Getty Imagesबीते दिनों मामाअर्थ कंपनी की सह-संस्थापक और प्रमुख ग़ज़ल अलघ ने प्रोफ़ेशनल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा कि आठ महीने की गर्भावस्था में भी वो काम कर रही हैं.उन्होंने लिखा, "अगर आप गर्भवती हैं तो आपको धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए."उन्होंने लिखा, "मैंने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से कई बार कई तरह की बातें सुनी हैं इसलिए जब शार्क टैंक में शामिल होने का मौक़ा मिला तो मैंने सोचा. इस सवाल को देखते हुए मैंने ये मौक़ा उस वक्त हाथ में लिया जब मैं आठ महीने की गर्भवती हूं और मैंने औरों के साथ 12 घंटों तक काम किया. मेरा उद्देश्य है कि मैं दूसरों को प्रेरित करूं और ख़ासकर पुरुषों के बीच इस मिथक को तोड़ सकूं कि महिलाएं गर्भावस्था के इस दौरान कम काम करती हैं."उन्होंने लिखा, "इस साल मेरी इनोवेशन टीम में चार मैनेजर्स गर्भवती हैं और हमने इनोवेशन पर राजस्व का लक्ष्य भी सबसे अधिक रखा है. हमें इस बात का भरोसा है कि हम केवल बच्चों की डिलीवरी नहीं करेंगी बल्कि अपने तय लक्ष्यों के अधिक भी हासिल कर सकेंगी."इस पोस्ट के साथ ग़ज़ल ने अपनी एक तस्वीर भी साझा की जिसमें वो गर्भवती दिख रही हैं.क्या है न्यूरोडेवेलेपमेंटल डिसऑर्डर?World Blood Donor Day: रक्तदान और उससे जुड़े मिथकों का सचक्या सोयाबीन आपके लिए नुक़सानदेह है? ग़ज़ल अलघ के पोस्ट पर प्रकृति शर्मा की टिप्पणी Linkedinउनकी इस पोस्ट को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में काम करने वाली इंजीनियर प्रकृति शर्मा ने शेयर किया.उन्होंने लिखा कि, "मुझे ये बात बिल्कुल बकवास लगती है कि एक गर्भवती महिला दुनिया को दिखाने के लिए शूटिंग को प्राथमिकता दे रही हैं न कि अपने बच्चे को. गर्भावस्था के दौरान किए गए इस बचकाना और क्रूरतापूर्ण काम के बारे में इंटरनेट पर पोस्ट कर वो इस पर समर्थन भी चाहती हैं, ये देखकर मुझे हैरत होती है."इसके बाद उन्होंने महिलाओं के लिए लिखा, "कृपया इसे लेकर सतर्क रहें कि आप किसे अपना रोल मॉडल मान रही हैं और इंटरनेट पर मिल रही किसी भी बकवास पर यकीन न करें."क्यों विकसित देशों में घट रहा है टीकाकरण पर यकीन-बीबीसी स्पेशलएक ऐसी प्रथा जिससे डरती हैं दुल्हनेंअपने मरते बच्चों के सामने इतना बेबस क्यों है भारत सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस Linkedinसोशल मीडिया पर ग़ज़ल अलघ और प्रकृति शर्मा दोनों की की पोस्ट को अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं मिल ही हैं.जेरमिना मेनन नाम की एक महिला ने ग़ज़ल अलघ की तारीफ़ करते हुए लिखा कि आपका इरादा और भ्रांतियों को चुनोती देने की आपकी कोशिश काबिले तारीफ़ है.वहीं, अर्णब गुहा ने लिखा कि वो ग़ज़ल अलघ की बात का समर्थन करते हैं कि गर्भावस्था महिला के लिए रुकावट नहीं बननी चाहिए. हालांकि वो लिखते हैं कि "लेकिन एक बात कहना चाहूंगा कि गर्भवती महिला को खुद को अधिक तनाव नहीं लेना चाहिए और ऐसे लक्ष्य हासिल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए जो मुश्किल हों. ऐसा कर के वो बच्चे के ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम में जाने की संभावनाओं को रोक सकती हैं."