दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों में चीन इस नई तकनीक के साथ कैसे बाकी देशों से आगे निकल रहा है?

सोडियम आयन बैटरी को बड़ी तादाद में मार्केट में लाने के मामले में चीन दुनिया के बाकी देशों के की तुलना में आगे है.
चीन स्कूटर्स के जरिए सोडियम आयन बैटरी को मार्केट में ला रहा है. पूर्वी चीन के हांग्जो शहर में एक शॉपिंग मॉल के बाहर दर्जनों नई इलेक्ट्रिक बाइक लाइन में खड़ी हैं. इन्हें देखने के लिए लोग आ रहे हैं.
ये स्कूटर वेस्पा जैसे हैं. इनकी कीमत 400 से 660 डॉलर के बीच है. ये स्कूटर लेड-एसिड या लिथियम-आयन सेल से नहीं चलते जो आमतौर पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में इस्तेमाल किए जाते हैं.
इसके बजाए इनकी बैटरी सोडियम से बनी होती हैं. जो एक ऐसा तत्व है जिसे समुद्री नमक से निकाला जा सकता है.
स्कूटर के बगल में कुछ फास्ट-चार्जिंग पिलर है., जो वाहनों के पावर लेवल को 15 मिनट में जीरो से 80 फीसदी तक चार्ज कर सकते हैं.
स्कूटर निर्माता कंपनी याडिया के मुताबिक चीन के प्रमुख दोपहिया वाहन निर्माता जनवरी 2025 में अपने नए लॉन्च किए गए बाइक और चार्जिंग सिस्टम के लिए ये प्रचार कार्यक्रम चला रहे हैं.
एक बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन भी है जो लोगों को एक क्यूआर कोड के स्कैन के साथ अपनी इस्तेमाल की गई बैटरी को नई बैटरी के साथ बदलने का विकल्प देता है.
याडिया चीन की कई कंपनियों में से एक है जो अल्टरनेटिव बैटरी की तकनीक में बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है. ये ऐसा उदाहरण है जो दिखाता है कि चीन में ये इंडस्ट्री कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है.
वहीं दुनिया के बाकी देश सस्ती, सेफ और इफिसिएंट लिथियम-आयन बैटरी बनाने की दौड़ में चीन के साथ अपने अंतर को कम करने की कोशिश कर रही हैं.
लेकिन चीन की कंपनियों ने पहले ही सोडियम आयन बैटरी के बड़े पैमाने पर उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. ये एक ऐसा विकल्प है जो इंडस्ट्री को प्रमुख कच्चे खनिजों पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है.

चीन के कार निर्माताओं ने दुनिया में सबसे पहले सोडियम से चलने वाली कारों को लॉन्च किया. लेकिन इन मॉडलों का प्रभाव कम है. क्योंकि इनसे ज्यादा लंबी दूरी तय नहीं की जा सकती.
अप्रैल 2025 में दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी निर्माता चीन की सीएटीएल ने इस साल एक नए ब्रांड नेक्स्ट्रा के तहत बड़े ट्रकों और कारों के लिए सोडियम आयन बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की अपनी योजना की घोषणा की.
चीन के ग्रिड संचालकों ने ग्रिड की इस्तेमाल न होने वाली उर्जा को स्टोर करने के लिए सोडियम आयन बैटरी से स्टोरेज स्टेशन बनाना भी शुरू कर दिया है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे कई रिसर्चर्स ने उभरती हुई तकनीक के रूप में देख रहे हैं.
लेकिन दोपहिया वाहन एक ऐसा क्षेत्र हैं जो सोडियम आयन बैटरी पर बड़ा दांव लगा रहे हैं. ये चीन में तेजी से बढ़ता बाजार है.
याडिया ने अब तक सोडियम आयन बैटरी पर चलने वाले तीन मॉडल बाजार में उतारे हैं और वो नए मॉडल लॉन्च करने की योजना भी बना रहे हैं.
याडिया ने बैटरी की तकनीक पर रिसर्च के लिए हांग्जो हुआयु न्यू एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट भी ओपन किया है.
