Oct 16, 2025
By: Alisha Gargप्राचीन काल में समुद्र मंथन के दौरान देवताओं को अमृत मिला। उसी समय भगवान विष्णु ने धन्वंतरि रूप धारण किया। उनकी पूजा से धन और आयु की वृद्धि होती है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश की आराधना भी की जाती है।
सोना धन का प्रतीक है। धनतेरस पर गहने या सिक्के खरीदना समृद्धि आमंत्रित करता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी हानि नहीं देता। परिवार की महिलाएं विशेष रूप से सोने के आभूषण लेती हैं।
चांदी चंद्रमा से जुड़ी है, जो मन की शांति देती है। इस दिन चांदी के बर्तन या सिक्के लेना स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है। यह धन्वंतरि की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। चांदी खरीदकर घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
धनतेरस पर तांबे या पीतल के बर्तन खरीदना जरूरी है। ये बर्तन औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। मान्यता अनुसार, ऐसे बर्तनों में रखा जल स्वास्थ्य सुधारता है। नये बर्तनों से रसोई साफ-सुथरी रहती है।
संध्या समय धन्वंतरि यंत्र स्थापित करें। दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें। सोना-चांदी को चंदन से तिलक लगाएं। फिर आरती उतारें। यह विधि घर में धन-धान्य की वर्षा करती है।
इस दिन झाड़ू, ब्रूम भी शुभ माने जाते हैं। ये नकारात्मक ऊर्जा साफ करते हैं। लेकिन मुख्य फोकस धातु वस्तुओं पर रहता है। खरीदारी के बाद उन्हें घर लाकर रखें।
आजकल ऑनलाइन शॉपिंग भी प्रचलित है। लेकिन पारंपरिक बाजारों का मजा अलग है। धनतेरस समृद्धि का संदेश देता है। यह परिवार को एकजुट करता है।
धनतेरस पर चाकू, कैंची या अन्य नुकीली चीजें न खरीदें। ये नकारात्मक ऊर्जा ला सकती हैं। शुभता बनाए रखने के लिए धातु के बर्तन या आभूषण ही चुनें।
कांच के सामान, जैसे शीशे या बर्तन, धनतेरस पर खरीदने से बचें। मान्यता है कि कांच अस्थिरता का प्रतीक है और यह समृद्धि में बाधा डाल सकता है।
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