पाकिस्तान फैला रहा भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा, जानें क्या है सच्चाई?

नई दिल्ली। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के दोषियों को सजा देने के भारत के दृढ़ संकल्प के बाद, पाकिस्तान-आधारित कई मीडिया चैनलों (Pakistani Media Channels) और प्रॉक्सी सोशल मीडिया हैंडल्स ने एक समन्वित गलत जानकारी (Compiled Disinformation) देने का अभियान शुरू किया है. इसका उद्देश्य साफ है कि वरिष्ठ भारतीय सशस्त्र बल अधिकारियों की छवि को धूमिल करना है. इन प्रयासों को आधिकारिक रिकॉर्ड और विश्वसनीय तथ्य-जांचों द्वारा पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है, जो एक बार फिर यह उजागर करता है कि इस्लामाबाद, भारत की निर्णायक कार्रवाई की आशंका में, झूठे नैरेटिव का सहारा लेने की अपनी आदत दोहराता है.
लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. राणा के खिलाफ झूठा आरोप
प्रोपेगेंडा: पाकिस्तानी चैनलों और ट्रोल नेटवर्क्स ने यह दावा किया है कि रक्षा खुफिया एजेंसी के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. राणा को बर्खास्त कर अंडमान-निकोबार आइलैंड के "काला पानी" दंड कॉलोनी में निर्वासित कर दिया गया है. कथित तौर पर परिचालन संबंधी चूकों के कारण...
सच्चाई: लेफ्टिनेंट जनरल राणा को न केवल बर्खास्त नहीं किया गया, बल्कि उन्हें वर्तमान पद पर ही पदोन्नति देकर कमांडर-इन-चीफ के रैंक पर पदोन्नत किया गया है. वह 1 जून 2025 को अंडमान और निकोबार कमान (CINCAN), जो कि एक प्रतिष्ठित त्रि-सेवा कमान है, का कार्यभार संभालेंगे.
लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी. सुचिंद्र कुमार पर मनगढ़ंत कहानी
प्रोपेगेंडा: पाकिस्तान-समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स ने यह संकेत दिया कि लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी. सुचिंद्र कुमार को पहलगाम हमले से जुड़ी सुरक्षा विफलताओं के कारण उत्तरी कमान से "हटा दिया गया".
सच्चाई: लेफ्टिनेंट जनरल सुचिंद्र कुमार ने लगभग चार दशकों की विशिष्ट सेवा के बाद 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्ति की निर्धारित आयु पर सम्मानपूर्वक सेवा से निवृत्त हुए. कमान में यह परिवर्तन पहले से ही नियत और घोषित किया गया था.
एयर मार्शल एस. पी. धारकर के खिलाफ आरोप
प्रोपेगेंडा: पाकिस्तान से संचालित एक नेटवर्क ने यह दावा किया कि वायुसेना के उपप्रमुख, एयर मार्शल एस. पी. धारकर को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ने से इनकार करने के कारण बर्खास्त कर दिया गया है.
सच्चाई: एयर मार्शल धारकर ने अपना पूर्ण कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया और 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हुए. उन्हें एक औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की. उनके स्थान पर एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने वायुसेना के उपप्रमुख के रूप में कार्यभार ग्रहण किया, जो कि एक सुव्यवस्थित उत्तराधिकार योजना का हिस्सा है.
धोखे की रणनीति का पैटर्न
इन मनगढ़ंत कहानियों में एक साफ-सुथरा पैटर्न देखा जा सकता है:
समय : हर झूठा दावा नई दिल्ली द्वारा पहलगाम हमले के बाद की गई कूटनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया के कुछ ही घंटों के भीतर सामने आया है.
लक्ष्य : खुफिया, उत्तरी कमान संचालन और वायु शक्ति प्रबंधन में लगे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया गया, जिससे भारत की सैन्य तैयारी पर संदेह पैदा किया जा सके.
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
त्वरित तथ्य-जांच : इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय और स्वतंत्र मीडिया संस्थानों ने कुछ ही घंटों में स्पष्टीकरण जारी कर दिए, जिससे झूठी सूचनाएं देश के भीतर व्यापक प्रभाव नहीं डाल सकीं.
संचालन में निरंतरता : भारतीय सशस्त्र बल पूरी तरह से मिशन के लिए तैयार हैं. वरिष्ठ नेतृत्व में बदलाव सुव्यवस्थित और स्थापित प्रक्रियाओं के तहत चल रहा है.