जनवरी में चाइना सेंट्रल टेलीविज़न पर एक टॉक शो के दौरान कंपनी के उपाध्यक्ष जो चाओ ने कहा, "हम लैब से ग्राहकों तक तकनीक को तेजी से लाना चाहते हैं."
वियतनाम और इंडोनेशिया सहित कई एशियाई देशों में दोपहिया वाहन परिवहन का एक बेहद लोकप्रिय साधन है. चीन में भी हर जगह मिल जाते हैं.
चीन में शीआन जियाओटोंग लिवरपूल यूनिवर्सिटी में ऊर्जा के स्टोरेज उपकरणों पर रिसर्च करने वाले चेन शी कहते हैं, "दोपहिया वाहन आम तौर पर कम दूरी और कम गति से चलते हैं. इसलिए वे बिजली की मांग कम करते हैं."
शी कहते हैं, "सोडियम आयन बैटरी समान आकार की लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में काफी कम ऊर्जा लेती है, जिसका अर्थ है कि इसकी डेंसिटी कम है."
"दोपहिया वाहनों के लिए सोडियम आयन बैटरी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी लेड एसिड बैटरी हैं, जिनकी एनर्जी डेंसिटी और रिचार्जेबल साइकल और भी कम हैं. इसका एक फायदा है ये है कि ये सोडियम और लिथियम आयन दोनों बैटरी की तुलना में सस्ती हैं."
एशिया में दोपहिया वाहनों की विशाल संख्या अर्थव्यवस्था को उम्मीद दिखाती है.
शंघाई स्थित कंसल्टेंसी आईरिसर्च के मुताबिक, अकेले चीन में साल 2023 में लगभग 5.5 करोड़ इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बेचे गए,
ये साल 2023 में चीन में हाइब्रिड, तेल और इलेक्ट्रिक कारों की संयुक्त संख्या का लगभग छह गुना ज्यादा है.
याडिया का लक्ष्य बड़े पैमाने पर उत्पादन करना है. जो ने एक टॉक शो में कहा, "कंपनी न केवल दोपहिया वाहनों में सोडियम बैटरी फिट करके बल्कि लोगों को बिना किसी तनाव के इन मॉडलों का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए चार्जिंग इकोसिस्टम बना रही है. कंपनी का लक्ष्य लाखों लोगों तक सोडियम बैटरी पहुंचाना है.
शेन्ज़ेन न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में याडिया ने पानी की टेस्टिंग के लिए दक्षिणी चीन में करीब 1.8 करोड़ लोगों की आबादी वाले शहर शेन्ज़ेन में डिलवरी का काम करने वाले 1.5 लाख लोगों के साथ एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया है.
याडिया ने कहा कि इसका लक्ष्य 30 सेकंड के अंदर अपने पार्टनर्स को इस्तेमाल हो चुकी बैटरी के बदले पूरी तरह चार्ज की गई बैटरी को सौंपना है.
याडिया और दूसरी बैटरी स्वैपिंग कंपनियां शेन्ज़ेन में तेजी से बढ़ रही है. उनका लक्ष्य शहर को 'बैटरी-स्वैपिंग सिटी' बनाना है.
शेन्ज़ेन इलेक्ट्रिक साइकिल इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक इसका लक्ष्य साल 2025 में इलेक्ट्रिक स्कूटरों की विभिन्न तरह की बैटरियों के लिए 20,000 चार्जिंग या स्वैपिंग पॉड स्थापित करना है. और साल 2027 तक 50,000 पॉड स्थापित करना है.
ये एसोसिएशन बैटरी स्वैपिंग को बढ़ावा देने के लिए शेन्ज़ेन सरकार के साथ काम कर रहा है. एसोसिएशन का कहना है कि इस शहर में पहले से ही एक बैटरी स्वैपिंग पार्क है. नए लक्ष्य से ऐसा सिस्टम तैयार होगा जो लोगों को पांच मिनट की दूरी पर एक नया स्टेशन मुहैया करवाएगा.
