हैं.
यह रिपोर्ट बताती है कि जब माता पिता और बच्चे फ़ोन को एक तरफ रख देते हैं, तो बातचीत न केवल आसान हो जाती है, बल्कि उसमें गहराई भी आती है. अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है कि 'फ़ोन रहित डिनर' ( No Phone Dinner ) से पारिवारिक संवाद में महत्वपूर्ण सुधार होता है.
रिपोर्ट के चौंकाने वाले आँकड़े:
- 87% बच्चों ने कहा कि जब डिनर के दौरान फ़ोन दूर होते हैं, तो वे ज़्यादा सहजता से और खुलकर बात कर पाते हैं.
- 81% माता पिता ने यह माना कि जब वे और उनके बच्चे फ़ोन इस्तेमाल नहीं करते, तब वे अपने बच्चे के साथ मज़बूत बंधन महसूस करते हैं.
- 91% बच्चों ने महसूस किया कि फ़ोन को अलग रखने पर बातचीत ज़्यादा सार्थक और अर्थपूर्ण हो जाती है.
इन आंकड़ों से साफ है कि परिवार को जोड़ने का केंद्र बिंदु हमारा डिनर टेबल ही है. यह वह जगह है जहाँ दिनभर की व्यस्तता के बाद सबका ध्यान स्वाभाविक रूप से एक दूसरे से जुड़ता है और परिवार फिर से एक हो जाता है.
माइक्रो चेकिंग: एक छोटी सी आदत, बड़ा भावनात्मक गैप
रिपोर्ट से पता चला है कि माता पिता एक दिन में औसतन 4.4 घंटे और बच्चे 3.5 घंटे स्मार्टफोन पर बिताते हैं. लेकिन यह सिर्फ़ कुल समय की बात नहीं है, असली समस्या तब शुरू होती है जब हम परिवार के साथ होते हैं.
अक्सर माता पिता काम या अन्य नोटिफिकेशन्स के कारण बार बार फ़ोन चेक करते हैं. इसे 'माइक्रो चेकिंग' कहा जाता है. इस आदत का बच्चों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों को लगता है कि माता पिता का बार बार फ़ोन देखना उनकी बातचीत को बाधित करता है और एक तरह से यह संकेत देता है कि माता पिता भावनात्मक रूप से उनके लिए उपलब्ध नहीं हैं.
डिनर जैसी गतिविधियों के दौरान भी, 53% माता पिता फ़ोन पर सक्रिय रहते हैं, जबकि ऐसा करने वाले बच्चे सिर्फ 32% होते हैं. यानी, बच्चे उन पलों में ज़्यादा डिस्कनेक्ट करते हैं, जहाँ माता पिता को सक्रिय होना चाहिए.
एआई (AI) की तरफ़ क्यों बढ़ रहे हैं बच्चे?
इस भावनात्मक दूरी का एक और गंभीर पहलू सामने आया है. जब बच्चे देखते हैं कि उनके माता पिता बातचीत के दौरान भी फ़ोन में व्यस्त हैं, तो वे किसी और चीज़ का सहारा ढूंढते हैं. Vivo India Report में पाया गया कि 67% बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स की ओर रुख कर रहे हैं. वे होमवर्क, व्यक्तिगत विकास और कभी कभी तो अकेलेपन में साथ के लिए भी AI का इस्तेमाल करते हैं.
यह दिखाता है कि बच्चे अपने माता पिता से ध्यान और मार्गदर्शन चाहते हैं, और जब उन्हें यह नहीं मिलता, तो वे टेक्नोलॉजी में अपना साथी ढूँढ़ लेते हैं.
डिजिटल संतुलन ही समाधान है
यह रिपोर्ट एक चेतावनी और एक समाधान दोनों है. यह हमें बताती है कि फ़ोन हमारे लिए ज़रूरी हैं, पर उन्हें समझदारी के साथ इस्तेमाल करना और रिश्तों को प्राथमिकता देना कितना ज़रूरी है.
परिवार इस समस्या को हल करने के लिए छोटे छोटे बदलाव भी अपना रहे हैं. कुछ परिवार नोटिफिकेशन्स कम कर रहे हैं, कुछ डिनर के समय फ़ोन को दूर रख रहे हैं, और कुछ ऑफलाइन गतिविधियों को प्राथमिकता दे रहे हैं.
आइए, हम भी यह संकल्प लें कि डिनर के इन ख़ास पलों को हम फ़ोन की चमक में नहीं खोने देंगे. कुछ देर के लिए फ़ोन को 'स्विच ऑफ' करके, परिवार को 'स्विच ऑन' करें और अपने रिश्तों में फिर से वह गर्माहट भर दें जिसके वे हकदार हैं.