वहीं शीतल वर्मा नाम की एक यूज़र ने ग़ज़ल अलघ की पोस्ट पर लिखा है, "वो वक्त आ गया है जब महिलाओं को पुरुषों के सामने कोई बात साबित करने के लिए जानबूझकर उनसे प्रतिस्पर्धा करने की ज़रूरत नहीं है. बराबरी और मौके एक बात है, लेकिन कोई बात साबित करने के लिए एक गर्भवती महिला का अपने शरीर को ज़रूरत से अधिक थका देना ऐसी बात नहीं जिसकी तारीफ की जाए."महिलाओं पर 'प्री-प्रेग्नेंसी' शेप में आने का कितना रहता है दबाव?तालिबान के स्कूल बैन से निराश अफ़ग़ान लड़कियां बोलीं- 'जैसे हम काल कोठरी में रह रहे हों'बिना डायबिटीज़ की समस्या के ब्लड शुगर मॉनिटर करके खाना-पीना क्यों नहीं है सही डॉक्टर की सलाहग़ज़ल अलघ को जवाब देते हुए वत्सला कोठारी ने लिखा, "ये प्रेरणा देने वाला कतई नहीं है. कुछ महिलाएं अधिक काम नहीं कर पाती हैं क्योंकि उनका शरीर पहले ही बच्चे को कोख में रखने का बड़ा काम कर रहा होता है. उनकी पहल प्रेरणा देने वाली होती जब वो लिखतीं कि उनकी कंपनी महिलाओं को काम करने के घंटे चुनने की अधिक स्वतंत्रता दे रही है."पेशे से प्रोस्थोडॉन्टिस्ट डॉक्टर पद्मप्रिया पुप्पाला ने ग़ज़ल अलघ को जवाब देते हुए लिखा, "ये बुरी राय और सलाह है. अगर आपके लिए ये संभव हुआ है तो ये आपका नसीब है, सभी के पास ये मौक़ा नहीं होता. मैं कह सकती हूं कि गर्भावस्था के नौवें महीने तक मैंने काम किया है लेकिन वो मजबूरी की वजह से किया न कि चॉइस से."सोनिया साहनी ने लिखा, "गर्भावस्था का हर मामला अलग होता है. महिला को वह करना चाहिए जो डॉक्टर की सलाह हो, न कि वो जो दुनिया उनसे उम्मीद रखती है. उन्हें बेवजह अधिक काम करने का तनाव भी नहीं लेना चाहिए."वहीं, प्रकृति शर्मा की टिप्पणी पर भी सोशल मीडिया पर बहस हो रही है. शुभदा मूल नाम की एक यूज़र ने लिखा कि "आप जो चाहे वो कर सकती हैं चाहे वो गर्भावस्था के दौरान एवरेस्ट चढ़ने जैसा काम करना हो या फिर भारी सामान उठाने का, या फिर रोज़ दफ्तर जाने का, या फिर अगर आपके पास ये लग्ज़री है तो घर से काम करने के मौक़े या छह महीनों की छुट्टी लेने के मौक़े का फायदा लेने का. हर हाल में आपको लेकर राय बनाई जाएगी."सर्विकल कैंसर वाली वैक्सीन क्या है, इसे क्यों और कौन लगवा सकता है?दुर्लभ कैंसर क्या है और ये किसी दूसरे सामान्य कैंसर से किस तरह अलग है?वो खुजली जो इंसान का सुख-चैन छीन लेती है, डॉक्टरों ने अब जगाई इसके इलाज की उम्मीदरुचिरा चक्रवर्ती लिखती हैं, "जैसे जीवन के अलग-अलग पहलू में लोग एक समान नहीं होते वैसे ही गर्भावस्था में हर कोई एक समान नहीं होता. गर्भावस्था के समय कौन महिला क्या कर सकती है क्या नहीं ये फैसला महिला पर छोड़ देना चाहिए और इस पर आम टिप्पणी करना सही नहीं है."एक और टिप्पणी स्वाति मिश्रा की है जो लिखती हैं कि अपने पोस्ट के ज़रिए ग़ज़ल जो कहना चाहती हैं "मैं वो समझती हूं उन्होंने ये बात पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दी है कि उनके पास एक बेहतर सपोर्ट सिस्टम है (परिवार, घर में मदद और मेडिकल कर्मी) जिससे उन्हें ये फ़ैसला लेने में मदद मिली है. हर किसी से यही उम्मीद करना थोड़ा ज़्यादा हो जाता है."(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और