सोडियम आयन और लिथियम आयन बैटरियों की संरचना समान होती है. मुख्य अंतर ये है कि वो अपने आयनों का इस्तेमाल कैसे करती हैं. इसके कण पॉजिटिव से नेगेटिव साइड से उर्जा छोड़ते या स्टोर करते हैं.
सोडियम समुद्र में व्यापक रूप से फैला हुआ है. ये लिथियम की तुलना में लगभग 400 गुना अधिक मात्रा में है. इसलिए सोडियम आयन सेल अधिक आसान हैं और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए संभावित रूप से सस्ते हैं.
लिथियम वर्तमान में मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, चीन और चिली में खनन किया जाता है. लेकिन लिथियम का सेंटर चीन है जिसके पास दुनिया की लिथियम क्षमता का लगभग 60 फीसदी हिस्सा है.
सोडियम आयन बैटरियां कोई हाल ही में नहीं आई हैं. ये लिथियम आयन बैटरियों के साथ जुड़ी हुई हैं. दोनों सेल की रिसर्च करीब 50 साल पहले शुरू हुई. शुरुआती कोशिशें जापान की ओर से की गईं.
लेकिन जापानी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सोनी ने 1991 में दुनिया की पहली लिथियम आयन बैटरी लॉन्च की. जिसे भारी सफलता मिली. इसी सफलता ने सोडियम आयन तकनीक के विकास को काफी हद तक रोक दिया.
लेकिन इस दशक की शुरुआत तक चीन इस इंडस्ट्री में दुनिया के बाकी देशों से आगे निकल गया.
2021 सोडियम आयन बैटरियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. कोविड-19 और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में बढ़ोतरी से बैटरी-ग्रेड लिथियम की कीमतें आसमान छू गईं. इनकी कीमतों में एक साल में चार गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई. बैटरी और ईवी निर्माताओं ने विकल्प तलाशने शुरू कर दिए.
सीएटीएल ने उस साल जुलाई में अपनी पहली सोडियम आयन बैटरी लॉन्च की.
शंघाई स्थित ईवी समाचार आउटलेट सीएनईवीपोस्ट के संस्थापक फेट जेंग कहते हैं, ""साल 2022 में लिथियम की कीमतें लगातार बढ़ती रहीं जिसकी वजह से चीन की कंपनियां सोडियम की ओर आकर्षित हुईं."
वाशिंगटन डीसी में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की निदेशक केट लोगन कहती हैं, "सोडियम की बड़ी मात्रा में उपलब्धता चीन के इस मामले में रिसर्च करने की एक बड़ी वजह रही."
जिस वक्त लिथियम की कीमत में बढ़ोतरी हुई उस वक्त चीन ने कुल लिथियम का करीब 80 फीसदी आयात किया. जो मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील से आयात किया गया.
जेंग कहते हैं, "लेकिन लिथियम की कीमत 2022 के अंत में गिरनी शुरू हो गई और आज अपने चरम स्तर से बहुत कम है. इसकी एक वजह यह है कि सीएटीएल जैसी प्रमुख बैटरी कंपनियों ने अपनी लिथियम क्षमता का विस्तार किया है. चीन ने घरेलू लिथियम भंडार खोजने और विकसित करने के प्रयासों को भी बढ़ावा दिया है."
हालांकि इसका नतीजा ये हुआ है कि सोडियम आयन अब सेंटर में नहीं है और चीन में लिथियम फिर से सेंटर में आ गया है.
कॉम्ब्स ने कहा कि, "परिणामस्वरूप, पिछले कुछ वर्षों में सोडियम-आयन के इर्द-गिर्द उन्माद कम हो गया है. लिथियम फिर से चीन के भीतर नेतृत्व की भूमिका में वापस आ गया है."
हालांकि सोडियम आयन बैटरी को लेने की एक वजह उसकी सेफ्टी भी है.
साल 2024 में चीन बैटरी में आग लगने की कई घटनाएं सामने आईं. जो मुख्य तौर पर दोपहिया वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन बैटरी में लगीं. ये वैश्विक स्तर पर तिंता का विषय बन गया.
