चेक कीजिए 16 करोड़ रुपये के Manoj Jewellers IPO का सब्सक्रिप्शन स्टेटस, GMP और अन्य डिटेल्स

Hero Image
मनोज ज्वैलर्स लिमिटेड आईपीओ (Manoj Jewellers IPO) 5 मई को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल चुका है। सब्सक्रिप्शन के दो दिन बीत जाने के बावजूद यह इश्यू अब तक पूरी तरह से सब्सक्राइब नहीं हुआ है।सब्सक्रिप्शन के पहले दिन इस इश्यू को 40 प्रतिशत बुक किया गया था। रिटेल कैटेगरी में 26 प्रतिशत और एनआईआई कैटेगरी में 54 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन मिला। सब्सक्रिप्शन के दूसरे दिन यह इश्यू 69 प्रतिशत बुक हुआ है।
रिटेल कैटेगरी 53 प्रतिशत और एनआईआई कैटेगरी 85 प्रतिशत बुक हुई है। 7 मई को यह इश्यू बंद हो रहा है।बाजार विश्लेषकों के अनुसार अनलिस्टेड मार्केट में Manoj Jewellers IPO GMP शून्य रुपये है। इस इश्यू को लेकर ग्रे मार्केट में कोई उत्साह नहीं है, संभवत: इसी कारण इस इश्यू को निवेशकों की ओर से ठंडा रिस्पॉन्स अब तक मिला है।30 लाख शेयरों का यह पूरी तरह से फ्रेश इश्यू है जिसके जरिये कंपनी ने 16.20 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। 54 रुपये प्रति शेयर इस आईपीओ की प्राइस है। रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए न्यूनतम लॉट साइज 2000 शेयरों का और न्यूनतम निवेश राशि 1 लाख 8 हजार रुपये है।मनोज ज्वेलर्स लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी और यह सोना एवं हीरे से बने आभूषणों के रिटेल कारोबार में कार्यरत है।
कंपनी के गहनों में रत्नों का इस्तेमाल किया जाता है। मनोज ज्वेलर्स के उत्पादों में ईयररिंग्स, रिंग्स, नेकलेस, ब्रेसलेट्स और पेंडेंट्स प्रमुख हैं।वित्त वर्ष 23 में कंपनी का रेवेन्यू 13.64 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 24 में 43.38 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 24 में 31 दिसंबर 2024 को समाप्त अवधि तक 42.97 करोड़ रुपये रहा। इसी तरह प्रॉफिट आफ्टर टैक्स वित्त वर्ष 23 में 62 लाख रुपये, वित्त वर्ष 24 में 3.24 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 25 में 31 दिसंबर 2024 को समाप्त अवधि तक 3.77 करोड़ रुपये रहा।इस इश्यू से प्राप्त शुद्ध आय का उपयोग कंपनी वर्किंग कैपिटल संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करेगी।जावा कैपिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड मनोज ज्वेलर्स आईपीओ का बुक-रनिंग लीड मैनेजर है।
स्काईलाइन फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड इस इश्यू का रजिस्ट्रार है।(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)