शुभांशु शुक्ला: पिता चाहते थे आईएएस बनें, फिर अंतरिक्ष यात्री कैसे बन गए

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BBC ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला और मां आशा शुक्ला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सीतापुर रोड पर है त्रिवेणी नगर. यहां अपने घर के ड्राइंग रूम में बैठे शंभू दयाल शुक्ला बहुत ख़ुश हैं. उनके बेटे की वजह से उनका मान पूरे देश में बढ़ेगा, यह शायद उन्होंने सोचा नहीं था.

जब शंभू दयाल बेटे की उपलब्धि पर ख़ुश हो रहे थे तब बगल में बैठी उनकी पत्नी आशा शुक्ला को भी गर्व हो रहा था कि उनका बेटा अंतरिक्ष में जाने वाला है.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जल्द ही देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं. वह 10 जून को अमेरिका के स्पेस सेंटर से 14 दिन के मिशन पर जाने वाले थे लेकिन अब 11 जून को शाम 5.30 बजे (भारतीय समयानुसार) जाएंगे.

उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला ने बीबीसी को बताया कि उनका बेटा जब फ़ौज में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था तब वो बेटे के इस सपने से अनजान थे. दरअसल, शंभू दयाल चाहते थे कि उनका बेटा सिविल सेवा में जाए और आईएएस अधिकारी बने.

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ANI गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाक़ात करते पीएम नरेंद्र मोदी. शुभांशु सबसे दाएं खड़े हैं. शुभांशु शुक्ला: बचपन से लेकर अब तक का सफर

40 साल के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ से संबंध रखते हैं. उनके घर में उनके माता-पिता के अलावा दो बड़ी बहनें हैं. एक लखनऊ में टीचर हैं और दूसरी दिल्ली में रहती हैं.

शुभांशु शुक्ला ने लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की अलीगंज ब्रांच से बारहवीं तक की पढ़ाई की है.

उनके पिता बीबीसी को बताते हैं, ''जब उसने एनडीए का फ़ॉर्म भरा तो हम लोगों को नहीं पता था. एक दिन उसके दोस्त का फ़ोन आया, तब हमारे घर में लैंडलाइन फ़ोन था. मैंने फ़ोन उठाया तो उसका दोस्त ये नहीं जान पाया कि फ़ोन किसने उठाया और वो बोला तेरा एनडीए में हो गया है.''

बेटे के नेशनल डिफ़ेस अकादमी (एनडीए) की परीक्षा और ट्रेनिंग के सफर के बारे में बताते हुए वो भावुक हो जाते हैं.

उन्होंने कहा, ''उसके बाद टेस्ट एसएसबी और ट्रेनिंग का दौर चला. मैं कहीं भी उसके साथ नहीं गया. जब वो ट्रेनिंग के लिए जा रहा था तो चारबाग़ स्टेशन पर ट्रेन में बैठा दिया था.''

शुभांशु के परिजनों का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो इस तरह के किसी मिशन पर जाएंगे.

उनकी बड़ी बहन शुचि मिश्रा कहती हैं, ''हमने सिर्फ़ ये सोचा था कि वो एयर चीफ़ मार्शल बनेंगे.''

शुभांशु के पिता कहते हैं कि ''वो अपनी योजना पहले से कभी नहीं बताता. जब इस मिशन के लिए उसे चुना गया, तब भी उसने चार दिन बाद हमें बताया था.''

शंभू दयाल शुक्ला को अपने बेटे पर फ़ख़्र है और अब उन्हें बेटे के सिविल सेवा में ना जाने का कोई मलाल नहीं है.

फ़ाइटर पायलट शुभांशु शुक्ला को 2006 में भारतीय वायुसेना में कमीशन मिला था. उन्हें 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है.

वह भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21एस, मिग-29एस, जगुआर, हॉक्स डोर्नियर्स और एन-32 जैसे लड़ाकू विमान उड़ा चुके हैं.

ग्रुप कैप्टन शुक्ला को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के संयुक्त मिशन के लिए चुना गया है.

शुभांशु की मां आशा शुक्ला ने बताया, ''वो बचपन से काफ़ी मेहनती था. कभी कोई मांग नहीं की जो घर में बना है वो खा लेना, जो मिला उसमें संतोष करना ही उसकी आदत थी.''

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BBC शुभांशु शुक्ला की बहन शुचि मिश्रा. राकेश शर्मा के बाद दूसरे अंतरिक्ष यात्री

अगर ग्रुप कैप्टन शुक्ला इस मिशन के तहत अंतरिक्ष जाते हैं तो पिछले 40 साल में वह ऐसा करने वाले भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन जाएंगे.

इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के स्पेस मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे.

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जिस एक्सिओम-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जाने वाले हैं, वह एक निजी स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस का चौथा मिशन है.

2016 में बनी एक्सिओम स्पेस एक अमेरिकी कंपनी है, जिसका लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रा को व्यावसायिक रूप से अधिक सुगम बनाना है. कंपनी सरकारी और निजी, दोनों तरह के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में ले जाने का काम करती है.

शुभांशु शुक्ला की बहन शुचि मिश्रा कहती हैं, "हम लोगों को कोई घबराहट नहीं है, उम्मीद है कि मिशन अपने तयशुदा समय के मुताबिक़ होगा और सफलतापूर्वक पूरा होगा.''

शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष तक ले जाने वाला अंतरिक्ष यान, स्पेसएक्स रॉकेट के ज़रिये लॉन्च होगा. स्पेसएक्स अमेरिकी कंपनी है जिसके मालिक एलन मस्क हैं.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले इस अंतरिक्ष यान में ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ पोलेंड, हंगरी और अमेरिका के भी अंतरिक्ष यात्री होंगे.

साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच इस मिशन पर सहमति बनी थी.

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Axiom Space ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (बाएं) आईएसएस के लिए एक्सिओम-4 मिशन का संचालन करेंगे. इसरो से नासा तक का सफर

इसरो ने साल 2024 में एक्सिओम-4 मिशन के लिए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के साथ ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर का चयन किया था.

शुक्ला का चयन 'प्राइम' अंतरिक्ष यात्री के तौर पर किया गया था जबकि नायर को बैकअप के लिए चुना गया था.

प्राइम का मतलब ये कि शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे लेकिन अगर किसी वजह से वह नहीं जा पाए तो नायर उनकी जगह लेंगे.

इस मौक़े पर भारतीय वायु सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट करके कैप्टन शुक्ला और कैप्टन नायर को बधाई दी थी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया था, ''इसरो-नासा की संयुक्त कोशिश को आगे बढ़ाने के लक्ष्य की दिशा में इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) ने अपने अगले कार्यक्रम के लिए नासा की ओर से मान्यता प्राप्त सर्विस प्रोवाइडर एक्सिओम स्पेस (यूएसए) के साथ अंतरिक्ष उड़ान को लेकर एक समझौता (एसएफए) किया है. ये मिशन होगा एक्सिओम-4.''

इसमें आगे लिखा था, ''एक राष्ट्रीय मिशन असाइनमेंट बोर्ड ने इस मिशन के लिए प्रमुख और बैकअप मिशन पायलट के रूप में दो गगनयात्रियों की सिफारिश की है. ये हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (प्राइम) और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर (बैकअप).''

लंबी ट्रेनिंग और कड़ी मेहनत के बाद अब वो वक्त आने वाला है जब 10 जून को शुभांशु अंतरिक्ष के अपने सफर की शुरूआत करेंगे.

उड़ान की आख़िरी तैयारी चल रही है और शुभांशु शुक्ला के परिवार में सब लोग इसे लेकर उत्साहित हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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