हाल ही में, जनवरी 2025 में कैलिफोर्निया में एक प्रमुख बैटरी प्लांट के अंदर भी आग लगने की घटना सामने आई.
इंडस्ट्री से जुड़े हुए कुछ लोगों का मानना है कि सोडियम बैटरी अधिक सुरक्षित हैं. वो मानते हैं कि लिथियम आयन बैटरी की तुलना में सोडियम आयन बैटरी कम गरम होती हैं.
हालांकि कुछ का मानना है कि रिसर्च में कमी की वजह से ये कहना जल्दबाजी होगा कि सोडियम आयन बैटरी अधिक सुरक्षित हैं.
ठंड के मौसम भी फर्क पैदा करता है. अगर तापमान कम है तो लिथियम आयन बैटरी के रिचार्ज होने में कम टाइम लगता है. लेकिन सोडियम आयन बैटरियां इस तरह की परस्थितियों से प्रभावित नहीं होती हैं.
चीन की एक यूनिवर्सिटी में केमिकल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर टेंग वे कहती हैं, "लिथियम आयनों की तुलना में, सोडियम आयन बैटरी के अंदर लिक्विड के माध्यम से अधिक आसानी से आगे बढ़ते हैं. इसका मतलब है कि इसमें कम उर्जा इस्तेमाल होती है."
टेंग और उनकी टीम ने एक नए प्रकार का बैटरी लिक्विड बनाया है. इस लिक्विड के बारे में उनका कहना है कि इससे सोडियम आयन बैटरियों पर ठंड का प्रभाव कम पड़ता है.
वे देश के ठंडे क्षेत्रों में वाहनों और एनर्जी स्टोरेज स्टेशनों पर चीन की बैटरी कंपनियों के साथ मिलकर इस तकनीक पर काम कर रहे हैं.
साल 2024 में एक स्टडी से निष्कर्ष निकाला कि सोडियम-आयन बैटरियां दुनिया को अत्यधिक खनन और महत्वपूर्ण कच्चे माल की संभावित कमी से बचने में मदद कर सकती हैं.
लेकिन इसकी उत्पादन प्रक्रिया में लिथियम आयन के समान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है.
गोथेनबर्ग में चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के एक रिसर्चर जेंग शान कहते हैं, "चूंकि ये बैटरियां अभी भी विकसित की जा रही हैं इसलिए उनकी उत्पादन प्रक्रिया, लाइफ साइकल और एनर्जी डेंसिटी में सुधार किया जा सकता है. भविष्य में जलवायु पर उनका प्रभाव लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में कम हो सकता है."

दिसंबर 2023 में सोडियम बैटरी से चलने वाली दो सबसे शुरुआती इलेक्ट्रिक कारें मार्केट में आ गईं. अब तक, सभी उपलब्ध मॉडल 'माइक्रोकार' रहे हैं.
लेकिन उनकी बिक्री चीन में 2024 में बिकने वाले लाखों ईवी में से केवल एक छोटी संख्या है. चीनी ऑटो उद्योग के एक स्वतंत्र विश्लेषक ज़िंग लेई कहते हैं कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में ऐसी 204 कारें ही बेची गईं.
सोडियम-आयन बैटरियों का एक बड़ा नुकसान उनकी कम एनर्जी डेंसिटी. ये लिथियम आयन की तुलना में 30 फीसदी कम है. इसका मतलब है कि उनका उपयोग करने वाली कारें आमतौर पर एक बार चार्ज करने पर बहुत दूर तक नहीं जा सकती हैं.
जेंग कहते हैं कि ईवी खरीदते हुए लोगों के लिए ये बड़ा फैक्टर है कि कार कितनी दूरी तय कर सकती है.
नॉर्वे की कंसल्टेंसी रिस्टैड एनर्जी में बैटरी बाज़ारों पर शंघाई स्थित विश्लेषक चेन शान कहते हैं, "सोडियम आयन बैटरियों का अभी तक बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं हुआ है और वर्तमान में वे चार पहिया वाहनों में कीमत या प्रदर्शन के मामले में लिथियम आयन बैटरियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती हैं."
