एथर एनर्जी के शेयरों की फीकी लिस्टिंग, निवेशकों में निराशा, आगे क्या करें निवेशक?
Ather Energy का शेयर 7 मई को शेयर बाजार में उम्मीद के मुताबिक कमजोर प्रदर्शन के साथ लिस्ट हुआ। कंपनी के आईपीओ को पहले ही कमज़ोर निवेशक प्रतिक्रिया मिली थी और लिस्टिंग के बाद भी शेयरों पर बिकवाली का दबाव बना रहा। एनएसई पर कंपनी का शेयर इश्यू प्राइस 325 रुपये से गिरकर 302 रुपये पर बंद हुआ, जो 7% की गिरावट दर्शाता है।एथर एनर्जी के आईपीओ को निवेशकों की तरफ से उत्साहजनक समर्थन नहीं मिला था, जिससे यह पहले ही साफ हो गया था कि लिस्टिंग के दिन कोई बड़ी उछाल देखने को नहीं मिलेगी।
इसके पीछे कई वजहें रहीं, जैसे ऊंचे वैल्यूएशन, कमजोर सेकेंडरी मार्केट सेंटीमेंट और सीमित ग्रोथ की संभावना। प्रीमियम ब्रांड, लेकिन मुनाफा अब भी दूर2013 में स्थापित एथर एनर्जी ने प्रीमियम इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इसके पास चार इलेक्ट्रिक स्कूटर मॉडल, हाइब्रिड सेल्स मॉडल और देशभर के 230 शहरों में 3,000 से ज्यादा फास्ट चार्जर की श्रृंखला है, जो इसे ओला इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियों से अलग बनाती है।वेंचुरा सिक्योरिटीज़ के अनुसार, एथर की ताकत उसके वर्टिकली इंटीग्रेटेड बिजनेस मॉडल और इन-हाउस टेक स्टैक ‘AtherStack’ में है, जिसे 86% यूजर्स सब्सक्राइब करते हैं।
इससे कंपनी को 50% से ज्यादा मार्जिन वाली recurring revenue मिलती है। लेकिन इसके बावजूद, कंपनी की वित्तीय स्थिति दबाव में है। घाटा बढ़ा, वैल्यूएशन महंगावित्त वर्ष 2024 में एथर का घाटा 1,059 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि रेवेन्यू 1,754 करोड़ रुपये रहा। इसकी मुख्य वजह R&D पर अधिक खर्च (रेवेन्यू का 15%), कच्चे माल की लागत और सीमित स्केल इकोनॉमी है। कंपनी का EBITDA मार्जिन -39% रहा, जो ऑपरेशनल दबाव को दर्शाता है।मेहता इक्विटीज के अनुसार, एथर का EV-टू-सेल्स मल्टीपल 6.2x है, जो ओला इलेक्ट्रिक के 3.5x के मुकाबले काफी महंगा है।
इस समय जब कंपनी का कैश बर्न हाई है, ऐसे वैल्यूएशन निवेशकों के लिए चिंताजनक हो सकते हैं। आगे क्या करें निवेशक?विशेषज्ञ मानते हैं कि एथर की लंबी अवधि की कहानी अभी भी जीवंत है। इसकी प्रीमियम ब्रांड वैल्यू, बेहतर मार्जिन और कम कैश बर्न इसे ओला से अलग बनाते हैं। लेकिन, कंपनी की मार्केट शेयर फिलहाल ओला के मुकाबले केवल एक-तिहाई है।विश्लेषकों का मानना है कि निवेशक फिलहाल सतर्क रहें और केवल हाई-रिस्क प्रोफाइल वाले निवेशक ही गिरावट पर धीरे-धीरे accumulation करें। कंपनी की आगे की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह दक्षिण भारत से बाहर डीलर नेटवर्क कितना तेजी से बढ़ाती है, सब्सिडी पर निर्भरता कैसे घटाती है, और लागत को कैसे कंट्रोल करती है।एथर आईपीओ बाजार में नई ऊर्जा नहीं ला सका।
विश्लेषकों का कहना है कि आईपीओ बाजार की असली बहाली अभी भी दूर है, और इसका सीधा संबंध सेकेंडरी मार्केट की स्थिरता से है। अरिहंत कैपिटल के अर्पित जैन के अनुसार, अभी इस सेक्टर में संपूर्ण रिकवरी की बात करना जल्दबाजी होगी।(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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