सेना के वरिष्ठ अधिकारी बोले- 'एक सीमा पर दो दुश्मन, पाकिस्तान तो सिर्फ़ चेहरा है'

Hero Image
Nasir Kachroo/NurPhoto via Getty Images कुपवाड़ा में एलओसी पर गश्त करते भारतीय सेना के जवान (जनवरी, 2025)

डिप्टी चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ लेफ़्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस पूरे अनुभव ने साफ कर दिया है कि ''हमारी एक ही सीमा पर दो दुश्मन सक्रिय हैं.''

उन्होंने फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के 'न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि, "पिछले पांच साल में पाकिस्तान को मिलने वाला 81 फ़ीसदी सैन्य हार्डवेयर चीन से ही आया है."

इसी मंच पर उन्होंने मॉर्डन वॉरफ़ेयर और सीमाओं पर सामने आने वाली चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.

लेफ्टिनेंट जनरल के इस बयान के तुरंत बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा और संसद में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा न कराने का आरोप लगाया.

  • भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर मीडिया को जानकारी देने वाली दो महिला अधिकारी कौन हैं?
  • भारत के हमले पर पाकिस्तान के नेताओं की ओर से क्या कहा जा रहा है?
  • साझा ऑपरेशन, रफ़ाल पर पाकिस्तान के दावे और बातचीत शुरू होने के बारे में भारतीय सेना ने क्या बताया
''पाकिस्तान तो सिर्फ़ सामने दिखने वाला चेहरा था''
Newspoint
ANI लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर भी टिप्पणी की है

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह का कहना हैकि हालिया संघर्ष में पाकिस्तान के साथ ही चीन की भी बड़ी भूमिका थी. इस दौरान उन्होंने तुर्की का भी ज़िक्र किया है.

वो कहते हैं, ''ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कुछ सबक हैं जो मैं ज़रूरी समझता हूं बताना. सबसे पहले, एक सीमा पर दो दुश्मन. हमने पाकिस्तान को तो सामने देखा, लेकिन दुश्मन असल में दो थे, बल्कि अगर कहें तो तीन या चार भी थे. पाकिस्तान तो सिर्फ़ सामने दिखने वाला चेहरा था.''

''हमें चीन से हर तरह की मदद मिलती दिखी और ये कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि पिछले पांच साल के आंकड़े देखें तो पाकिस्तान को मिलने वाला 81 फ़ीसदी सैन्य सामान चीन का ही है.''

लेफ्टिनेंट जनरल कहते हैं कि चीन ऐसे मौक़ों का इस्तेमाल हथियारों को आजमाने के लिए भी कर सकता है.

उनका कहना है, ''एक बात जो चीन ने शायद देखी है वो ये कि वो अपने हथियारों को अलग-अलग सिस्टम्स के ख़िलाफ़ आज़मा सकता है. जैसे एक तरह की 'लाइव लैब' उसे मिल गई हो. हमें इस बात को बहुत ध्यान में रखना होगा. इसके अलावा तुर्की ने भी बहुत अहम भूमिका निभाई, जो उस तरह का समर्थन दे रहा था. पहले से ही वो दे रहा था. हमने देखा कि युद्ध के दौरान कई तरह के ड्रोन भी वहां पहुंचे और उनके साथ प्रशिक्षित लोग भी थे.''

''उन्हें चीन से लाइव इनपुट मिल रहा था''
Newspoint
Getty Images नियंत्रण रेखा के नजदीक तैनात एक भारतीय सैनिक (फाइल फोटो)

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा कि एक और बड़ा सबक ये है कि कम्युनिकेशन, निगरानी और सेना-नागरिक तालमेल. इसका उदाहरण देते हुए वो कहते हैं, "जब डीजीएमओ लेवल की बातचीत हो रही थी, तब पाकिस्तान कह रहा था कि हमें मालूम है आपकी एक यूनिट पूरी तरह तैयार है, कृपया इसे पीछे कर लें. यानी उन्हें चीन से लाइव इनपुट मिल रहा था. इस मामले में हमें बहुत तेजी से काम करना होगा."

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर ज़्यादा फ़ोकस करने को लेकर वो कहते हैं, ''मैंने इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर की बात की और मज़बूत एयर डिफ़ेंस सिस्टम की ज़रूरत भी बताई, ताकि हमारे आबादी वाले इलाकों की भी रक्षा हो सके. जहां तक बाकी बात है, हमारे पास वो सहूलियत नहीं है जो इसराइल के पास है. वहां आयरन डोम जैसा सिस्टम और कई एयर डिफ़ेंस फ़ीचर हैं. हमारे देश का दायरा बहुत बड़ा है और इस तरह की चीज़ों पर बहुत पैसा लगता है. इसलिए हमें इनोवेटिव हल ढूंढने होंगे.''

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा कि एक और बड़ा सबक यह मिला कि हमारे पास मजबूत और सुरक्षित सप्लाई चेन होनी चाहिए. उन्होंने इसे सेना के नजरिए से समझाते हुए कहा कि जो उपकरण हमें इस साल जनवरी या पिछले साल अक्टूबर-नवंबर तक मिल जाने चाहिए थे, वो वक्त पर नहीं पहुंच सके.

उन्होंने बताया, "जब पिछले महीने 22 अप्रैल को मैंने ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को बुलाया और पूछा कि कितने लोग तय समय पर उपकरण दे सकते हैं, तो कई लोगों ने हाथ उठाए. लेकिन एक हफ्ते बाद जब फिर से बात की, तब कुछ भी नहीं आया."

उन्होंने कहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि हमारी सप्लाई चेन अभी भी बहुत हद तक दूसरे देशों पर निर्भर है. "अगर ये सारे उपकरण हमारे पास समय पर पहुंच जाते, तो शायद कहानी थोड़ी अलग होती. इसलिए हमें इस पर गंभीरता से सोचना होगा."

कांग्रेस ने उठाए सवाल
Newspoint
ANI (फाइल फोटो)

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि डिप्टी चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ (कैपेबिलिटी एंड सस्टेनेंस) लेफ़्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने सार्वजनिक मंच से वही बात साफ कर दी है जो लंबे वक्त से चर्चा में थी.

जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, ''उन्होंने बताया कि किस तरह चीन ने पाकिस्तान एयर फ़ोर्स की असाधारण तरीकों से मदद की. यही वही चीन है जिसने पांच साल पहले लद्दाख में यथास्थिति पूरी तरह बदल दी थी, लेकिन जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून 2020 को सार्वजनिक रूप से क्लीन चिट दी थी."

उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में चीन ने कुनमिंग में पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ त्रिपक्षीय बैठक की है, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है और जो सीमा समझौता हुआ है, वह यथास्थिति की बहाली नहीं करता.

पहलगाम हमले के बाद कब क्या हुआ?
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC
Newspoint
BBC

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

  • 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बयान से चर्चा में आया इंडोनेशिया का भारतीय दूतावास, जानिए पूरा मामला
  • भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बीजेपी और विपक्ष के राजनेता क्या कह रहे हैं?
  • 'ऑपरेशन सिंदूर' के एक महीने बाद: भारत और पाकिस्तान में क्या बदला, दांव पर क्या है?
Newspoint