चीन में सोडियम बैटरी वाले स्कूटरों का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है.याडिया ने 2024 में वैश्विक स्तर पर 1.3 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक बाइक और मोपेड बेचे हैं.
याडिया के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि 2025 के पहले तीन महीनों में उसके सोडियम दोपहिया वाहनों की बिक्री लगभग 1,000 तक पहुंच गई. जो ने टॉक शो में कहा कि कंपनी इस साल हांग्जो में सोडियम-आयन बैटरियों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए लगभग 1,000 फ़ास्ट-चार्जिंग पिलर बनाने का इरादा रखती है, जिससे लोगों को हर दो किलोमीटर पर एक स्टेशन मिल सके.
याडिया अपने सोडियम अभियान में अकेली नहीं है. एक अन्य चीनी स्कूटर निर्माता टेलग साल 2023 से सोडियम-संचालित मॉडल बेच रही है.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक ईवी प्रमुख बीवाईडी की बैटरी शाखा फिनड्रीम्स, दो और तीन पहिया वाहनों के निर्माता हुआईहाई समूह के साथ साझेदारी में सोडियम बैटरी बनाने के लिए पूर्वी चीन में एक संयंत्र का निर्माण कर रही है.
हालांकि लेड-एसिड बैटरियां इस उद्योग पर हावी रहेंगी, लेकिन अगले पांच सालों में सोडियम आयन बैटरियों की बाज़ार हिस्सेदारी तेज़ी से बढ़ने का अनुमान है.
शेन्ज़ेन स्थित स्टार्टिंग प्वाइंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के विश्लेषण के मुताबिक 2030 तक चीन के 15 फीसदी इलेक्ट्रिक स्कूटर सोडियम आयन बैटरी से चलेंगे. साल 2023 में ये संख्या 0.04 फीसदी ही थी.
जलवायु परिवर्तनअसल में सोडियम-आयन बैटरियों के लिए एक बड़ा बाजार एनर्जी स्टोरेज स्टेशन हो सकते हैं. जो बिजली को बाद में इस्तेमाल करने के लिए स्टोर करते हैं.
एनर्जी स्टोरेज एक बहुत बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है. क्योंकि दुनिया भर के देश अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इसे प्राथमिकता दे सकते हैं.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) के मुताबिक, अगर 2050 तक नेट-जीरो हासिल करना है, तो दुनिया की ग्रिड-स्केल एनर्जी स्टोरेज क्षमता को 2022 और 2030 के बीच लगभग 35 गुना बढ़ाना होगा.
वाशिंगटन डीसी स्थित नॉन प्रॉफिट संस्था सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की सीनियर फेलो इलारिया माजोको कहती हैं, "भविष्य में यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण बाजार बनने जा रहा है. खासकर तब जब एनर्जी ग्रिड पर अधिक से अधिक मौजूद होगी. बिजली उत्पादन में परिवर्तनशीलता को संतुलित करने के लिए आपको स्टोरेज की अधिक जरूरत होगी."
वो कहती हैं कि एनर्जी स्टोरेज स्टेशनों पर सोडियम आयन बैटरियों के इस्तेमाल का मतलब ये भी है कि ये अभी ऑटो कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा का विषय नहीं है.
चीन जिसने पवन और सौर ऊर्जा संयंत्रों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी है. वो इस एनर्जी को स्टोर करके इस्तेमाल करने में दुनिया में सबसे आगे है.
मई 2024 में चीन ने सोडियम आयन बैटरी पर संचालित अपना पहला एनर्जी स्टेशन चालू किया. स्थानीय मीडिया के मुताबिक दक्षिणी चीन के गुआंग्शी में स्थित यह प्लांट एक बार में 10 मेगावाट बिजली स्टोर कर सकता है. हर 1500 घरों में हर दिन होने वाली बिजली के खपत के बराबर है.
गुआंग्शी परियोजना के तुरंत बाद मध्य चीन के हुबेई प्रांत में एक और सोडियम आयन स्टोरेज सेंटर बनाया गया.
रिसर्च और कंसल्टिंग फर्म वुड मैकेंज़ी के सलाहकार जेंग जियायू ने कहा, "लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन में सोडियम आयन बैटरियों की सफलता के लिए मुख्य सवाल यह है कि क्या कंपनियां उन्हें लिथियम आयन की तुलना में सस्ता बना सकती हैं?"
फिलहाल स्टोरेज के लिए सोडियम आयन बैटरियों की यूनिट की कीमत लिथियम आयन बैटरियों की तुलना में लगभग 60 फीसदी सेअधिक है. चीन सेंट्रल टेलीविज़न ने बीजिंग स्थित चाइना एनर्जी स्टोरेज अलायंस के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा है कि ये अंतर कम होने का अनुमान है.
कुछ बिजनेसपर्सन और रिसर्चर्स का मानना है कि सोडियम अन्य देशों के लिए चीन पर अपनी बैटरी निर्भरता कम करने का एक शॉर्टकट है.
लेकिन अगर यह तकनीक बड़े पैमाने पर बाजार में आ जाती है तो चीन की कंपनियां वैश्विक उत्पादन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं.
कॉम्ब्स कहते हैं कि प्रमुख चीन के बैटरी निर्माताओं ने लंबे समय तक प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए इसे अपनी रणनीतियों में शामिल किया है.
इसका मतलब है कि सोडियम आयन बैटरी की वजह से चीन इस मार्केट पर अपनी पकड़ को कमजोर नहीं करेगा.
जेंग कहते हैं कि चीन और अन्य देशों की कंपनियों के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि चीन लैब से किसी तकनीक को बड़े पैमाने पर उत्पादन में बहुत तेज़ी से ला सकता है.
वहीं लोगन कहती हैं कि लिथियम आयन बैटरी और सोडियम आयन बैटरी के ढांचे में समानता है इसकी वजह से उत्पादन आसान हो सकता है और इसकी लागत भी कम हो सकती है.
लेकिन वो कहती हैं, "यह जरूरी नहीं है कि यही तालमेल अन्य बैटरी की केमस्ट्री के लिए भी सही हो."
बीजिंग में बैटरी रिसर्स की एक फर्म के फाउंडर मो की कहते हैं, "इसका एक उदाहरण सॉलिड स्टेट बैटरी हैं. जो आयन के ट्रेवल के लिए लिक्विड का इस्तेमाल नहीं करते हैं. और वर्तमान में जो बैटरियां आ रही हैं उनमें से अधिकतक इसी फॉर्मूले पर काम करती हैं."
जेंग कहते हैं, "चीन के बाहर अमेरिका में नैट्रॉन एनर्जी और ब्रिटेन में फैराडियन आगे हैं. लेकिन विदेशी कंपनियों को आमतौर पर सप्लाई चेन बनाने में बहुत अधिक समय लगता है. उनके के लिए चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होगा."
ब्रुसेल्स स्थित थिंक टैंक ब्रूगेल की अर्थशास्त्री और वरिष्ठ फेलो एलिसिया गार्सिया हेरेरो के मुताबिक, "अकेले 2023 में चीन की कंपनियों ने सोडियम आयन बैटरी के रिसर्च पर 7.6 अरब डॉलर खर्च किए."
वो कहती हैं, "अमेरिका में लिथियम बैटरी के विकल्पों पर 2023 में अमेरिकी बैटरी स्टार्ट अप 4.5 अरब डॉलर जुटाए. लेकिन चीन इस मामले में भी आगे रहा."
कॉम्ब्स के मुताबिक, "चीन की कंपनियां एक बात को लेकर बिल्कुल साफ हैं कि बाजार हिस्सेदारी न खोई जाए और भविष्य के बाजार की रेस में भी शामिल रहा जाए."
जो ने टॉक शो में कहा कि याडिया पहले से ही दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में विस्तार कर रही है, जहां इलेक्ट्रिक स्कूटर भी लोकप्रिय हैं.
जो के मुताबिक, सोडियम आयन बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना और स्कूटर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित